International Tiger Day: टाइगर का दोस्त था बस्तर का ये लड़का, इस पर फिल्म बनी और ऑस्कर भी जीता!

International Tiger Day: आपने अपने बचपन में मोगली के बारे में जरूर सुना होगा. ऐसी ही एक कहानी आज हम आपके लिए लेकर आए हैं, जिस पर हॉलीवुड फिल्म बनी है और इस फिल्म ने ऑस्कर अवार्ड भी जीता है...

 

नई दिल्ली, International Tiger Day :  छत्तीसगढ़ के घने जंगलों के बीच एक ऐसी दोस्ती की कहानी बनी, जिसका देश ही नहीं बल्कि दुनिया में बोलबाला हुआ. खूंखार बाघ और आदिवासी चंदेरू की दोस्ती की चर्च सुन डायरेक्टर उन्हें ढूंढते हुए आ पहुंचे और उनकी दोस्ती की फिल्म एक फिल्म बनाई, जिसका नाम है The jungle saga.पढ़िए खबर विस्तार से...

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आपने अपने बचपन में मोगली के बारे में जरूर सुना होगा. जंगल का हर जानवर मोगली के परिवार का हिस्सा था. मोगली जंगल में रह रहे हर एक जानकर का रक्षक भी था, लेकिन जंगल का राजा कहा जाना वाला शेर उनके खून का प्यासा था. शेर मोगली को जान से मारकर उसे खाने की हर मुमकिन कोशिश करता, लेकिन हर बार विफल हो जाता था. यह कहानी इस सीरियल को और भी ज्यादा रोचक बनाती थी. लेकिन एक कहानी भारत के छत्तीसगढ़ की भी है, जिस पर पूरी फिल्म बन गई और इस फिल्म ने ऑस्कर अवार्ड भी जीत लिया. जी हां ये कहानी है 'द टाइगर बॉय चेंदरू' की, जिसे आज भी याद किया जाता है. आज एक्सप्लेनर में हम इसी कहानी के बारे में विस्तार से जानेंगे.

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आज भी दुनियाभर में आदिवासी और आदिवासी इलाकों की कहानी की भरमार है. कई ऐसे किस्से भी हैं, जिसे सुन हर कोई दंग रह जाता है. इसी कहानी में से एक है चेंदरू की कहानी, जिसे 'द टाइगर बॉय' के नाम से जाना जाता है. यह किस्सा है छत्तीसगढ़ के घने जंगल अबूझमाड़ का. चेंदरू छत्तीसगढ़ के अबूझमाड़ घने जंगलों में पला बढ़ा था. यूं तो चंदेरू का निधन 78 वर्ष साल 2013 में हो गया था, लेकिन लोग आज भी चंदेरू का याद करते हैं. इसके पीछे की वजह थी चेंदरू और बाघ के बीच जय-वीरू जैसी दोस्ती... इनकी दोस्ती की कहानी आज भी पूरी दुनिया में मशहूर है.

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स्थानीय लोगों ने चंदेरू के बारे में अधिक जानकारी देते हुए बताया कि चेंदरू मंडावी नारायणपुर जिले के गढ़बेंगाल गांव के एक आदिवासी परिवार का रहने वाला था. बस्तर के अलावा दुनियाभर में लोग चेंदरू को टाइगर बॉय और मोगली के नाम से जानते थे. चेंदरू के पिता और दादा एक शिकारी थी. एक दिन चंदेरू के पिता और दादा जंगल से लौटते समय चंदेरू के लिए बांस की टोकरी में रखकर एक तोहफा लाए, जिसने चेंदरू का जीवन ही बदल दिया.  इस बांस की टोकरी में बाघ का बच्चा था. बाघ के बच्चे को देखकर चंदेरू ने उसे एकदम से गले लगा लिया. इसके बाद दोनों के बीच अच्छी दोस्ती हो गई.  चंदेरू और बाघ हमेशा एक साथ समय बिताते थे, एक साथ खाते-पीते व खेलते थे. दोनों की दोस्ती देश ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मशहूर हो गई. 

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चेंदरू और बाघ की दोस्ती को देखने के लिए दुनियाभर से लोग आते थे और उनके साथ फोटो खिंचवाने के लिए परेशान रहते थे. यह खबर इतनी तेजी से फैली कि हॉलीवुड वाले खुद बी खुद चंदेरू को ढूंढते हुए छत्तीसगढ़ के घने जंगल अबूझमाड़ आ पहुंचे. इसके बाद इस कहानी पर एक फिल्म बनी, जिसका नाम 'द जंगल सागा' था.  'द जंगल सागा' फिल्म में दर्शाया गया है कि कैसी एक खूंखार बाघ और चंदेरू के बीच गहरी दोस्ती हो गई. चंदेरू और बाघ हमेशा एक साथ समय बिताते थे, एक साथ खाते-पीते व खेलते थे. 

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इस फिल्म ने 60 के दशक में पूरी दुनिया का ध्यान अपनी ओर खींचा और मशहूर हुए थे. इस फिल्म को इतना पसंद किया गया कि चेंदरू रातों-रात हॉलीवुड स्टार हो गया. 'द जंगल सागा' फिल्म यूरोपीय देशों के सेल्यूलाइट पर्दे पर चली और इस धमाकेदार मूवी ने ऑस्कर अवार्ड भी अपने नाम किया था. इस फिल्म की लोकप्रियता इतनी थी कि बस्तर का चेंदरू रातों रात स्टार बन गया था.  

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