सीने में दर्द और बोलने में दिक्कत वायरस के लक्षण! `छलिया वायरस` के कितने रूप?
क्या आपको बोलने और चलने-फिरने में दिक्कत हो रही है? क्योंकि सीने में दर्द और बोलने में दिक्कत वायरस का गंभीर लक्षण है. ऐसे में `किलर वायरस` के बदलते रूप से सावधान हो जाइए, क्योंकि आप भी इसके शिकार हो सकते हैं...
नई दिल्ली: सर्दी है, खासी है, बुखार है और सांस लेने में दिक्कत है, तो कोरोना हो सकता है. अगर आपको सिर्फ वायरस के इन्हीं लक्षणों के बारे में पता है, तो अपने ज्ञान को अपडेट कर लीजिए. क्योंकि ये खूनी वायरस बार-बार अपने रूप बदल रहा है और इसके नए-नए लक्षण भी सामने आ रहे हैं.
क्या बोलने में दिक्कत हो रही है?
ये बेहद घातक और खतरनाक स्थिति है. ऐसे में कहीं ऐसा ना हो कि आप वायरस की चपेट में आ जाएं और पता भी ना चले. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने वायरस के नए लक्षण के प्रति दुनिया को आगाह किया है. ये लक्षण हैं बोलने में दिक्कत होना...
WHO के विशेषज्ञों के मुताबिक बोलने में दिक्कत और चलने-फिरने में परेशानी होना भी वायरस का गंभीर लक्षण हो सकता है. WHO की ये चेतावनी ऐसे समय पर आई है जब दुनिया में कोरोना संक्रमितों की संख्या 47 लाख के पार पहुंच गई है और मरने वालों की संख्या भी 3 लाख के ऊपर है.
बोलने में दिक्कत वायरस का लक्षण!
अगर किसी को सांस लेने में दिक्कत के साथ बोलने और चलने-फिरने में परेशानी हो तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं या हेल्पलाइन नंबर में संपर्क करें. WHO ने कहा है कि कोरोना वायरस से प्रभावित ज्यादातर लोगों को सांस लेने में हल्की परेशानी हो सकती है और वो बिना किसी खास इलाज के ठीक हो सकते हैं. लेकिन वायरस के गंभीर लक्षणों में सांस लेने में दिक्कत के साथ सीने में दर्द या दबाव, बोलना बंद होना और चलने फिरने में दिक्कत होना है.
'छलिया वायरस' के कितने रूप?
ये पहली बार नहीं है जब छलिया वायरस ने अपना रूप बदला है. ये कई बार अपना रूप और लक्षण बदल चुका है. जिससे वैक्सीन की रिसर्च में जुटे डॉक्टर और वैज्ञानिक भी हैरान हैं. हालांकि एक्सपर्ट्स का कहना है कि बोलने में दिक्कत सिर्फ वायरस की वजह से ही हो ये जरूरी नहीं है.
कई दूसरी वजहों से भी बोलने में दिक्कत हो सकती है. लेकिन अगर दूसरे लक्षणों के साथ बोलने में समस्या है तो सावधान होने की जरूरत है. इस बीच एक और शोध में कहा गया है कि मनोविकृति भी वायरस का एक लक्षण है.
मनोविकृति भी वायरस का लक्षण!
कुछ दिन पहले मेलबर्न की ला ट्रोबे यूनिवर्सिटी ने चेतावनी दी थी कि कोरोना वायरस की वजह से कई मरीजों में मनोरोग बढ़ रहा है. डॉक्टर एली ब्राउन ने कहा था कि कोरोना वायरस हरेक के लिए तनाव से भरा एक्सपीरियंस है. आइसोलेशन में रहने के दौरान मरीजों में तनाव बहुत बढ़ जाता है. जिससे उनकी मानसिक स्थिति पर असर पड़ता है.
आपको कोरोना वायरस के कई और लक्षणों के बारे में बताते हैं. जो हाल के दिनों में देखने को मिले हैं. शुरूआत में संक्रमित मरीजों में सूखी खांसी, बुखार और सांस लेने में तकलीफ के साथ थकावट के लक्षण दिखते थे. थर्मल स्क्रीनिंग के बाद मरीजों का वायरस टेस्ट किया जा रहा था लेकिन पिछले कुछ दिनों से हैरान कर देने वाले लक्षण सामने आए हैं.
कहीं आपको कोरोना तो नहीं है?
हाल के रिसर्च में सामने आया है कि संक्रमित मरीजों में उल्टी-दस्त, डायरिया और पेट में दर्द जैसे लक्षण भी दिख रहे हैं. हालांकि WHO की रिपोर्ट में कहा गया है कि उल्टी और डायरिया जैसे लक्षण सिर्फ 5 फीसदी मरीज़ों में ही देखे गए हैं.
चीन में हुई रिसर्च से सामने आया है कि खतरनाक बीमारी का लक्षण कन्जेक्टीवाइटिस भी हो सकता है. कन्जेक्टीवाइटिस जैसे लक्षण में पीड़ित की आखें लाल हो जाती हैं और उससे फ्लूएड निकलता है, आंखों में दर्द भी होता है.
स्टडी के मुताबिक ये लक्षण उन मरीजों में दिखता है जिनकी हालत गंभीर हो चुकी है. इसके अलावा बच्चों में बुखार के साथ स्किन में चकत्ते, हथेली की स्किन निकलना, ब्लड क्लॉट, होंठ फटना और आंखों में जलन जैसे लक्षण भी देखने को मिले हैं.
पैरों और हाथों की उंगलियों में सूजन और जलन कोरोना के नए लक्षण हैं. ये लक्षण अडल्ट और बच्चों में दिखे हैं. WHO के मुताबिक 14 फीसदी मरीजों को सिर में दर्द की दिक्कत होती है. जबकि वुहान में हुई रिसर्च में पाया गया कि कोरोना वायरस के 36 प्रतिशत पीड़ितो में सिर दर्द और चक्कर आने जैसे लक्षण दिखने को मिलते हैं. कुछ मरीजों में सांस लेने में भी तकलीफ देखी गई.
वायरस के नए लक्षण से सावधान
कोरोना वायरस से पीड़ित कुछ मरीजों में स्वाद और सूंघने की शक्ति खत्म होने की समस्या भी देखी गई है. यानी मरीजों को किसी भी चीज का स्वाद नहीं मिलता. सूंघने की क्षमता भी प्रभावित हो जाती है, लेकिन इन तमाम लक्षणों के बीच WHO ने बोलने में दिक्कत या आवाज के चले जाने को कोविड-19 के सबसे गंभीर लक्षणों में शामिल किया है. यानी अगर किसी मरीज को ऐसी समस्या हो तो उसे लापरवाही नहीं करनी चाहिए.
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जब तक वायरस के खिलाफ जंग में विजय नहीं मिलती, जब तक कोई कारगर वैक्सीन या दवा मार्केट में नहीं आती. तब तक बचाव के जरिए ही महामारी के खिलाफ युद्ध लड़ना है. हो सकता है वायरस के खिलाफ कोई कारगर वैक्सीन कभी ना आ पाए और ये लम्बे वक्त तक हमारे बीच रहे. जैसा की WHO ने आशंका जाहिर की है. लिहाजा वायरस के हर रोज बदलते रूप-रंग और लक्षणों को समझिए और सोशल डिस्टिंसिंग का पालन करते हुए मास्क पहनकर जिंदगी जीने की आदत डालिए.
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