नोएडा: देश की सर्वोच्च अदालत के निर्णय के बाद ट्विन टावर अब ध्वस्त हो चुका है. उसके बाद वहां क्या बनाया जाएगा, इस बात को लेकर लोगों में तरह तरह के मतभेद हैं. ट्विन टावर की जमीन पर क्या निर्णाण कराया जाए और उस जमीन का उपयोग किस रूप में हो, इस विषय पर आरडब्ल्यूए की मीटिंग शुरू हो चुकी है.
रामलला और भगवान शिव की मूर्तियां स्थापित करने पर विचार
मीटिंग में यह फैसला लिया गया है कि वहां पर एक भव्य मंदिर का निर्माण कराया जाएगा. जहां पर रामलला और भोलेनाथ के साथ अन्य भगवान की मूर्तियों को स्थापित किया जाएगा. साथ ही साथ बच्चों को खेलने के लिए एक बड़ा पार्क पर बनाया जाएगा. जिसमें हरियाली पर विशेष ध्यान दिया जाएगा.
आरडब्ल्यूए ने मीटिंग कर इस बात पर फैसला लेने की बात कही है और यह कहा है कि सभी सोसाइटी वाली वासियों की भी यही मर्जी है. हालांकि सबसे बड़ी बात है कि अभी तक सुपरटेक के एमरोल्ड टावर का हैंडोवर सोसाइटी को नहीं हुआ है. अभी भी मालिकाना हक बिल्डर का है. अगर बिल्डर वहां पर किसी तरीके का कोई भी कंस्ट्रक्शन करता है तो उसे दो तिहाई सोसाइटी वालों की सहमति लेनी होगी.
हरे भरे पार्क बनाने पर भी हुआ फैसला
आरडब्ल्यूए के लोगों का कहना है कि सोसाइटी वाले पूरी तरह से आरडब्ल्यूए के साथ हैं और अगर इस पर फिर से कोई कानूनी लड़ाई लड़नी पड़ी तो वह तैयार रहेंगे. सोसाइटी की तरफ से वहां एक हरे-भरे पार्क और एक भव्य मंदिर के लिए पहले से योजना बनाकर रखी गई है और यह भी कोशिश की जा रही है कि जो पार्क बनाया जाएगा. इसमें सबसे ज्यादा हरियाली रहे ताकि बच्चों को खेलने के साथ-साथ बुजुर्गों को बैठने और टहलने के लिए एक उचित स्थान मिले.
28 अगस्त को ध्वस्त कर दिए गए थे ट्विन टावर
करीब 100 मीटर ऊंचे दो टावरों को रविवार 28 अगस्त को गिरा दिया गया था. इसे ध्वस्त करने में 3,700 किलोग्राम से अधिक विस्फोटकों का इस्तेमाल हुआ. कंपनी ने बुधवार को एक बयान में कहा कि वह नोएडा में ढहाए गए ट्विन टावर से उत्पन्न 30 हजार टन मलबे रिसाइकिल करेगी. इस काम के लिए ‘रि-सस्टेनेबिलिटी’ को तीन महीने का ठेका दिया गया है. कंपनी ने एक बयान में कहा कि कचरे को निर्माण सामग्री में बदला जाएगा.
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