मन की बात में PM मोदी के 7 'मंत्र'

देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के दौरान कोरोना संकट और बाढ़ को लेकर देश से संवाद किया. उन्होंने एक बार फिर देशवासियों को कोरोना के खिलाफ जंग के लिए जागरुक करते हुए आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया.

नई दिल्ली: देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात के दौरान कोरोना संकट और बाढ़ को लेकर देश से संवाद किया. उन्होंने एक बार फिर देशवासियों को कोरोना के खिलाफ जंग के लिए जागरुक करते हुए आत्मनिर्भर भारत का मंत्र दिया.

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पीएम ने कहा कि "पिछले कुछ महीनों से पूरे देश ने एकजुट होकर जिस तरह कोरोना से मुकाबला किया है, उसने, अनेक आशंकाओं को गलत साबित कर दिया है. आज, हमारे देश में recovery rate अन्य देशों के मुकाबले बेहतर है, साथ ही, हमारे देश में कोरोना से मृत्यु-दर भी दुनिया के ज्यादातर देशों से काफ़ी कम है."

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उन्होंने अलर्ट करते हुए बोला कि "कोरोना का खतरा अभी टला नहीं है. हमें बहुत ही ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है. चेहरे पर mask लगाना या गमछे का उपयोग करना, दो गज की दूरी, लगातार हाथ धोना, कहीं पर भी थूकना नहीं, साफ़ सफाई का पूरा ध्यान रखना - यही हमारे हथियार हैं जो हमें कोरोना से बचा सकते हैं."

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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि "मैं, आप से आग्रह करूँगा जब भी आपको mask के कारण परेशानी feel होती हो, मन करता हो उतार देना है, तो, पल-भर के लिए उन Doctors का स्मरण कीजिये, उन नर्सों का स्मरण कीजिये, हमारे उन कोरोना वारियर्स का स्मरण कीजिये"

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PM ने ये भी कहा कि "सकारात्मक approach से हमेशा आपदा को अवसर में, विपत्ति को विकास में बदलने में मदद मिलती है. हम कोरोना के समय भी देख रहे हैं, कि कैसे देश के युवाओं-महिलाओं ने talent और skill के दम पर कुछ नये प्रयोग शुरू किये हैं."

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उन्होंने बताया कि "बिहार में कई women self help groups ने मधुबनी painting वाले mask बनाना शुरू किया है, और देखते-ही-देखते, ये खूब popular हो गये हैं. ये मधुबनी mask एक तरह से अपनी परम्परा का प्रचार तो करते ही हैं, लोगों को, स्वास्थ्य के साथ, रोजगारी भी दे रहे हैं" "North East में bamboo यानी, बाँस, कितनी बड़ी मात्रा में होता है, अब, इसी बाँस से त्रिपुरा, मणिपुर, असम के कारीगरों ने high quality की पानी की बोतल और Tiffin Box बनाना शुरू किया है"

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लद्दाख में एक विशिष्ट फल होता है जिसका नाम चूली या apricot यानी खुबानी है. दूसरी ओर कच्छ में किसान Dragon Fruits की खेती के लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं. आज कई किसान इस कार्य में जुटे हैं. फल की गुणवत्ता और कम ज़मीन में ज्यादा उत्पाद को लेकर काफी innovation किये जा रहे हैं.

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साथियों, अभी कुछ दिन बाद रक्षाबंधन का पावन पर्व आ रहा है. मैं, इन दिनों देख रहा हूँ कि कई लोग और संस्थायें इस बार रक्षाबंधन को अलग तरीके से मनाने का अभियान चला रहें हैं. कई लोग इसे Vocal for local से भी जोड़ रहे हैं, और, बात भी सही है