चंडीगढ़: किसान आंदोलन का सियासी लाभ लेने के लिये राजनीतिक दलों में होड़ लगी हुई है. कांग्रेस पंजाब और हरियाणा में इसे भुनाने में लगी हुई है. हरियाणा में भाजपा के नेतृत्व वाली BJP-JJP सरकार को अस्थिर करने के लिये कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव (No Confidence Motion) लाने का ऐलान किया है.
हरियाणा में भाजपा के पास पूर्ण बहुमत नहीं
हरियाणा में भाजपा के पास अकेले दम पर सरकार चलाने लायक ताकत नहीं है. दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी के समर्थन से भाजपा की सरकार चल रही है. कृषि कानूनों के मुद्दे पर JJP और BJP में परस्पर कुछ मनमुटाव है. कांग्रेस इसी का फायदा लेना चाहती है. अगर दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी ने खट्टर सरकार के समर्थन में वोटिंग नहीं की तो सरकार गिर सकती है.
हालांकि अभी विधानसभा स्पीकर को स्वीकार करना है कि सदन में अविश्वास प्रस्ताव आ सकता है या नहीं.
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हरियाणा विधानसभा का सत्र पांच मार्च से शुरू
आपको बता दें कि हरियाणा विधानसभा का बजट सत्र पांच मार्च से शुरू हो रहा है. कांग्रेस सत्र के पहले दिन सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लाने का ऐलान कर चुकी है. सरकार के खिलाफ अविश्वास का प्रस्ताव मंजूर होगा या नहीं, यह फैसला विधानसभा अध्यक्ष करेंगे. अगर अविश्वास प्रस्ताव मंजूर हो जाता है तो जजपा के लिये भी संकट खड़ा हो जाएगा.
दुष्यंत चौटाला के सामने कई चुनौतियां
गौरतलब है कि 2014 विधानसभा चुनाव में जाट किसान मतदाताओं ने खुलकर जजपा का समर्थन किया था. इस समय केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ ये वर्ग आंदोलन भी कर रहा है. दूसरी तरफ सरकार में रहते हुए कृषि कानूनों का विरोध करना दुष्यंत चौटाला के लिये पहले ही बहुत मुश्किल है और अगर उन्हें विरोध करना होगा तो पहले उपमुख्यमंत्री की कुर्सी छोड़नी पड़ेगी. अपने वोटबैंक और सत्ता, दोनों को बचाने की चुनौती दुष्यंत चौटाला के सामने है.
आपको बता दें कि यदि जजपा खट्टर सरकार से समर्थन वापस लेती है तो सरकार बहुत दिन नहीं चल पाएगी तथा ऐसी स्थिति में नए सिरे से विधानसभा चुनाव कराने पड़ सकते हैं.
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