क्या आज 29 अप्रैल को खतम होने वाली है दुनिया ?

अजीब सी बात है जिस बात का सबसे ज्यादा डर है उसका इन्तजार भी सबसे ज्यादा है. लोगों को आज 29 अप्रैल का इन्तजार पिछले डेढ़ महीने से बड़ी बेकरारी के साथ था और डर के साथ  सभी को एक सवाल भी बुरी तरह सता रहा है कि क्या आज आने वाला है कोरोना से भी बड़ा खतरा, क्या आज खतम हो जायेगी ये दुनिया?

Last Updated : Apr 29, 2020, 02:50 AM IST
    • डेढ़ माह पहले बता दिया था नासा ने
    • दिशा में जरा भी परिवर्तन हो सकता है पृथ्वी के लिये खतरनाक
    • दोपहर तीन बज कर पच्चीस मिनट है तय वक्त
क्या आज 29 अप्रैल को खतम होने वाली है दुनिया ?

नई दिल्ली. आज है 29 अप्रैल और आज आने वाला है एक बड़ा खतरा इस दुनिया के लिये. डेढ़ माह पहले नासा द्वारा इसकी घोषणा कर दी गई थी कि एक विशालकाय एस्टेरॉयड बहुत तेज गति से पृथ्वी की दिशा में बढ़ रहा है और 29 अप्रैल को पृथ्वी से टकरा सकता है. अब बस एक ही सवाल बचता है जो सबके जहन में है - क्या होगा आज? क्या खत्म हो जायेगी दुनिया आज ?

वैज्ञानिकों ने कहा- डरने की बात नहीं 

बाद में नासा से ही राहत वाली ये खबर आई कि धरती की तरफ तेज गति से बढ़ रहा ये एस्टेरायड के पृथ्वी से टकराने की गुन्जाइश नहीं है क्योंकि यह लाखों मील दूर से गुजरेगा. यद्यपि ये बहुत राहत देने वाली खबर इसलिये भी नहीं मानी जा सकती है कि अन्तरिक्ष विज्ञान में लाखों किलोमीटर की दूरी को भी पर्याप्त दूरी नहीं माना जाता. इस तरह से देखा जाये तो यदि यह एस्टेरायड पृथ्वी से टकराया तो महाविनाश ला सकता है. 

दिशा में जरा भी परिवर्तन पृथ्वी के लिये खतरनाक

वैज्ञानिकों का कहना है कि ये एस्टेरायड पृथ्वी से लाखों मील दूर से गुजरता दिखाई दे रहा है. किन्तु इसकी दिशा में यदि जरा भी परिवर्तन हुआ तो यह खतरनाक साबित हो सकता है.राकेट की गति से तीन गुना अधिक तीव्र गति से चल रहा ये एस्टेरायड अगर धरती के किसी हिस्से में टकराएगा तो बड़ी सुनामी ला सकता है अथवा कई देशों को तबाह कर सकता है. 

दोपहर तीन बज कर पच्चीस मिनट है तय वक्त

सबसे पहले 1998 में नासा द्वारा यह एस्टेरायड देखा गया था. 4 किलोमीटर व्यास वाला यह एस्टेरायड इकतीस हजार किलोमीटर प्रतिघंटे की स्पीड से पृथ्वी की तरफ बढ़ रहा है. पृथ्वी के करीब पहुंचने का इसका तय समय दोपहर तीन बज कर पच्चीस मिनट है लेकिन डरने की जरूरत इसलिये नहीं है क्योंकि यह धरती से करीब 63 लाख किलोमीटर दूर से गुजरेगा. अंतरिक्ष विज्ञान में यह दूरी बहुत ज्यादा नहीं मानी जाती परंतु यह कोई कम दूरी भी नहीं है. 

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