सनातन परंपरा की बात करें तो कहा जाता है कि दान व दूसरों की मदद करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. शायद यह अवधारणा इसलिए भी है ताकि आपकी मदद से कोई समाज में मौजूद जरूरतमंद लोगों का भला हो सके. और मकर संक्रांति (Makar Sankranti) में तो दान-पुण्य का खास महत्तव है.
जहां भारत की बात आती है तो उसकी परंपरा और संस्कृति सबसे पहले आती है. इन्हीं परंपराओं में सनातन परंपरा का खास महत्व है. कहते हैं जब किसी शुभ कार्य या किसी त्योहार में आप दान-पुण्य का काम करते हैं तो उसका महत्व कई गुणा बढ़ जाता है. सनातन परंपरा की बात करें तो कहा जाता है कि दान व दूसरों की मदद करने से पुण्य की प्राप्ति होती है. शायद यह अवधारणा इसलिए भी है ताकि आपकी मदद से कोई समाज में मौजूद जरूरतमंद लोगों का भला हो सके.
मकर संक्रांत (Makar Sankranti) की जब बात करते हैं तो हमें दान पुण्य की याद जरूर आती है. क्योंकि इस पर्व के आराध्य ही सूर्यदेव है जो खुद भी बहुत बड़े दानी है. सूर्य पूरी दुनिया को प्रकाश दे रहे हैं तो वहीं उनके पुत्र कर्ण की दानी प्रवृत्ति के बारे में कौन नहीं जानता.
14 जनवरी को लोग संक्रांत (Makar Sankranti) मनाते हैं और दिन की शुरुआत गंगा स्नान या किसी भी नदी में स्नान कर के करते हैं. इस स्नान के तुरंत बाद लोग दान देते हैं ताकि उन्हें पुण्य की प्राप्ति हो सके. वहीं दान में कुछ लोग तिल, तेल तो कुछ गर्म कपड़े देते हैं.
मकर संक्रांति (Makar Sankranti significance) के दिन स्नान करते समय पानी में काला तिल जरूर डालें. कहा जाता है कि तिल के पानी से स्नान करना बेहद ही शुभ होता है. साथ ही ऐसा करने वाले व्यक्ति को रोग से मुक्ति भी मिलती है. यदि कोई बीमार है तो, उसे मकर संक्रांति के दिन तिल का उबटन लगाकर स्नान करना चाहिए. ऐसा करने से व्यक्ति की काया निरोगी बनी रहती है.
अगर आपकी कुंडली में सूर्य नीच का है तो मकर संक्रांति (Makar Sankranti Festival importance) के दिन घर में सूर्य यंत्र की स्थापना करें और सूर्य मंत्र का 501 बार जाप जरूर करें. साथ ही सूर्य देव को प्रसन्न करने के लिए पके हुए चावल में गुड़ और दूध मिलाकर खाना चाहिए.