भारत की खाद्य समस्या का इतना आसान है समाधान, पढ़िए खास रिपोर्ट

 स्वास्थ्य समस्या को अनदेखा कर और पोषण से भरपूर अनाज न ले कर विकास के दौड़ में दुनिया कहीं आगे बढ़ने के बजाए पीछे ही न चली आए. एक मशीन को भी लगातार बेहतर परिणाम के साथ काम करने के लिए अच्छी कैलोरी युक्त गुणवत्ता वाले भोजन की आवश्यकता पड़ती  है.  फिर हमारे शरीर को भी स्वस्थ और फुर्तीला बनाए रखने के लिए भी पोषणयुक्त संतुलित भोजन की जरूरत तो होगी ही. लेकिन सवाल ये है कि क्या वाकई फास्ट फूड के इस दौर में न्यूट्रिशनल फूड की अहमियत हम समझ पाते है, और ले पाते हैं. 

Last Updated : Oct 16, 2019, 01:59 PM IST
    • कुपोषण से बचाएंगे भारी अनाज
    • ज्वार, बाजरा, रागी जैसे अनाज स्वास्थ्य के लिए बेहतर
    • भारी अनाजों को मिलेट्स कहते हैं
    • हरित क्रांति के बाद इनकी पैदावार कम हुई
भारत की खाद्य समस्या का इतना आसान है समाधान, पढ़िए खास रिपोर्ट

नई दिल्ली: आज का दिन विश्व खाद्य दिवस के रूप में मनाया जा रहा है तो जरूरी है ये जान लेना कि मिलेट्स( भारी अनाज) जिसे नजरअंदाज किया जाता है, उसकी अहमियत भारत जैसे कृषि प्रधान देश में बेहद ज्यादा है. क्योंकि यहांहां किसानों की आय बढ़ाने में तमाम योजनाएं फेल ही हो जाया करती हैं. मिलेट्स के अंतर्गत "ज्वार, बाजरा और रागी" जैसे अनाज आते हैं, जो आयरन, कैल्सियम और फायबर युक्त होते हैं. भारत में मिलेट्स अनाजों को नजरअंदाज खूब किया जाता है. किसान जहां इसकी खेती से हिचकिचाते हैं, वहीं आमजन बाजार में इसे अपनाने से कतराते हैं. 

हालांकि देर ही सही लेकिन कल कभी भारी और गैर-जरूरी अनाज माने जा रहे मिलेट्स की मांग हाल के दिनों में बढ़ी है और उतनी ही तेजी से बढ़ा है इसका उत्पादन. मांग के बढ़ने का बड़ा कारण लोगों का लगातार खराब होता स्वास्थ्य भी है.  

क्यों जरूरी हैं मिलेट्स
इसकी कई वजहे हैं, जैसे- 
1. मिलेट्स में पोषणयुक्त तत्व खूब पाए जाते हैं. राष्ट्रीय पोषण संस्थान की एक रिपोर्ट के मुताबिक 100 ग्राम के रागी में तकरीबन 350 मिलिग्राम तक कैल्सियम की उपलब्धता होती है.
2. कम ग्लाइसेमिक वैल्यू होने के कारण ये शरीर में ग्लूकोज की मात्रा को संतुलित रखता है जिससे कि डायबिटीज का खतरा कम रहता है.
3. मिलेट्स में आयरन की मात्रा अधिक होने के कारण एनेमिया का खतरा भी नहीं होता.
4. कई जानकारों का मानना है कि इसके रोजाना सेवन से मानव शरीर चिंता और तनाव से ग्रस्त होने से बच सकता है.
5 .मिलेट्स की एक खासियत ये है कि ये बहुत तेजी से पच जाते हैं, और पेट को साफ भी रखते हैं जिससे वजन संतुलित रहता है.

भारतीय मौसम के लिए बेहद उपयुक्त हैं मिलेट्स
इसके अलावा मिलेट्स के लिए भारतीय मौसम सबसे उपयुक्त माना जाता है. पिछले वर्ष साल 2018 में भारत सरकार के कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने भारत में मिलेट्स की खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाओं और सब्सिडी की घोषणा की थी. इतना ही नहीं मिलेट्स के उत्पादन को मिशन मोड पर बढ़ाने के लिए सरकार की ओर से साल 2018 को कृषि क्षेत्र के लिहाज से मिलेट्स ईयर(Millets Year) घोषित कर दिया था. दरअसल, मिलेट्स की खेती भारत जैसे संतुलित मौसम चक्र में न सिर्फ आसान है बल्कि इसकी उत्पादन लागत भी काफी कम है.

मिलेट्स को उपजाना किसानों के लिए आसान 
आपको बताते हैं कुछ अहम फैक्टर जो ये साबित करते हैं कि भारत में मिलेट्स के अधिक से अधिक उत्पादन किसानों के लिए भी हितकारी है-
1. मिलेट्स भारत में खराब मिट्टी जिसकी उत्पादकता कम हो, उसमें भी उपजाए जा सकते हैं.
2. मिलेट्स को उपजाने के लिए कम पानी की खपत होती है. जहां चावल और दलहन के लिए 3000-3500 लिटर पानी की आवश्यकता होती है,वही मिलेट्स को 250-300 लिटर पानी की ही जरूरत पड़ती है. 
3. मिलेट्स उत्पादन की एक खास बात ये भी है कि ये रबि और खरीफ दोनों ही मौसम में खेती के लिए उपयुक्त है. हालांकि इसका उत्पादन बारिश के दिनों में ज्यादा होता है.
4. इनके उत्पादन को बढ़ाने के लिए किसी खास अतिरिक्त तरीके की जरूरत नहीं होती  

बढ़ रहा है मिलेट्स का उत्पादन
मिलेट्स की खेती भारत में लगातार बढ़ी है. 1969 के हरित क्रांति के बाद भारत में मिलेट्स का उत्पादन बहुत तेजी से घटा. लेकिन हाल के वर्षों में इसका उत्पादन बढ़ता जा रहा है. 2016-17 में भारत में 14.72 मिलियन हेक्टेयर की भूमि पर मिलेट्स की खेती की गई थी.  मिलेट्स की खेती फिलहाल भारत के 21 राज्यों में की जाती है, जिसमें कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, तामिलनाडु, केरल, तेलांगना, झारखंड, मध्यप्रदेश और उत्तर प्रदेश में ज्यादा होता है. दिलचस्प बात ये है कि तामिलनाडू के अन्नाम में मिलेट्स खासकर रागी को माता काली के प्रसाद के रूप में पवित्र भोजन का दर्जा दिया गया है.

कुपोषण से लड़ने में ये अनाज भी हैं कारगर
हालांकि, मिलेट्स के अलावा भारत में कई ऐसे अनाज हैं जिनकी न्यूट्रिशन वैल्यू अधिक होने के बावजूद उसके उत्पादन के लिए, बाजार में उचित मूल्य के लिए और उसको बढ़ावा देने के लिए अब तक कुछ भी सरकारी व निजी प्रयास नहीं किए गए हैं. फिर चाहे वो मक्का हो, बथुए का साग हो दलहन में कुर्थी, उरद और मसूर हो. इन सभी अनाजों में प्रोटीन से ले कर विटामिन तक पाए जाते हैं जो शरीर को स्वस्थ बनाए रखने के लिए बहुत जरूरी है. अक्सर ये देखा जाता है कि इन दलहनों को मिला कर एक साथ पकाया जाता है. इसके पीछे एक कारण ये भी है कि अलग-अलग प्रोटीन और न्यूट्रीशन वैल्यू के दलहनों को जब एक साथ मिला कर इस्तेमाल में लाया जाता है तो पूरे रूप से उनकी न्यूट्रीशनल वैल्यू बहुत अधिक होती है.

 

 

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