Haridwar Mahakumbh 2021: जानिए, कुंभ मेले में कितने मत-कितने अखाड़े
आदि गुरु शंकराचार्य ने सुझाव दिया कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह भारत की सनातनी परंपरा में अखाड़ों की शुरुआत हुई. आज के दौर में देश में 13 अखाड़े हैं. किन्नर अखाड़ा भी अभी हाल में सामने आया है.
नई दिल्लीः Haridwar Mahakumbh-2021 के आगाज के साथ ही शाही स्नान की तिथियां भी सामने आ गई हैं. इस बार पहला शाही स्नान (Shahi Snan 2021) 11 मार्च, शिवरात्रि के दिन पड़ेगा. दूसरा शाही स्नान 12 अप्रैल, सोमवती अमावस्या के दिन पड़ेगा.
तीसरा शाही स्नान 14 अप्रैल, मेष संक्रांति पर पड़ेगा और चौथा शाही स्नान 27 अप्रैल को बैसाख पूर्णिमा के दिन पड़ेगा. शाही स्नान के साथ ही एक और शब्द सुनाई देता है वह है अखाड़ा..
ऐसा होता है शाही स्नान
शाही स्नान में साधु-संतों के बड़े-बड़े दल शामिल होते हैं. इन दलों को अखाड़ा कहते हैं. Mahakumbh में स्नान के लिए जाते हुए अखाड़ों की ओर से झांकियां निकाली जाती हैं. इसमें नागा बाबा आगे-आगे चलते हैं और उनके पीछे महंत, मंडलेश्वर, महामंडलेश्वर और आचार्य महामंडलेश्वर होते हैं.
यह एक तरीके से सांस्कृतिक वैभव का नजारा होता है, जो सनातन परंपरा की प्राचीनता को सामने रखता है. इस दौरान संत समाज के लोग और अधिष्ठाता विशेष सजी हुई और सोने-चांदी की पालकियों में बैठकर पूर्ण भव्य श्रृंगार के साथ यात्रा निकालते हुए नदी तट तक पहुंचते हैं.
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आदि गुरु शंकराचार्य ने दिया है वर्तमान स्वरूप
एक मान्यता है, भारत में सनातन धर्म के वर्तमान स्वरूप का निर्मांण आदि गुरु शंकराचार्य ने किया था. उन्होंने देश के चार कोनों उत्तर में बद्रीनाथ, दक्षिण में रामेश्वरम, पूर्व में जगन्नाथ पुरी और पश्चिम में द्वारिका पीठ की स्थापना की थी. इसी के साथ उन्होंने भारत देश को धार्मिक एकता के सूत्र में बांधा था. चार मठों की स्थापना का उद्देश्य था कि लोग चारों मठों की यात्रा करें और देश की अखंड संस्कृति से परिचित हों.
साधु समाज के लिए जरूरी है शास्त्र के साथ शस्त्र शिक्षा
इस स्थापना से पहले आदि गुरु ने भारत-भ्रमण किया था. इसके जरिए उन्होंने जाना कि साधु समाज के सिर्फ उपदेश और आध्यात्म से संस्कृति की सुरक्षा नहीं हो पाएगी. धर्म और सनातन विरोधी शक्तियां आगे परेशानी का सबब बन सकती हैं, इसलिए उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि साधु समाज शारीरिक बल को भी अपनाए.
योग की प्रक्रिया के महत्व को समझे. शारीरिक सौष्ठव के लिए पहलवानी करे और शास्त्र के साथ शस्त्र की भी दीक्षा ले. यह उदाहरण युगों पहले भगवान विष्णु के छठें अवतार परशुराम से मिलता है.
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तीन मत और 13 अखाड़े
शंकराचार्य ने ये भी सुझाव दिया कि मठ, मंदिरों और श्रद्धालुओं की सुरक्षा के लिए जरूरत पड़ने पर शक्ति का इस्तेमाल किया जा सकता है. इस तरह भारत की सनातनी परंपरा में अखाड़ों की शुरुआत हुई. आज के दौर में देश में 13 अखाड़े हैं. सनातन परंपरा के ये सभी 13 अखाड़े तीन मतों में बंटे हुए हैं.
यह तीन मत हैं शैव संप्रदाय, वैरागी वैष्णव संप्रदाय, और उदासीन संप्रदाय. शैव वह हैं, जिनके अधिष्ठाता भगवान शिव हैं. वैरागी वैष्णव संप्रदाय श्रीहरि को अभीष्ठ मानते हैं. उदासीन संप्रदाय प्रकृति को ही ईश्वर मानकर अपना अभीष्ठ मानते हैं.
इन तीनों ही मतों के अखाड़े इन नामों से जाने जाते हैं.
शैव संप्रदाय- आवाह्न, अटल, आनंद, निरंजनी, महानिर्वाणी, अग्नि, जूना
वैष्णव संप्रदाय- निर्मोही, दिगंबर, निर्वाणी
उदासीन संप्रदाय- बड़ा उदासीन, नया उदासीन निर्मल संप्रदाय- निर्मल अखाड़ा
किन्नर अखाड़ा
2016 में जब सिंहस्थ कुंभ लगा था तब किन्नर अखाड़ा भी सामने आया था. इसके पहले तक कुंभ में 13 अखाड़ों की पेशवायी होती आई है. 2019 के प्रयागराज कुंभ में भी यह अखाड़ा शामिल हुआ था. हालांकि इस अखाड़े को लेकर अन्य अखाड़ों में विवाद है. किन्नर अखाड़े के साथ कुल अखाड़ों की संख्या 14 है.
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