क्या Congress की बर्बादी का कारण हैं प्रियंका गांधी वाड्रा?
राजनीति चमकाने में कांग्रेस पार्टी का कोई जवाब नहीं.. लेकिन इन दिनों कांग्रेस की हालत काफी डांवाडोल है, सवाल ये है कि आखिर कांग्रेस की ऐसी टूटती-फूटती हालत का असल जिम्मेदार कौन है?
नई दिल्ली: कहते हैं राजनीति संभावनाओं का खेल है. लेकिन कांग्रेस पार्टी में गांधी परिवार (Gandhi Family) और उनके चमचों को छोड़कर किसी दूसरे के लिए कोई संभावना की गुंजाइश नहीं है. ये बार-बार साबित हो चुका है कि कांग्रेस (Congress) पार्टी सिर्फ और सिर्फ गांधी एवं वाड्रा परिवार के हितों की पार्टी बनकर रह गई है.
ऐसा कहा जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी (Congress Party) अपने नए पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के लिए बड़ा कदम उठाने वाली है. लेकिन, अगर सीधे शब्दों में कहें तो ये चुनाव सिर्फ एक ढकोसला है. ऐसा हम क्यों कह रहे हैं आपको तफसील से समझाते हैं. दरअसल इसकी वजह है कांग्रेस की चाटुकारिता परंपरा
कांग्रेस की दौड़, गांधी परिवार तक..
एक बड़ी मशहूर कहावत है "मियां की दौड़ मस्जिद तक", उसी प्रकार कांग्रेस पार्टी की दौड़ गांधी-वाड्रा परिवार तक.. कांग्रेस पार्टी के पास परिवार को छोड़कर दूसरा कोई विकल्प नहीं है. पहले पार्टी ने परिवार के युवराज पर दाव खेला. दो लोकसभा चुनाव में राहुल बाबा (Rahul Gandhi) ने एड़ी-चोटी का जोर लगा दिया, लेकिन इसे उनकी बदकिस्मती कहें या फिर कांग्रेस पार्टी के घोटालों और पाप का नतीजा. कांग्रेस का करारी हार का मुंह देखना पड़ा.
अब सवाल ये था कि राहुल बाबा तो बार-बार फेल हो रहे हैं. ऐसे बुरे हालात में फैमिली की कठपुतली वाली पार्टी ने परिवार के दूसरे सदस्य पर कार्ड खेला. मैडम सोनिया की बेटी और वाड्रा फैमिली की 'महारानी' प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) ने आखिरकार भाई के कंधे पर पार्टी को डूबता देख एक फैसला किया. यहीं से हुई प्रियंका गांधी वाड्रा (Priyanka Gandhi Vadra) की पॉलिटिक्स में एंट्री.
लेकिन 'जूनियर मैडम' प्रियंका के आते ही राहुल बाबा के भरोसेमंद नेताओं को साइड किया जाने लगा. हां ये बात अलग है कि कांग्रेस पार्टी (Congress Party) का कंट्रोल गांधी परिवार के ही पास है. फर्क सिर्फ इतना है कि अब इस कठपुतली की बागडोर युवराज के हाथों से छीनकर महारानी को दे दी गई. गौर करिएगा कि ये बागडोर आधिकारिक नहीं है, इसका असर सिर्फ फैसलों में दिखता है.
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तो क्या दिखावा नहीं है ऑनलाइन वोटिंग?
ऐसी जानकारी सामने आई थी कि भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) पार्टी अपना नया अध्यक्ष चुनने के लिए ऑनलाइन वोटिंग कराने जा रही है. जिसके मतदान करने वाले सदस्यों की डिजिटल लिस्ट तैयार कर ली गई है. जैसे ही कांग्रेस वर्किंग कमेटी हरी झंडी देती है तो 15 दिन में चुनाव कराए जाएंगे.
सोनिया गांधी (Sonia Gandhi) अगस्त 2019 से कांग्रेस अध्यक्ष हैं. संभावना जताई जा रही है कि फरवरी 2021 तक कांग्रेस पार्टी को नया अध्यक्ष मिल जाएगा. लेकिन कांग्रेस पार्टी आखिर ऑनलाइन वोटिंग का दिखावा क्यों कर रही है? ये समझने वाली बात है.
कांग्रेस (Congress) के कई दिग्गज नेताओं ने पार्टी में फूट की आशंका पर कई दफा इशारे-इशारे में साफ कर दिया है. पार्टी में मची कलह सच साबित कर रही है कि कांग्रेस पार्टी में सबकुछ ठीक नहीं है. एक के बाद एक कई नेताओं ने अपनी बेवफाई का परिचय दे दिया है. ऐसे में इन नाराज नेताओं को मनाने के लिए चुनाव और ऑनलाइन वोटिंग का फॉर्मूला तैयार कर लिया. कांग्रेस पार्टी के पास डैमेज कंट्रोल के लिए कोई दूसरा चारा नहीं बचा.
इसीलिए कांग्रेस अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की तैयारी शुरू कर दी. कई दिग्गज नेताओं ने ये सवाल उठाया है कि कोई पार्टी भला इतने लंबे वक्त कर कार्यकारी अध्यक्ष पर कैसे चल सकती है?
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प्रियंका के आते ही बिखरने लगी पार्टी
प्रियंका गांधी वाड्रा की एंट्री के बाद से मानो कांग्रेस की बर्बादी का अध्याय शुरू हो गया. कई मेहनती और जमीनी नेताओं को दरकिनार किया जाने लगा. दिग्गज नेताओं की तो मानिए शामत ही आ गई. तभी तो कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, पी. चिदंबरम, सचिन पायलट, संजय निरुपम.. ऐसे कई सारे नाम हैं, जिन्होंने खुले तौर पर पार्टी की कार्यशैली को कटघरे में खड़ा किया है.
ये कहना गलत नहीं होगा कि प्रियंका के आते ही कांग्रेस पार्टी बिखरने लगी है. लेकिन, गांधी परिवार के करीबियों की चांदी हो गई है. गहलोत से लेकर, कमलनाथ तक.. रणदीप सुरजेवाला तक.. सभी को पार्टी में खूब तवज्जो दी जा रही है.
लेकिन एक बात बिल्कुल हजम नहीं हो रही है कि आखिर भाजपा छोड़कर कांग्रेस में आए उदित राज को कांग्रेस, या यूं कहें गांधी परिवार की खूब वाह-वाही मिल रही है. ये कहीं न कहीं प्रियंका की ही गणित है. माना तो ये भी जा रहा है कि दिग्गज नेताओं की नाराजगी की एक बड़ी वजह ये भी है.
कांग्रेस का नेतृत्व गांधी परिवार के अलावा कोई और कर सकता है. ये सोचा भी नहीं जा सकता. ऐसे में प्रियंका गांधी वाड्रा ही स्वाभाविक दावेदार हैं. अगर आपको यकीन नहीं हो रहा है तो, इस रिपोर्ट को पढ़ लीजिए..
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अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान करने वाले सदस्यों की डिजिटल लिस्ट तैयार करने में CEC जुट गई है. सूत्रों के मुताबिक CEC कांग्रेस के Regular अध्यक्ष पद के लिए पूरी तरह तैयार है. CWC की हरी झंडी के बाद 15 दिन के भीतर चुनाव कराया जा सकता है.
बता दें, 2019 अगस्त से सोनिया गांधी फिलहाल पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष हैं. राहुल गांधी 2017 में राहुल गांधी बने थे अध्यक्ष, 2019 लोकसभा चुनाव के नतीज़ों के बाद उन्होंने इस्तीफ़ा दे दिया था. पार्टी अध्यक्ष का कार्यकाल 5 साल का होता है. यानि फिलहाल जो भी अध्यक्ष बनेगा वो 2022 तक के लिए बनेगा.
सेंट्रल इलेक्शन अथॉरिटी कमेटी के अध्यक्ष मधुसूदन मिस्त्री हैं. कांग्रेस पार्टी को सत्ता से दूरी बर्दाश्त नहीं होती है. कांग्रेस को देश पर राज करने की मानो आदत सी पड़ चुकी है, ऐसे में सत्ता से दूर रहने पर उसे सिर्फ भड़काकर सियासत चमकाना आता है. किसान आंदोलन इस बात का सबसे बड़ा सबूत है.
किसान आंदोलन को लेकर कांग्रेस पार्टी की सियासत चरम पर है. राहुल बाबा खुद एक के बाद एक बयानबाजी कर रहे हैं. खुद कांग्रेस के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसान आंदोलन पर चिंता जाहिर करते हुए ये कहा है कि इस आंदोलन से राष्ट्रीय सुरक्षा को खतरा है. लेकिन राहुल गांधी और मैडम प्रियंका को ये सब मजाक लग रहा है और उन्हें तो सिर्फ सियासत चमकाने से मतलब है.
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खैर, कांग्रेस पार्टी पर एक परिवार का कब्जा है, इस बार से इनकार नहीं किया जा सकता है. लेकिन वर्तमान में कांग्रेस पार्टी की हालत कितनी बदतर है ये बताना जरूरी नहीं है, हर कोई कांग्रेस की कलह से वाकिफ है. लेकिन सवाल फिर से यही है कि इस हालत का जिम्मेदार कौन है? कांग्रेस में टूट की संभावना की असल वजह क्या है? इसका जवाब भी एक सवाल ही है कि क्या Congress की बर्बादी का कारण हैं प्रियंका गांधी वाड्रा?
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