नई दिल्ली: विराट कोहली की अगुवाई वाली भारतीय टीम ने सबसे फेवरेट टीम के टैग के साथ टी20 विश्व कप की शुरुआत की थी लेकिन लगातार दो मैच हारने के बाद 'टीम इंडिया सेमीफाइनल से बाहर होने के कगार पर है.
बाकी सभी मैच जीते भारत
भारतीय टीम को बड़ा करिश्मा ही सेमीफाइनल में पहुंचा सकता है लेकिन ये नामुमकिन नहीं है. अगर न्यूजीलैंड नामीबिया या स्कॉटलैंड से मैच हार जाता है और कीवी टीम अफगानिस्तान को शिकस्त देती है तो भारत का पक्ष मजबूत हो जाएगा. हालांकि इसके लिए कोहली की टीम को बाकी तीनों मैच हर हालत में जीतने होंगे. भारत को सेमीफाइनल की रेस में अफगानिस्तान से भी कठोर चुनौती मिल रही है.
भारत के लिए निराशाजनक रहा UAE का प्रदर्शन
बल्लेबाजों में आत्मविश्वास की कमी के कारण यूएई की परिस्थितियों में इस तरीके का प्रदर्शन करना काफी आश्चर्यजनक रहा.
विपक्षी गेंदबाजों ने रोहित शर्मा, केएल राहुल और विराट कोहली जैसे भारतीय शीर्ष क्रम की बल्लेबाजों की गलत तकनीक को भी उजागर किया है.
टी20 विश्व कप में जारी भारतीय बल्लेबाजों के शर्मनाक प्रदर्शन पर एक नजर.
स्पष्टता और आत्मविश्वास की कमी
अब तक के दोनों सुपर 12 मैचों में भारतीय बल्लेबाजों को बल्लेबाजी करने में कठिनाई आई है. भारत पाकिस्तान और न्यूजीलैंड के खिलाफ अपने दो पावरप्ले में 36/3 और 35/2 रन बनाए थे, और पहले छह ओवरों में महत्वपूर्ण विकेट खोने का मतलब था कि बल्लेबाजों का स्कोर बोर्ड पर बीच के ओवरों में आक्रमण करके ज्यादा से ज्यादा रन लगाने में विफल रहे.
वास्तव में, भारत न्यूजीलैंड के खिलाफ छठे से 16वें ओवर तक एक भी बाउंड्री लगाने में असफल रहा. विकेटों को हाथ में रखना या आक्रमण न करना भारतीय बल्लेबाजी में साफ दिखाई दे रही थी, इसका मतलब था कि टीम बोर्ड पर एक सम्मानजनक स्कोर बनाने में असफल रही.
भारत की बल्लेबाजी दृष्टिकोण न केवल शीर्ष तीन बल्लेबाजों रोहित शर्मा, केएल राहुल और विराट कोहली के रूप में सवाल खड़े कर रहे थे, बल्कि ऋषभ पंत और हार्दिक पांड्या जैसे धुआंधार बल्लेबाजों में भी आत्मविश्वास की कमी साफ दिखाई दी और बेहतर प्रदर्शन करने में उनको समस्या आई.
न्यूजीलैंड के खिलाफ आठ विकेट की शर्मनाक हार के बाद निराश भारतीय कप्तान विराट कोहली ने स्वीकार किया कि भारतीय टीम बल्ले और गेंद के साथ पूरी बहादुरी से नहीं खेली थी.
हार के बाद कोहली ने कहा था कि मुझे नहीं लगता कि हम बल्ले गेंद के साथ काफी बहादुरी से खेले थे. जब हम न्यूजीलैंड के खिलाफ मैदार में खेलने उतरे तो हमारी बॉडी लैंग्वेज अलग थी. हमे जभी मौका मिला, हमने शॉर्ट खेला, लेकिन तभी हम विकेट खोते चले गए. हमारे में आत्मविश्वास की कमी थी कि हम शॉर्ट खेले या नहीं.
तकनीकी खामियां :
चाहे वह पाकिस्तान हो या न्यूजीलैंड दोनों टीमों के गेंदबाजों ने भारतीय बल्लेबाजी लाइन-अप की गलत तकनीकियों को उजागर किया.
रोहित, जो सफेद गेंद वाले क्रिकेट में महानों में गिने जाते हैं और विराट कोहली के मौजूदा टी20 विश्व कप के बाद सीमित ओवरों के मैच से कप्तानी छोड़ने वाले हैं, पाकिस्तान के साथ मैच में गेंद के साथ न्याय करते नहीं दिखे.
इसके बाद, ईश सोढ़ी और मिशेल सेंटनर की अनुशासित स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ भी संघर्ष करते दिखे और अंत में उनमें से एक की गेंद पर आउट हो गए. टिम साउदी और शाहीन शाह अफरीदी की गति और स्विंग के खिलाफ न केवल रोहित बल्कि केएल राहुल को खेलने में परेशानी आई.
बल्लेबाजी क्रम में फेरबदल
भारत के लिए इस टूर्नामेंट में बल्लेबाजी की भूमिकाओं में कई परिवर्तन किए गए, जिसके कारण उनमें एक निरंतरता की कमी दिखाई दी.
मार्च में कोहली ने कहा था कि वह विश्व कप की तैयारी में आरसीबी के लिए आईपीएल में ओपनिंग करेंगे और वह निश्चित रूप से शीर्ष पर रोहित शर्मा के साथ साझेदारी करना पसंद करेंगे. वार्म-अप के दौरान, उन्होंने कहा कि यह नो-ब्रेनर था, जिसे केएल राहुल ओपनिंग करेंगे, खुद को नंबर 3 ही खेंलेगे.
यहीं, पाकिस्तान की हार के बाद, भारत ने बल्लेबाजी क्रम में बदलाव किए. किशन ने राहुल के साथ ओपनिंग की, रोहित नंबर 3 पर और कोहली नंबर 4 पर बल्लेबाजी करने आए. ये गलतियां भारत के बल्लेबाजी प्रदर्शन में साफ देखने को मिला.
भारतीय दिग्गज सुनील गावस्कर को लगता है कि रोहित के नीचे क्रम में खेलने से लगा की टीम को ट्रेंट बोल्ट का सामना करने के लिए उन पर भरोसा नहीं था. उन्होंने कहा कि ईशान किशन जैसे युवा खिलाड़ी को इतने बड़े दबाव वाले मैच में बल्लेबाजी की शुरुआत करने की जिम्मेदारी नहीं दी जानी चाहिए थी.
UAE की कंडीशंस में नहीं ढल पाई टीम इंडिया
यूएई में आईपीएल के दौरान भारतीय टीम को यहां की परिस्थितियों के लिए अलग तैयारी करनी चाहिए थी, क्योंकि अब भारत के बल्लेबाजों को धीमी पिचों के समझने और उसके अनुसार खेलने में परेशानी आ रही है.
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वर्तमान टीम के अधिकांश भारतीय बल्लेबाजों ने पूरी दुनिया में काफी क्रिकेट खेली है और उन्हें किसी भी परिस्थिति में खुदको ढालने की सक्षमता होनी चाहिए. ऑस्ट्रेलिया में ऐतिहासिक टेस्ट सीरीज जीत ने यह भी दिखाया कि उनके पास दुनिया के किसी भी हिस्से में अच्छा प्रदर्शन करने की क्षमता और प्रतिभा है. लेकिन, मौजूदा टी20 वल्र्ड कप में ऐसा नहीं हुआ.
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