Diwali on 31 October, 1 November 2024: कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर भगवान श्री राम 14 वर्षों का वनवास काटकर और लंका पर विजय करने के बाद अयोध्या लौटे थे.
Diwali Puja Muhurat 2024: इस साल दीपावली की तारीख को लेकर पंचांग भेद हैं, क्योंकि कार्तिक मास की अमावस्या 31 अक्टूबर और 1 नवंबर दो दिन रहेगी. इस साल कार्तिक अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3:53 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर की शाम 6:17 तक रहेगी.
दीपावली के दिन लक्ष्मी पूजा का विशेष महत्व भी होता है. इस दिन शाम और रात के समय शुभ मुहूर्त में मां लक्ष्मी, भगवान गणेश और माता सरस्वती की पूजा की जाती है. दीपों का त्योहार दीपावली इस बार गुरुवार 31 अक्टूबर और शुक्रवार 1 नवंबर को मनाया जाएगा. हिंदू धर्म में दीपावली का त्योहार बहुत उत्साह और जोश के साथ मनाया जाता है.
ज्योतिषाचार्य डा. अनीष व्यास ने बताया कि कार्तिक महीने के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर दीपावली का त्योहार मनाया जाता है. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार कार्तिक अमावस्या तिथि पर भगवान श्री राम 14 वर्षों का वनवास काटकर और लंका पर विजय करने के बाद अयोध्या लौटे थे. जिसकी खुशी में सारे अयोध्यावासी इस दिन पूरे नगर को अपने राजा प्रभु राम के स्वागत में दीप जलाकर उत्सव मनाया था. इसी कारण से तब से ये परंपरा चली आ रही है.
डा. अनीष व्यास ने बताया कि इस बार अमावस्या 31 अक्टूबर को दोपहर 3:53 बजे से शुरू होकर 1 नवंबर की शाम 6:17 तक रहेगी. ऐसे में अमावस्या की तिथि के दौरान दो दिन प्रदोष काल रहेगा. सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त के बाद एक घड़ी से अधिक अमावस्या होने पर यह पर्व मनाया जा सकता है. 1 नवंबर को सूर्यास्त शाम 5:40 बजे होगा. इसके बाद 37 मिनट तक अमावस्या रहेगी ग्रंथों में इस बात का जिक्र है कि जिस दिन प्रदोष काल यानी सूर्यास्त के वक्त अमावस्या हो तब लक्ष्मी पूजन किया जाना चाहिए.
कार्तिक अमावस्या तिथि प्रारम्भ - 31 अक्टूबर को दोपहर 3:53 बजे से. कार्तिक अमावस्या तिथि समाप्ति - 1 नवंबर की शाम 6:17 तक
दीपावली पर घरों को रोशनी से सजाया जाता है. दीपावली की शाम को शुभ मुहूर्त में माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, मां सरस्वती और धन के देवता कुबेर की पूजा-आराधना होती है. भविष्यवक्ता डा. अनीष व्यास ने बताया कि मान्यता है दीपावली की रात माता लक्ष्मी पृथ्वी पर आती हैं और घर-घर जाकर ये देखती हैं किसका घर साफ है और किसके यहां पर विधिविधान से पूजा हो रही है. माता लक्ष्मी वहीं पर अपनी कृपा बरसाती हैं. दीपावली पर लोग सुख-समृ्द्धि और भौतिक सुखों की प्राप्ति के लिए माता लक्ष्मी की विशेष पूजा करते हैं.
अथर्ववेद में लिखा है कि जल, अन्न और सारे सुख देने वाली पृथ्वी माता को ही दीपावली के दिन भगवती लक्ष्मी के रूप में पूजा जाता है. कार्तिक अमावस्या का दिन अंधेरे की अनादि सत्ता को अंत में बदल देता है, जब छोटे-छोटे ज्योति-कलश दीप जगमगाने लगते हैं. प्रदोषकाल में माता लक्ष्मी के साथ गणपति, सरस्वती, कुबेर और भगवान विष्णु की पूजा का विधान है.
भविष्यवक्ता और कुण्डली विश्लेषक डा. अनीष व्यास ने बताया कि दीपावली पर लक्ष्मी जी और गणेश महाराज की पूजा का विधान है. इसके अलावा आप इस दिन हनुमानजी, यमराज, चित्रगुप्त, कुबेर, भैरव, कुलदेवता और अपने पितरों का पूजन भी जरूर करें. वहीं धन की देवी मां लक्ष्मी के साथ भगवान विष्णु का भी पूजा करें. इसके साथ ही दीपावली पूजा में आप श्रीसूक्त और विष्णु सहस्रनाम का पाठ भी कर सकते हैं.
डा. अनीष व्यास ने बताया कि गुरुवार 31 अक्टूबर और शुक्रवार 1 नवंबर की रात देवी लक्ष्मी की विशेष पूजा की जाएगी. मान्यता है कि देवताओं और दानवों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था और इस मंथन से कार्तिक मास की अमावस्या पर देवी लक्ष्मी प्रकट हुई थी. देवी लक्ष्मी ने भगवान विष्णु का वरण किया था. इसके साथ एक अन्य मान्यता ये है कि इस तिथि पर भगवान राम 14 वर्ष का वनवास खत्म करके और रावण वध करके अयोध्या लौटे थेय.तब लोगों ने राम के स्वागत के लिए दीपक जलाए थे.
दीपावली पूजन मुहूर्त: लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 31 अक्टूबर 2024, प्रदोष काल ( लग्न ) - सायं 05:35 - रात 08:11 तक, वृष काल ( लग्न ) – सायं 06:25 - रात 08:20 तक, मिथुन काल ( लग्न ) - रात्रि 9:00 से रात्रि 11:23 तक, निशिथ काल - रात्रि 11:39 से मध्यरात्रि 12:41 तक, सिंह काल ( लग्न ) - मध्यरात्रि 01:36 - अन्तरात्रि 03:35 तक
सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त: प्रदोष काल, वृषभ लग्न और चौघड़िया के हिसाब से लक्ष्मी पूजन के लिए सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त 31 अक्टूबर की शाम को 06:25 से लेकर सायं 7:13 के बीच का समय का है. कुल मिलाकर 48 मिनट का यह मुहूर्त सर्वश्रेष्ठ रहेगा.
दीपावली पूजन मुहूर्त: लक्ष्मी पूजा मुहूर्त- 1 नवंबर 2024. सर्वश्रेष्ठ मुहूर्त- प्रदोष काल ( लग्न ) - सायं 05:40 - रात्रि 08:16 तक, इसके अतिरिक्त सायं 06:41 से सायं 06:53 (इसमें प्रदोष काल, स्थिर वृष लग्र एवं कुम्भ का नवमांश रहेगा) तक रहेगा. वृष काल ( लग्न ) – सायं 06:31 - रात्रि 08:28 तक, सिंह काल ( लग्न ) - मध्यरात्रि 01:01 - अन्तरात्रि 03:17 तक
बता दें कि पूजन का समय ऊपर बता दिया गया है. तो ऐसे में आप 31 अक्टूबर को घर व दफ्तरों, फैक्ट्री आदि में 1 नवंबर को दीपावली की पूजा कर सकते हैं.