नई दिल्ली. होटलों या रेस्टोरेंट में खाना खाने के बाद, बिल देते वक्त लगने वाले सर्विस चार्ज पर उपभोक्ता मामलों के मंत्रालय ने गंभीर रूख अपनाया है. सर्विस चार्ज लगाने के खिलाफ होटलों और रेस्टोरेंट्स को आगाह करते हुए मंत्रालय ने कहा है कि, इस तरह की हरकतें रोजमर्रा के आधार पर कस्टमर्स को प्रभावित करती हैं.
मंत्रालय ने होटलों और रेस्टोरेंट्स द्वारा लगाए जाने वाले सेवा सर्विस चार्ज से संबंधित मुद्दों पर चर्चा के लिए 2 जून को भारतीय राष्ट्रीय रेस्तरां संघ (NRAI) के साथ एक बैठक निर्धारित की है.
सर्विस चार्ज पर सरकार का रुख
उपभोक्ता मामलों के विभाग के सचिव रोहित कुमार सिंह ने NRAI को लिखे पत्र में कहा है कि, "रेस्टोरेंट्स और भोजनालय डिफ़ॉल्ट रूप से उपभोक्ताओं से सर्विस चार्ज वसूल रहे हैं. जबकि कानूनन सर्विस चार्ज देना ग्राहक की मर्जी पर आधारित है और यह अनिवार्य भी नहीं है. आम तौर पर कई रेस्टोरेंट्स बिल के 10 फीसदी सर्विस चार्ज वसूल रहे हैं."
पत्र में यह भी लिखा गया है कि, "इस तरह की हरकतें ग्राहकों को गुमराह करती हैं और ग्राहकों को दैनिक आधार पर प्रभावित करती हैं साथ ही उनके अधिकारों का हनन करती हैं. मंत्रालय इस तरह के मामलों की बारीकी से जांच करेगा.
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गौरतलब है कि, 2017 में उभोक्ता मामलों के मंत्रालय की तरफ से जारी गाइडलाइन के मुताबिक, मेनू कार्ड पर लिखी गई रकम (टैक्स के साथ) के अलावा ग्राहक की मर्जी के बिना किसी भी तरह का चार्ज नहीं लिया जा सकता. साथ ही सर्विस चार्ज देना ग्राहक की मर्जी पर आधारित है. होटल या रेस्टोरेंट उसे बिल में नहीं जोड़ सकते हैं.
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