नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में सोन पहाड़ी और हरदी ब्लॉक में भारी मात्रा में सोना मिलने की खबर मिली. उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं माइनिंग निदेशालय, जो कि जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी GSI के ही अंतर्गत काम करता है, उसने 31 जनवरी 2020 को केन्द्र सरकार को रिपोर्ट भेजी जिसमें भारी मात्रा में सोना मिलने की बात कही गई थी. लेकिन GSI द्वारा सोना मिलने की खबर पर पानी डालने के बाद यूपी का माइनिंग निदेशालय भी शांत है.
कुछ इस तरह देश में फैली सनसनी
ये खबर उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं माइनिंग निदेशालय के उस पत्र से लीक हुई. जिसमें यूपी के अधिकारियों ने 31 जनवरी 2020 को केन्द्र सरकार को भेजा था. इस पत्र में कहा गया कि उत्तर प्रदेश के सोनभद्र इलाके में कई जगहों पर हजारों टन सोने का बड़ा भंडार मिला है. जिसकी पहचान हो चुकी है और आगे की कार्यवाही के लिए नीलामी की प्रक्रिया शुरू की जानी है.
यूपी के माइनिंग निदेशालय की तरफ से सोने और दूसरे खनिज पदार्थों के प्राप्त होने के बारे में एक विस्तृत रिपोर्ट भी पेश की गई थी. जिसमें कहा गया कि सोनभद्र में 2943.25 मिलियन टन सोने का भंडार है. ये पत्र गुप्त था. लेकिन एक अंग्रेजी अखबार ने अपने सूत्रों के माध्यम से इस पत्र को लीक करा लिया. जिसके बाद देश भर में हंगामा मच गया. सोने की कीमत और मात्रा को लेकर तरह तरह के अनुमान लगाए जाने लगे.
देश को सोने की चिड़िया बताया जाने लगा
मोटे तौर पर अनुमान लगाया है कि सोनभद्र जिले की पहाड़ियों पर मौजूद 3 हजार टन सोने की कीमत 12 लाख करोड़ है. ये भारत के कुल गोल्ड रिजर्व का पांच गुना है. इतना सोना भारतीय अर्थव्यवस्था की सूरत ही बदल देगा. फिलहाल भारत के पास 626 टन गोल्ड रिजर्व है. अगर सोनभद्र से मिले सोने को भारत के गोल्ड रिजर्व में शामिल कर दिया जाए तो भारत का कुल गोल्ड रिजर्व 3,569.86 टन हो जाएगा. इसके साथ ही सोने के भंडार के मामले में भारत का स्थान दूसरा हो जाएगा.
ज्यादा अमीरी भी बन सकती है मुसीबत
हालांकि अभी सोने की खबर पर पानी फिर गया है. लेकिन ये सच है कि कोई देश अगर अचानक इतना अमीर हो जाए. तो उसकी अर्थव्यवस्था पर इसका बुरा असर दिखाई देता है. क्योंकि देश के सोने के भंडार के आधार पर ही नोटों की छपाई होती है. नोट छापने से पहले रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया कम से कम 200 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति अपने पास हर समय रखता है. इस 200 करोड़ में 115 करोड़ का सोना और शेष 85 करोड़ की विदेशी संपत्ति रखना जरूरी होता है. इसी आधार पर नोटों की छपाई होती है.
अगर सोनभद्र से मिले सोने को देश के गोल्ड रिजर्व में जोड़ दिया जाए तो रिजर्व बैंक को ज्यादा नोट छापने पड़ेंगे.
अर्थव्यवस्था पर पड़ता बुरा असर
सोनभद्र का सोना मिलने से अगर भारत की अमीरी अचानक बढ़ जाती तो इसका सीधा असर महंगाई पर दिखाई देता. सोने के अलावा हर चीज की कीमत बढ़ जाती. क्योंकि बाजार में करेंसी नोटों की संख्या ज्यादा हो जाती.
इसके अलावा भारत का निर्यात ठप हो जाता. क्योंकि डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपए की कीमत बढ़ जाती और विदेश भेजे जाने वाले भारतीय उत्पाद महंगे हो जाते. इसकी वजह से पीएम मोदी के 'मेक इन इंडिया' के सपने को भारी झटका लग सकता था.
इस वजह से भी पैदा होता है संदेह
जियोलोजिकल सर्वे ऑफ इंडिया यानी GSI ने जो पत्र लिखा है, वह साल 1998 से 2000 तक की अपनी रिसर्च के आधार पर लिखा है. जबकि उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं माइनिंग निदेशालय ने 31 जनवरी 2020 को जो पत्र लिखा वह साल 1999 में किए गए सर्वेक्षण के आधार पर लिखा था. यूपी के भूतत्व विभाग के वरिष्ठ अधिकारी ए.के.राय ने खुद भी इस बात की पुष्टि की थी कि सोनभद्र में भारी सोना मौजूद है. तो फिर एक पुरानी रिसर्च के आधार पर नई रिसर्च के निष्कर्षों को कैसे खारिज किया जा सकता है.
साफ तौर पर दबाव में दिखता है GSI
उत्तर प्रदेश के भूतत्व एवं माइनिंग निदेशालय ने केन्द्र सरकार को जो पत्र लिखा था वह गोपनीय था. क्योंकि इतनी बड़ी जानकारी सार्वजनिक होने के अपने खतरे हैं. लेकिन वह पत्र लीक हो गया जिसके बाद मीडिया ने यूपी के माइनिंग निदेशालय के अध्यक्ष ए.के राय से प्रश्न किया तो उन्होंने पत्र में लिखी बात स्वीकार कर ली. यूपी खनन विभाग ने जो पत्र केन्द्र सरकार को लिखा था उसमें सोनभद्र में हुई रिसर्च के बारे में विस्तार से बताया गया है. जिसमें अवश्य ही प्रति टन स्वर्ण अयस्क में उपस्थित शुद्ध स्वर्ण की मात्रा भी होगी. लेकिन इस बारे में कोई जानकारी सामने नहीं आई है.
बाद में GSI के निदेशक एम.श्रीधर द्वारा सोनभद्र में भारी मात्रा में सोने की खबर को नकार दिए जाने के बाद ए.के राय ने भी चुप्पी साध ली. जिससे साफ तौर पर इस मामले में दबाव दिखाई देता है.
एम. श्रीधर और ए.के राय दोनों ही वरिष्ठ खनिज विज्ञानी हैं. लेकिन वह सोनभद्र में सोना मिलने की बात गोल मोल करने ये यह साफ दिखाई देता है कि इस खबर की वजह से अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव को ध्यान में रखते हुए उन्हें सनसनी फैलाने वाले बयान देने से परहेज करने के लिए कहा गया है.
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