Death Anniversary: सादगी और कर्मठता के प्रतीक माने जाते हैं मनोहर पर्रिकर

हमारे देश में नेताओं की छवि काफी धूमिल हो चुकी है लेकिन कुछ ही गिने चुने नेता है जिन्हें लोग सम्मान भरी नजरों से देखते हैं. उनमें से एक हैं मनोहर पर्रिकर, भले ही आज उनकी पहली पुण्यतिथि है लेकिन उनकी पहचान भारतीय राजनीति में हमेशा एक कर्मठ और ईमानदार राजनेता के तौर पर ही रहेगी.

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मनोहर पर्रिकर का पूरा नाम मनोहर गोपाल कृष्ण प्रभु पर्रिकर था.

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देश के महान नेता मनोहर पर्रिकर का 17 मार्च 2019 में कैंसर की वजह से मृत्यु हो गई थीं. इस मौके पर देश के प्रधानमंत्री समेत तमाम बड़े नेताओं ने पर्रिकर को श्रद्धांजलि दी.

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मनोहर पर्रिकर पहले ऐसे भारतीय मुख्यमंत्री थे जिन्होंने आई आई टी से स्नातक किया.

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पर्रिकर अपने स्कूलों के दिनों से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) में शामिल हो गए थे. इसके बाद आगे की पढ़ाऊ के लिए मुंबई चले गए लेकिन अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद एक बार फिर उन्होंने आरएसएस से जुड़ गए. जिसके बाद उन्हें बीजेपी पार्टी का सदस्य बनने का मौका मिला और उन्होंने बीजेपी पार्टी की तरफ से पहली बार चुनाव भी लड़ा.

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पर्रिकर के गोवा के मुख्यमंत्री बनने के लगभग 1 साल बाद ही उनकी पत्नी की मृत्यु हो गई थी. उनकी पत्नी का नाम मेधा पर्रिकर था और पर्रिकर और मेधा की शादी साल 1981 में हुई थी.

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पर्रिकर के कुल दो बच्चे हैं. जिनमें से पहले बच्चे का नाम उत्पल पर्रिकर है, जबकी दूसरे लड़के का नाम अभिजीत पर्रिकर है. वहीं पर्रिकर के दोनों बच्चों का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है. पत्नी की मृत्यु के बाद पर्रिकर ने राज्य के साथ-साथ दोनों बच्चों का भी पालन पोषण किया.

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बीजेपी ने पहली बार पर्रिकर को साल 1994 में गोवा की पणजी सीट से विधानसभा चुनाव लड़ने के लिए टिकट दिया. वहीं  पर्रिकर को इस चुनाव में जीत मिली. 

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साल 2000 में गोवा में हुए विधान सभा चुनावों में बीजेपी पार्टी को लोगों का साथ मिला और बीजेपी को गोवा की सत्ता में आने का मौका मिला. जिसके बाद पर्रिकर को गोवा का मुख्यमंत्री बना दिया गया.

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2000 से 2005 तक और 2012 से 2014 तक  पर्रिकर गोवा के मुख्यमंत्री के साथ ही वे बिजनेस सलाहकार समिति के सदस्य भी रहे.

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2014 में हुए लोकसभा चुनाव में बीजेपी पार्टी को जीत मिली और पार्टी केंद्र में अपनी सरकार बनाने में कामयाब हुई. उस समय पर्रिकर को देश के रक्षा मंत्री के रूप में चुना गया. देश के रक्षा मंत्री बनने के लिए पर्रिकर को अपना मुख्यमंत्री का पद छोड़ना पड़ा और उनकी जगह लक्ष्मीकांत को राज्य का मुख्यमंत्री बनाया गया. लेकिन 2017 के गोवा चुनाव के बाद गोवा के विधायकों ने अपने राज्य के लिए पर्रिकर को मुख्यमंत्री बनाने का प्रस्ताव रखा गया है. जिसके चलते पर्रिकर को अपना रक्षा मंत्री पद छोड़ना पड़ा और वो गोवा के मुख्यमंत्री पद को संभालने गोवा वापस आ गए.