Gandharva marriage: भारत में हजारों साल पहले भी होती थी लव मैरिज, जानिए तब कैसे एक-दूजे के होते थे प्रेमी युगल

Gandharva Vivah: चोरी-छिपे प्यार करने के बाद शादी करने के का विरोध शुरू से ही रहा है. कभी प्रेमी युगल के रिश्ते को लेकर माता-पिता नहीं मानते, तो कई बार रिश्तेदार और समाज के लोग ऐसे प्रेम को स्वीकार नहीं करते हैं, लेकिन हम आपको बताते हैं इन सबके  बावजूद भी ऐसा विवाह है, जिसमे किसी की कोई रजामंदी की जरुरत नहीं होती है.

Written by - Ansh Raj | Last Updated : Aug 5, 2024, 08:25 PM IST
Gandharva marriage: भारत में हजारों साल पहले भी होती थी लव मैरिज, जानिए तब कैसे एक-दूजे के होते थे प्रेमी युगल

नई दिल्ली, What is gandharva marriage: सनातन धर्म में शादी-विवाह का बड़ा महत्व माना जाता है. एक बाप अपनी बेटी और एक भाई अपनी बहन की बड़े ही धूम-धाम से अपनी शादी करते हैं. कुछ लड़के और लड़कियों की शादी घर-परिवार वालों की रजामंदी से होती है, लेकिन बहुत से कपल ऐसे भी होते हैं, जिनके मां-बाप या परिवार वाले शादी के लिए नहीं राजी होते हैं, जिसके बाद उन्हें तमाम समस्यों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में एक विवाह होता है, जिसका नाम है 'गंधर्व विवाह', आज हम आपको इस आर्टिकल में गंधर्व विवाह के बारे में जानकारी देंगे. इस विवाह में लड़कियों को खास तरह के अधिकार मिल जाते हैं, जिसे इस्तेमाल दो प्यार करने वाले अपने मन पसंद से शादी कर एक हो सकते हैं. तो आइए जानते हैं क्या होता है गंधर्व विवाह....

क्या होता है गंधर्व विवाह?
ऐसा नहीं है कि आज से हजारों साल पहले लव मैरिज नहीं होती थी. पहले भी लोग प्यार करते थे, लेकिन चोरी-छिपे... जब दोनों का प्रेम परवान पर होता और लड़के और लड़की इस सच्चाई से वाकिफ होते थे कि उन दोनों की शादी के लिए उनका परिवार और समाज के लोग नहीं मानेंगे, तब ऐसे लोग अपने घर से चोरी छिपे भाग जाते थे और भागकर गंधर्व विवाह कर लेते थे. इस विवाह में लड़के और लड़की को परिवार, रिश्तेदार, समाज की अनुमति और रजामंदी की आवशयकता नहीं होती. इसी का फायदा उठाकर दोनों कपल शादी कर एक दूसरे के हो जाते थे. 

नहीं चाहिए होती किसी की सहमति 
आमतौर पर गंधर्व विवाह में महिला और पुरुष को कुछ विशेष अधिकार मिल जाते हैं. इसमें बिना किसी रीति रिवाज, बिना परिवार वालों की सहमित और बिना किसी रिश्तेदार की रोकटोक के  वर और कन्या शादी कर एक दूसरे के हो जाते हैं. इस तरह से विवाह करने को ही गंधर्व विवाह जाहते हैं. जानकारी के लिए बता दें कि दुष्यंत ने शकुन्तला से 'गंधर्व विवाह' किया था. उनके पुत्र भरत के नाम से ही हमारे देश का नाम "भारतवर्ष" बना

कैसे होता है गंधर्व विवाह?
गंधर्व विवाह के बारे में अगर बात करें, तो इस तरह का विवाह सनातन धर्म में 8 प्रकार में होने वाले विवाह में ही आता है. इस तरह की शादी में पवित्र अग्नि को साक्षी मानकर लड़का और लड़की तीन फेरे लेते हैं. यह शादी अग्नि के सामने हो होती है इस कारण लड़के और लड़की के परिजन उनको एक दूसरे से अलग नहीं कर पाते. ऐसी शादी को हर कोई मान्यता भी देता है. बता दें कि आज से कई साल पहले शकुंतला-दुष्यंत, पुरुरवा-उर्वशी, वासवदत्ता-उदयन ने इसी प्रकार से शादी की थी.

Disclaimer
यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.

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