NDRF स्थापना दिवस : वे पांच आपदाएं जब NDRF ने हमें बचाया

आपदा के जिस बुरे समय में हम सबसे अधिक असहाय हो जाते हैं तब हमारे सामने संकटमोचक बनकर आते हैं NDRF के जवान. कठिन से कठिन स्थिति हो, सीमाएं तोड़ती नदी, जमीन पलट देने वाले भूकंप या सब कुछ उड़ा ले जाने वाले तूफान ही क्यों न हों, NDRF (National Disaster Response Force) के सदस्य कभी हार नहीं मानते.  19 जनवरी 2006 को अस्तित्व में आया NDRF देश का एक विशेष बहु-कुशल बल है. मंगलवार को यह बल 16वां स्थापना दिवस मना रहा है. इस मौके पर जानिए वह पांच त्रासदियां, जब NDRF ने हमारी जान बचाई.

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साल 2015 के अप्रैल में भारत का पड़ोसी देश नेपाल पर भूकंप की भयंकर आपदा की मार पड़ी. यह त्रासदी इतनी भयानक था कि यह पर्वतीय देश कुछ सेकेंड में खंडहर जैसा नजर आने लगा. कई ऐतिहासिक इमारतों को तो नुकसान पहुंचा ही साथ ही कई लोग इनके मलबों के नीचे दब गए. इसके बाद NDRF ने ऑपरेशन मैत्री के तहत बड़ा राहत अभियान चलाया. बल के लोगों ने कई पीड़ितों को मलबों के नीचे से जीवित बरामद किया तो कई लोगों को राहत स्थलों तक पहुंचाया.

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16 जून 2013 को केदारनाथ में भारी बारिश और बाढ़ ने भयंकर आपदा पैदा की. इस आपदा में 4,400 से अधिक लोग मारे गए या लापता हो गए. आपदा से पहले गौरीकुंड से केदारनाथ जाने वाला पैदल मार्ग रामबाड़ा और गरुड़चट्टी से होकर गुजरता था, लेकिन मंदाकिनी नदी के उफनती लहरों ने रामबाड़ा का अस्तित्व ही खत्म कर दिया और इसी के साथ यह रास्ता भी तबाही की भेंट चढ़ गया. NDRF ने इस त्रासदी में बड़ा राहत अभियान चलाया और केदारनाथ यात्रा के कई यात्रियों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया.  

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सितम्बर 2014 में, मूसलाधार मानसूनी वर्षा के कारण तबके जम्मू और कश्मीर में भयंकर बाढ़ आई थी. इस बाढ़ का असर इतना भयानक था कि राज्य के 450 गांव पूरी तरह इसकी चपेट में शुरुआत में ही आ गए थे. सेना और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन बल (NDRF) के द्वारा 14 सितंबर भारतीय सेना और NDRF ने 1,84,000 से भी ज्‍यादा लोगों को सुरक्षित स्थान पर पहुंचा दिया था. इस दौरान NDRF ने पीड़ित लोगों तक टेंट, खाद्य पदार्थ और पेयजल भी पहंचाए थे.

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साल 2015 में दक्षिण भारत भयंकर बाढ़ आपदा का गवाह बना था. यहां नवंबर-दिसंबर में उत्तर-पूर्वी मॉनसून के कारण आई थी. इसने तमिल नाडु, आंध्र प्रदेश और पुदुच्चेरी को प्रभावित किया. इस बाढ़ ने चेन्नई शहर को विशेष रूप से प्रभावित किया. इस बाढ़ के कारण लगभग 300 लोग मारे गए, 18 लाख से अधिक लोग प्रभावित हुए.  तमिलनाडु में एनडीआरएफ का किसी भी बाढ़ में सबसे बड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन रहा.  एनडीआरएफ दलों ने 16,000 लोगों को राज्य में सुरक्षित स्थानों तक पहुंचाया.

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साल 2014 में आया हुदहुद तूफान भी एक बड़ी आपदा था. विशाखापत्तनम के तट से टकराए इस तूफान ने दक्षिण भारत में बड़ी तबाही मचाई थी. तूफान के लिए अलर्ट जारी करने के साथ ही NDRF की 44 टीमें बंदरगाह शहर और अन्य प्रभावित क्षेत्रों में तैनात थी. इनमें 2000 से ज्यादा बचाव कर्मी और 220 से अधिक नौकाएं शामिल रही थीं.