सुशांत सिंह राजपूत की मौत का रहस्य यहां छिपा है

युवा अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत (Sushant Singh Rajput) की आत्महत्या की खबर चौंकाने वाली है. उनकी मौत के कारणों में बारे में कई तरह की थ्योरी बताई जा रही है. जिसमें उनकी पूर्व सेक्रेटरी की आत्महत्या, प्रेमिका अंकिता लोखंडे की सगाई, काम नहीं होना जैसे कई कारण गिनाए जा रहे हैं. लेकिन सुशांत की मौत की वजह कहीं बाहर नहीं बल्कि खुद उनके अंदर थी. जिसने उन्हें अपनी जान लेने के लिए प्रेरित किया. आइए बताते हैं कैसे--

 

 

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आत्महत्या कोई सामान्य बात नहीं है. बेहद अजीबोगरीब मानसिक परिस्थितियों में ही कोई शख्स आत्महत्या के लिए तैयार होता है. सुशांत सिंह राजपूत की इस इंस्टाग्राम पोस्ट को गौर से देखिए. इसमें सुशांत ने एक खास शब्द का इस्तेमाल किया है 'Panpsychism'. जो कि दार्शनिक विचारधारा की एक खास अवधारणा है. इसमें मनुष्य दुनिया की हर रचना में ईश्वर के दर्शन करता है और आखिरकार उसमें मिल जाने की प्रवृति रखता है. इस अवधारणा में गहरे उतरने पर अपना भौतिक अस्तित्व मिटा देने की इच्छा प्रकट होती है. जो कि आत्महत्या जैसे कार्य में सामने आती है. सुशांत ने यह पोस्ट 27 अप्रैल को लिखी थी. जिसमें वह Panpsychism यानी सर्वात्मवाद का उल्लेख कर रहे हैं.   

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सुशांत की आत्महत्या के कारणों के समझने के लिए उनकी मानसिक अवस्था को समझना जरुरी है. इसके लिए हमने उनकी इंस्टाग्राम पोस्ट का सहारा लिया. जो उन्होंने आत्महत्या से कुछ ही समय पहले लिखी थी. इसमें सुशांत की मानसिक स्थिति का संकेत मिलता है. जैसे 26 मई यानी आत्महत्या से लगभग 20 दिनों पहले लिखी इस पोस्ट में सुशांत सिंह राजपूत बौद्ध धर्म में प्रचलित अवतंसक सूत्र का जिक्र कर रहे हैं. यह बौद्ध धर्म में प्रचलित महायान शाखा का बेहद प्रचलित सूत्र है.  इस अवतंसक सूत्र में बताया गया है कि वृहत् ईश्वरीय चेतना(conciousness) मनुष्य के भौतिक स्वरुप के अंदर वास करती है. सुशांत ने अपनी पोस्ट में अवतंसक सूत्र का वैज्ञानिक आइंस्टीन की थ्योरी से जोड़ने की कोशिश की है. शायद सुशांत ने इन सूत्रों में बताई गई वृहत ईश्वरीय चेतना से मिलन के लिए अपने भौतिक स्वरुप को त्याग देने यानी आत्महत्या करने का मार्ग चुना.  

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14 मई को लिखी गई सुशांत की इस पोस्ट को गौर से देखिए. इसमें उन्होंने साफ तौर पर लिखा है कि Let go without attachment. यानी बिना किसी मोह बंधन के विदा ले लेना. यह साफ तौर पर आत्महत्या का संकेत देता है. यह पोस्ट बताती है कि सुशांत सिंह राजपूत मानसिक रुप से  निर्लिप्तता के भाव में आ गए थे. उन्हें दुनिया के बंधनों से मुक्ति की इच्छा होने लगी थी.   

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4 मई को लिखी गई सुशांत सिंह राजपूत की इस पोस्ट में घोर निराशा का भाव प्रकट होता है. इसमें वह लिखते हैं कि डार्क एनर्जी, जो ब्रह्मांड के 68 फीसदी हिस्से में फैली हुई है. वह हमारे व्यवस्थित संसार के निर्माण का कारण है. सुशांत ने ब्रह्मांड के रहस्यों का जिक्र किया है. इस पोस्ट से सुशांत के अंदर की जद्दोजहद दिखाई देती है.   

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23 अप्रैल को लिखी गई अपनी पोस्ट में सुशांत सिंह राजपूत कहना चाहते हैं कि सभी के होते हुए भी मनुष्य दुनिया में अकेला होता है(You are nobody but yourself). हालांकि इस पोस्ट के अंदर सुशांत जूझने और इस दुनिया की कठिन जंग में हिस्सा लेने का संकेत देते हैं. यह पोस्ट उनके अंदर चल रहे वास्तविक और आभासी दुनिया के द्वंद्व को दर्शाती है.    

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सुशांत सिंह राजपूत ने यह पोस्ट 3 जून को लिखी है. जिससे यह पता चलता है कि वह अपनी मां से कितना ज्यादा अटैचमेन्ट महसूस करते थे. वह उनकी यादों से कभी बाहर नहीं निकल पाए. उनकी माताजी का देहांत काफी पहले हो चुका था. शायद सुशांत अपनी जान लेकर अपनी मां से मिलने की ख्वाहिश रखते हों.   

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ऐसा बिल्कुल नहीं है कि सुशांत की हर पोस्ट से उनकी मृत्यु की ख्वाहिश प्रकट होती हो. 5 मई को लिखी गई उनकी ये पोस्ट दिखाती है कि वह अपनी आत्महत्या की प्रवृति से लगातार जंग कर रहे थे. वह अपनी जिंदगी को भरपूर तरीके से जीने की भी इच्छा रखते थे.  इस पोस्ट में सुशांत ने आपने शिड्यूल का जिक्र किया है. जिसमें शारीरिक से लेकर मानसिक स्वास्थ्य की भी बाते हैं. लेकिन आखिरकार सुशांत अपनी जिंदगी की जंग हार ही गए.