मिलिए बीकानेर के 'पगड़ी किंग' कहे जाने वाले किशन से, जो बना चुके हैं खास रिकॉर्ड

राजस्थान में बीकानेर के रहने वाले 'पगड़ी किंग' किशन पगड़ियां बांधने में बेहद माहिर हैं. वह 135 तरह की पगड़ियां बांधते हैं. जिसकी वजह से उनके नाम कई तरह के रिकॉर्ड दर्ज किए गए हैं.    

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 11, 2020, 08:17 PM IST
    • राजस्थान के पगड़ी किंग हैं किशन
    • 135 तरह की पगड़ियां बांधते हैं
    • मिल चुके हैं कई तरह के पुरस्कार
    • बेहद कम समय में बांध देते हैं पगड़ी
मिलिए बीकानेर के 'पगड़ी किंग' कहे जाने वाले किशन से, जो बना चुके हैं खास रिकॉर्ड

बीकानेर: किशन चंद्र पुरोहित राजस्थान के उन पगड़ी बांधने वाले कलाकारों में से एक हैं, जो 135 तरह की पगड़ियां बांधने में माहिर हैं. ये एक ऐसे कलाकार हैं, जिन्होंने पगड़ी बांधने की  कला को एक खास पहचान दिलाई है.

कई तरह की पगड़ियां बांधने में माहिर हैं किशन
किशन चंद्र पुरोहित राजस्थान के उन पगड़ी बांधने वाले कलाकारों में से एक हैं, जो 135 तरह की पगड़ियां बांधने में माहिर हैं. चाहे वो तीन इंच की हों या तीस इंच की. कैसी भी पगड़ी हो, किशन महज़ पलक झपकते ही बांध देते हैं. किशन को 'पगड़ी किंग' के नाम से भी लोग पुकारते हैं. एक मिनट में एक पगड़ी बांधने का रिकॉर्ड भी किशन के नाम है. चाहे हाथ की उंगली पर पगड़ी बांधनी हो या सिर पर या हो पेंसिल पर, पगड़ी किशन इसे आसानी से बांध देते हैं.

कई बार सम्मानित किए जा चुके हैं पगड़ी किंग किशन
यूं तो राजस्थान में जीवन और मरण के समय की भी पगड़ियां हैं. बच्चे से बुज़ुर्ग तक की, शादी सम्मान समारोह, सेठ साहूकार, ग्रामीण परिवेश से शहर के राजपुताना स्टाइल, हर समय काल की पगड़ी का अपना अलग महत्व और बांधने का तरीका है. उन तमाम पगड़ियों को किशन आसानी से बांध देते हैं. इसी के चलते दूर-दूर से दूल्हे ख़ासतौर पर अपनी शादी की पगड़ी उनसे बंधवाने आते हैं और देसी-विदेशी सैलानी भी इनसे मिलने पहुंचते हैं. वहीं, इस हुनर के चलते किशन को कई बार सम्मानित भी किया गया है. किशन कहते हैं कि वो हमेशा राजस्थान पगड़ी परंपरा को ज़िंदा रखना रखना चाहते हैं और हर बार नए की तलाश में लगे रहते हैं.

राजस्थान की शान को ऐसे कलाकार अपनी कला से आम जनता के बीच रखते हैं और इन रंग-बिरंगी शान वाली पहाड़ियों से ज़िंदगी में नए रंग भर ख़ास अनुभव प्रदान करते हैं, जो अपने आप में क़ाबिले तारीफ़ है.

बीकानेर से रौनक व्यास की रिपोर्ट

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