साबित हो गया कि एक परिवार की जागीर बनकर रह गई है कांग्रेस पार्टी? पढ़ें सबूत

कांग्रेस पार्टी सिर्फ और सिर्फ गांधी एवं वाड्रा परिवार के हितों की पार्टी बनकर रह गई है. इस पार्टी में रहकर यदि कोई परिवार के सदस्यों से कोई सवाल पूछता है तो उसे भाजपा का एजेंट साबित कर दिया जाएगा. मतलब साफ है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ एक परिवार की जागीर बनकर रह गई है. जिसका सबूत आज कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में पेश कर दिया गया.सोनिया गांधी फिलहाल कांग्रेस अध्यक्ष बनी रहेंगी.

Written by - Ayush Sinha | Last Updated : Aug 24, 2020, 09:06 PM IST
    • कांग्रेस में रहना है तो परिवार का माला जपना है!
    • 'मम्मी' के खिलाफ बोलोगे तो, BJP के एजेंट कहलाओगे
    • एक परिवार की कठपुलती बनकर रह गई है कांग्रेस
    • फिलहाल सोनिया पर ही भरोसा
साबित हो गया कि एक परिवार की जागीर बनकर रह गई है कांग्रेस पार्टी? पढ़ें सबूत

सियासत और मतलब का आपस में बड़ा ही गहरा संबंध है, इसके लाखों उदाहरण मौजूद हैं. इस बीच कांग्रेस पार्टी में मची राजनीतिक कलह इस बात का एक बड़ा सबूत है कि ये पॉलिटिक्स मतलबियों का सबसे बड़ा ठिकाना है. सालों से कांग्रेस पार्टी सिर्फ और सिर्फ एक परिवार की कठपुतली बनकर रह गई है. जिसे आज खुद गांधी परिवार के सदस्यों ने सिद्ध कर दिया है.

CWC की बैठक में पत्र पर मचा रहा घमासान

कहां तक कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में उन मुद्दों को टटोलने की कोशिश की जाती कि मुश्किल हालात में कांग्रेस पार्टी को कैसे मुसीबत से निकाला जाए, तो इसके बजाय पूरी बैठक का सबसे बड़ा विषय ये रहा कि जिन्होंने मैडम सोनिया गांधी के कार्यशैली पर सवाल उठाया वो पार्टी के गद्दार हैं. इतना ही नहीं अंततः कांग्रेस के कुछ तथाकथित 'चमचों' ने फिर से गांधी परिवार के सदस्य को ही अध्यक्ष की कुर्सी पर विराजने की अपील कर दी.. खैर,

इस बैठक में कांग्रेस के युवराज जनाब राहुल 'बाबा' ने अपनी दर्द को बयां करते हुए कांग्रेस के ही कुछ दिग्गज नेताओं पर BJP का B ग्रुप होने का ठप्पा लगा दिया और उनमें से जब एक दिग्गज नेता ने अपनी दलील पेश करते हुए ये कहा कि अगर ये आरोप साबित हो जाएगा तो वो इस्तीफा दे देंगे तो इसके बाद कांग्रेस की 'राजकुमारी' और नई-नई राजनीति में अपना पांव जमाने की कोशिश करने वाली गांधी परिवार की बेटी प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी दिग्गज नेता की खरी-खरी कर दी. इस बीच हर कोई देखता रहा और गांधी परिवार के खासमखास चमचे परिवार के सदस्यों के सुर से सुर मिलाने का काम बखूबी किया.

'मम्मी' के खिलाफ पत्र लिखने वालों को भला-बुरा कहा

दरअसल, संगठन में बदलाव पर 23 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी. इस चिट्ठी में कई बड़ी-बड़ी बातों पर जोर दिया गया था और इस चिट्ठी को लिखने वालों में कांग्रेस के काफी दिग्गजों का नाम शामिल था. जाहिर सी बात है कि यदि पार्टी के इतने बड़े नेताओं ने कुछ सवाल किया है तो इसपर आत्म मंथन की आवश्यकता है, लेकिन राहुल बाबा के पेट में इस बात से दर्द उठ गया कि उनकी मम्मी की जब तबीयत खराब थी तो उस वक्त चिट्ठी क्यों लिखी गई?

अब राहुल बाबा ने शायद इस बात पर ज़रा भी विचार नहीं किया कि इसने सारे नेताओं दिग्गज ने चिट्ठी लिखी है, तो जरूर कहीं न कहीं खामियां रही होगी. और शायद राहुल गांधी को इस बात से भी कोई मतलब नहीं है कि यहां बात पूरे पार्टी से जुड़ी है, लेकिन उन्हें तो सिर्फ अपने परिवार से मतलब है. सबसे बड़ी बात ये कि राहुल गांधी जिस वक्त का हवाला दे रहे हैं, तो क्या यदि कोई क्रिया आज हुई हो और उसपर प्रतिक्रिया आज देनी हो तो क्या ऐसे हालात में भी वक्त का इंतजार करना चाहिए. राहुल बाबा ने ये तो नहीं सोचा कि आखिर ऐसी नौबत ही क्यों आई कि चिट्ठी लिखनी पड़ जाए और अपने परिवारवाद का सबूत देने लगे.

पत्र लिखने वाले 23 नेताओं पर सवाल, क्यों इतना बवाल?

CWC की बैठक में पत्र पर घमासान शुरू हुआ तो राहुल गांधी ये भूल गए कि पत्र लिखने वाले 23 नेता में से 4 समिति के सदस्य हैं. जानकारी ये सामने आई कि राहुल गांधी ने जब BJP के ग्रुप B होने जैसा गंभी आरोप लगाया तो उसके बाद ऑनलाइन चल रही समिति की बैठक से वो नेता ऑफलाइन हो गए. जिनके नाम ये हैं..

1). आनंद शर्मा
2). गुलाम नबी आजाद
3). मुकुल वासनिक
4). जितिन प्रसाद

कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में जैसे ही राहुल गांधी ने परिवारवाद का बिगुल बजाया, अपनी मम्मी की वकालत की और नेताओं पर आरोप लगाए. कांग्रेस के वरिष्ठ नेता खफा हैं और पलटवार करने लगे. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने बैठक के दौरान ही ट्वीट किया. सिब्बल भड़क उठे, तो मीडिया में आग की तरह खबर फैल गई, कपिल सिब्बल ने बीजेपी से मिलीभगत के आरोप को बेबुनियाद बताया और कहा कि "30 वर्षों में कभी भी बीजेपी के पक्ष में बयान नहीं दिया." जिसके बाद बैठक के बीच ही राहुल गांधी ने डैमेज कंट्रोल करने के लिए उनको फोन गिला शिकवा दूर करने की कोशिश की.

लेकिन कांग्रेस के युवराज की तरफ से लगाया गया ये आरोप गुलाम नबी आजाद को भी चुभ गया. जिसके बाद उन्होंने ये भी कहा कि "राहुल गांधी बीजेपी से मिलीभगत का आरोप साबित करें, तो आज ही इस्तीफा दे दूंगा."

ये तो गुलाम नबी आजाद का पक्ष था, लेकिन इतने में ही गांधी परिवार की एक और सदस्य, छोटी मैडम बोले तो प्रियंका गांधी वाड्रा ने भी न आव देखा न ताव और नबी साहब को जबरदस्त सुना दिया. गुलाम नबी आजाद के इस्तीफे की पेशकश के बाद प्रियंका गांधी ने आजाद को जवाब दिया. वाड्रा मैडम ने ये कह दिया कि "आप जो बोल रहे है उससे ठीक उलट आपने पत्र में लिखा है."

मम्मी के लिए प्रियंका की जुबान भी हो गई बेलगाम

चिट्ठी लिखने वाले नेताओं पर कांग्रेस महाचिव प्रियंका गांधी ने भी खूब हमला बोला. प्रियंका मैडम ने पत्र की आलोचना करते हुए अप्रत्यक्ष तौर पर उन नेताओं को दोहरे चरित्र का बता दिया. लेकिन गांधी परिवार की बेटी और कांग्रेस को अपनी जागीर समझने वालों ने इसपर विचार नहीं किया कि ऐसी नौबत आई ही क्यों?

कांग्रेस पार्टी और गांधी परिवार के कुछ करीबियों ने राहुल और प्रियंका के सुर से सुर मिलाने की प्रक्रिया जारी रखी. इस बीच अहमद पटेल ने कहा कि राहुल गांधी को अध्यक्ष पद संभालना चाहिए.

राहुल को फिर से कमान देने की हुई मांग

अहमद पटेल ने कांग्रेस कार्यसमिति में बोलते हुए कहा कि जो पत्र लिखा गया है कोई जरूरत नहीं थी, पत्र नहीं लिखा जाना चाहिए था. उन्होंने राहुल गांधी से दोबारा अध्यक्ष पद संभालने की मांग की.

सोनिया गांधी के इस्तीफे की पेशकश के बाद बैठक में राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग तेज हो गई. अहमद पटेल के अलावा राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत और छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने राहुल गांधी को अध्यक्ष बनाने की मांग कर दी. तो वहीं पूर्व पीएम मनमोहन सिंह ने सोनिया से पद पर बने रहने की अपील की.

परिवारवाद के बेड़ियों में जकड़ गई है कांग्रेस पार्टी

इस पूरे प्रकरण से ये समझना आसान हो जाता है कि कांग्रेस पार्टी इस वक्त परिवारवाद की बेड़ियों में जकड़ी हुई है, यहां बड़े से बड़े नेताओं को नीचा दिखाने के लिए परिवारवालों को खुली छूट प्राप्त है. हालांकि कपिल सिबल के ट्वीट से मचे घमासान के बाद CWC की खबर  मीडिया में देने वाले नेताओं के फोन बंद करवाये गए. नेताओ को मीटिंग के बाहर खबर देने से रोका गया. जिसके बाद बैठक जानकारी आनी बंद हो गई.

परिवार की धुरी पर चल रही कांग्रेस पार्टी में एक बगावत के सुर उठने लगे हैं. पार्टी के 23 सीनियर नेताओं ने संगठन में बदलाव को सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी थी, इसे लेकर बवाल हुआ. इस बवाल के बाद काफी नेताओं के रूठने का सिलसिला सामने आ रहा है, क्योंकि गांधी परिवार की जागीर बन चुकी कांग्रेस में लोकतांत्रिक पार्टी जैसा कोई गुण नहीं बचा दिख रहा है.

कांग्रेस के ये नेता नाराज?

  • गुलाम नबी आजाद
  • कपिल सिब्बल (मनाने पर मान गए)
  • शशि थरूर
  • मनीष तिवारी
  • संदीप दीक्षित
  • आनंद शर्मा
  • कमलनाथ
  • राज बब्बर
  • मिलिंद देवड़ा
  • जितिन प्रसाद
  • वीरप्पा मोइली
  • भूपेंद्र सिंह हुड्डा

सूत्रों के हवाले से ख़बर सामने आ रही है कि कांग्रेस के अगले अधिवेशन तक सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष बनी रहेंगी. बताया ये भी जा रहा है कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी की बैठक में सोनिया ने कहा कि "आहत हूं लेकिन सबको मिलकर काम करना है." तो वहीं गांधी परिवार के सदस्यों का तिरस्कार झेलने वाले गुलाम नबी आजाद के लिए ओवैसी ने सलाह दी है.

AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने तंज कसते हुए कहा कि "गुलाम नबी आज़ाद हमें बीजेपी की 'बी' टीम कहते थे. अब उनकी पार्टी के पूर्व प्रमुख ने कहा कि उन्होंने पत्र पर हस्ताक्षर करके भाजपा के साथ मिलीभगत की. कांग्रेस में मुस्लिम नेता, जो समय बर्बाद कर रहे हैं, उन्हें सोचना चाहिए कि वे कब तक कांग्रेस नेतृत्व के गुलाम रहेंगे."

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गांधी परिवार के सदस्यों की जुबान से ये समझा जा सकता है कि राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को ऐसा लगता है कि कांग्रेस पार्टी सिर्फ और सिर्फ उनके परिवार की पार्टी है. यहां गांधी परिवार के खिलाफ बोलने वालों को भाजपा का एजेंट घोषित कर दिया जाएगा, चाहे वो नेता भले ही पार्टी के हितों के बारे में सोचकर ही आवाज क्यों न उछाए.

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