रंगों की बात होती है और सबसे पहले लाल रंग ही ख्याल में आता है. यह रंग शुभता का प्रतीक है और आशा की किरण जगाता है. पौरुष और विजय के उल्लास का प्रतीक है लाल रंग. इसके तीक्ष्ण, चटख और दूर से भी स्पष्ट पहचाने जाने के कारण इसे खतरे का संकेत बनाया गया है, लेकिन सही मायने में लाल रंग रक्षक की भूमिका निभाता है.
केसरिया रंग निरोगी तन और मन का प्रतीक है. यह आध्यात्मिकता का प्रतीक है. यह धार्मिक ज्ञान, तप, संयम और वैराग्य का रंग है. शुभ संकल्प का सूचक है. इसलिए होली खेलें और केसरिया रंग में रंग जाएं.
पीला रंग सखा भाव को दर्शाता है. सफेद के साथ मां सरस्वती को प्रिय यह रंग ज्ञान और बौद्धिक उन्नति का भी प्रतीक है. यह रंग ज्ञान और विद्या का, सुख और शांति का, अध्ययन, विद्वता, योग्यता, एकाग्रता और मानसिक तथा बौद्धिक उन्नति का प्रतीक है. होली पर पीला रंग लगाएंगे तो खुशियां बढ़ाएंगे.
सुबह सोकर उठते ही हरियाली को देखने से नेत्र ज्योति बढ़ती है. हरा रंग खुद प्रकृति का रंग है. जिसमें हरे-भरे मैदान, पर्वत, और नदियों के किनारे शामिल हैं. हरा मधुर रंग है. यह मन को शांति और हृदय को शीतलता देता है. यह मनुष्य को सुख, शांति, स्फूर्ति देने वाला रंग है. लाल और हरे रंगों से नवीनता स्पष्ट होती है.
आप कहीं भी जाएं आसमान आपका साथ नहीं छोड़ता. नीला रंग जीवन के इस सबसे बड़े भरोसे का प्रतीक है. सृष्टिकर्ता ने भी विश्व में नीला रंग सर्वाधिक रखा है. समुद्र और नदियों का रंग भी नीला ही दिखता है. मनोविज्ञान के अनुसार नीला रंग बल, और वीर भाव का प्रतीक है. ऐसा बल जिसमें मर्यादा है और अहंकार बिल्कुल नहीं है.