लखनऊ :  मानव जब जोर लगाता है, पत्थर पानी बन जाता है. कविवर रामधारी सिंह दिनकर ने जब यह पंक्तियां लिख रहे होंगे तो उनके जेहन में शायद ही यह बात आई हो कि भविष्य में न जाने कितनों के जीवन में साहस भरेगी ये पंक्तियां. स्वामी विवेकानंद ने जब उत्तिष्ठ जाग्रत प्राप्यवरान्निबोधत् कहा था तो वह केवल इसका तात्कालिक प्रभाव ही देख रहे थे. लेकिन प्रेरणा पाने वालों ने इन दोनों ही पंक्तियों को अमरता की बूटी बना लिया जो आज भी युवा शक्ति को दिशा दे रही है.


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गोरखपुर के श्रीकृष्ण पांडेय 'आजाद', गाजियाबाद के सागर कसाना, आगरा की इशिका बंसल, फतेहपुर के रविकांत मिश्र आदि ऐसे ही युवा हैं, जिन्होंने इन दोनों ही महान विभूतियों को अपनी प्रेरणा माना. इसी मंत्र को मन में जपते हुए सागर कसाना पर्वतों की ऊंचाइयों पर पहुंचे तो आजाद उस रास्ते पर निकले जहां उन्हें गंदगी में पड़े लावारिस लोग मिले जिनके बगल से समाज कतरा कर निकल जाता है. 



स्वामी विवेकानंद के उद्बोधन के साथ इन युवाओं का जिक्र इसलिए क्योंकि आने वाली 12 जनवरी को उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ उन्हें विवेकानंद यूथ अवार्ड देकर सम्मानित करेंगे. यह आयोजन 12 जनवरी 2021 को लखनऊ में आयोजित किया जाएगा. युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल विभाग द्वारा इनका चयन किया गया है. विभाग ने उन्हें सूचना दी है.  इसके लिए कागजी कार्रवाई की जा रही है.  इन युवाओं के सराहनीय कामों पर डालते हैं नजर-


लखनऊ में सम्मानित होंगे गोरखपुर के 'आजाद'
श्रीकृष्ण पांडेय 'आजाद' गोरखपुर शहर के लावारिस लोगों को अपने साथ लेकर आते हैं. उनको नहला, धुलाकर सफाई करते हैं. उनका काम यहीं खत्म नहीं होता है. आजाद ऐसे लोगों की काउंसलिंग भी कराते हैं.  कई मामलों में उनकी काउंसलिंग से विक्षिप्त लोगों की समझने की ताकत बढ़ी है और वे अपने घर भी गए. ऐसे कई लाभार्थी गोरखपुर मंडल में हैं जो आजाद के संपर्क में आने से ठीक हुए हैं. 



कैंपियरगंज के मूसाबर गांव के लालजी पांडेय के पुत्र श्रीकृष्ण पांडेय इस बारे में बताते हैं कि यह कार्य कुछ और नहीं बस मेरा झेला हुआ सच है. जीवन के दौर में एक मोड़ ऐसा भी आया जहां एक भयानक हादसे में जिंदगी जाते-जाते बची. सिर में लगी भयंकर चोट देख डॉक्टरों ने कहा कि अगर यह बचा तो सामान्य नहीं रहेगा. आजाद कहते हैं कि इस हालत में परिवार ने कोई आस नहीं छोड़ी और लगभग 6 महीने बाद सामान्य स्थिति बहाल हुई. 


उस दिन लगा कि मेरा परिवार था तो आज मैं सोचने-समझने के काबिल हूं, लेकिन वे लोग जिनका कोई नहीं उनका क्या? तभी फैसला लिया कि इनका परिवार मैं बनूंगा. शुरुआत कूड़ा बीनने वाले बच्चों को भोजन कराने से की ताकि वे नशे को भूल खाने का महत्व समझ सकें. फिर उन्हें सड़क किनारे ही Open Class वाले माहौल में पढ़ाया भी.



धीरे-धीरे कुछ लोग भी जुड़े तो लावारिस विक्षिप्त लोगों को सड़क से उठाकर उनकी जिंदगी बदलने की कोशिश की. ईश्वर की मर्जी है कि गोरखपुर, संत कबीर नगर, देवरिया, कौड़ीराम, कैंपियरगंज, बांसगांव आदि आस-पास के क्षेत्र में ऐसे कई लोग हैं जो ठीक हो सकते थे. और वे ठीक होकर घर गए. 



जिला प्रशासन के सहयोग से और खुद की टीम के साथ बीमार लोगों को टीम के सहयोग से उठाकर लाते हैं. उनकी साफ-सफाई, बाल कटाई, कपड़ा बदलना इत्यादि खुद करते हैं और फिर डॉ. अमित शाही द्वारा इलाज के साथ उनको घर भेजते हैं.  Corona काल में भी आजाद पांडेय ने लोगों का साथ नहीं छोड़ा था. गोरखपुर में कृष्णभोग संस्था के जरिए उन्होंने हर रोज हजारों लोगों को भोजन कराया और खाद्यान्न बांटे.  प्रदेश सरकार उनके इसी सामाजिक सेवाभाव को सराहने जा रही है. 


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एक सागर, जिसने छू लिए कई पहाड़
अंतर्राष्ट्रीय पर्वतारोही सागर कसाना को भी 12 जनवरी को स्वामी विवेकानन्द की जयंती पर विवेकानन्द यूथ अवार्ड देकर सम्मानित किया जाएगा.  सागर को अवार्ड देने का निर्णय शासन स्तरीय कमेटी ने लिया है. 28 नवंबर 1997 को जन्मे सागर कसाना गाजियाबाद के राजनगर एक्सटेंशन में परिवार सहित रहते हैं. सागर फिट इंडिया मूवमेंट, स्वच्छ्ता अभियान में भी महत्वपूर्व भूमिका अदा करते हैं. नगर निगम गाजियाबाद ने उनको स्वच्छ्ता अभियान का ब्रांड अंबेसडर भी बनाया है.  सागर ने पर्वतारोहण के लिए प्रशिक्षण लिया और एक-एक कर देश विदेश में स्थित पर्वतों को फतह करने लगे.



सागर ने 2016 में हिमाचल प्रदेश के सेतीदार पीक पर फतह की. 2017 में लेह लद्दाख की दूसरी सबसे ऊंची चोटी माउंट गोलाप कांगड़ी पर पहुंचे. 2018 में अरुणाचल प्रदेश के वर्जन पीक पर तिरंगा फहराकर बेटी बचाओ- बेटी पढ़ाओ का संदेश दिया. 2018 में यूरोप खण्ड की सबसे ऊंची चोटी माउंट एलब्रुस (रूस) पर तिरंगा फहराकर फिट इंडिया मूवमेंट और स्वच्छ्ता का सन्देश दुनिया को दिया. 



वह भारत के पहले पर्वतारोही बने, जिसने दोनों दिशाओं से एक बार मे पर्वत का शिखर फतह किया. 2019 में दुनिया की सबसे ऊंची चोटी माउंट एवरेस्ट पर तिरंगा फहराकर स्वच्छ्ता का संदेश दिया. 


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आगरा की इशिका, जो छोटी उम्र की लेखिका है
अपनी साहित्यिक उपलब्धियों के बल पर इशिका ने भी इस पुरस्कार की सूची में अपनी जगह बना ली है. जीडी गोयनका पब्लिक स्कूल में सौ फ़ीसदी स्कॉलरशिप प्राप्त कर पढ़ाई कर रही ताज नगरी की इशिका राष्ट्रीय स्तर पर सराहना प्राप्त अंग्रेजी लेखिका हैं. उनका चालीस अंग्रेजी कविताओं का पहला संग्रह 'थ्रेड्स ऑफ लाइफ' द पोएट्री सोसाइटी ऑफ इंडिया, गुरुग्राम द्वारा वर्ष 2017 में प्रकाशित. तब इशिका मात्र 13 वर्ष की थीं.



सैंतालीस अंग्रेजी कविताओं का दूसरा संग्रह 'माय डायरी एंड अदर पोयम्स' भारत के नामचीन प्रकाशक डायमंड बुक्स, दिल्ली द्वारा वर्ष 2019 में प्रकाशित व लोकार्पित किया. किशोरावस्था में ऐसी बड़ी उपलब्धियां इशिका को खास बनाती हैं. अंतर्राष्ट्रीय बाल दिवस (20 नवंबर, 2020) पर उत्तर प्रदेश सरकार के मिशन शक्ति अभियान के अंतर्गत आगरा शहर से इशिका बंसल को एक दिन का थानेदार बना कर सम्मानित किया गया. इस दौरान उसने शहर के प्रमुख कोतवाली हरी पर्वत थाने का चार्ज संभाला और पुलिस के आला अधिकारियों की वाहवाही लूटी. इशिका की उपलब्धियों की सूची और भी लंबी है. 



इसके अलावा उत्तर प्रदेश सरकार के युवा कल्याण एवं प्रादेशिक विकास दल विभाग ने 7 और युवा प्रेरणाओं का चयन किया है. इनमें झांसी की केतन मोर, पीलीभीत के कलीम अख्तर, लखनऊ के शुभम मिश्रा, प्रवीण कुमार गुप्ता, अजीत कुमार, अंकित मौर्य और रविकांत मिश्र शामिल हैं. 


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