ऐसा हुआ तो, 25 रूपये/लीटर कम हो जाएगी पेट्रोल की कीमत! मंत्री जी ने की मांग

लगता है लंबे समय से चल रही बहस अब खत्म होने वाली है. क्योंकि पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाने के संकेत दे दिए हैं. प्रधान ने एक बैठक में केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने की अपील की है. अगर ऐसा हो गया तो पेट्रोल की कीमत में 25 रूपये तक की गिरावट आएगी.

Last Updated : Oct 15, 2019, 12:45 PM IST
    • पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के अंतर्गत लाने के संकेत दे दिए हैं
    • ऐसा होने पर प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत में करीब 25 रुपये तक की कमी आ सकती है
ऐसा हुआ तो, 25 रूपये/लीटर कम हो जाएगी पेट्रोल की कीमत! मंत्री जी ने की मांग

नई दिल्ली: पेट्रोल, डीजल, विमान ईंधन और प्राकृतिक गैस जैसे पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग पहले से ही उठती रही है. इस बीच केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण से एक अपील की है. ये अपील इस बात का बड़ा संकेत माना जा रहा है कि जल्द ही सरकार पेट्रोलियम पदार्थों को जीएसटी के दायरे में ला सकती है.

पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान की वित्त मंत्री से अपील

प्रधान ने इंटरनेशनल थिंकटैंक की तीसरी बैठक में कहा कि उन्होंने इस बारे में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से अपील की है कि पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाया जाए. जीएसटी काउंसिल की अगली बैठक में इसपर विचार होने की संभावना है. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण भी इस सम्मेलन का हिस्सा थीं. धर्मेंद्र प्रधान ने कहा कि इसकी शुरुआत प्राकृतिक गैस और एटीएफ से हो सकती है. इस कदम से उपभोक्ताओं और सेक्टर को बड़ी राहत मिलेगी. 

राज्य सरकार को होगी परेशानी

अगर पेट्रोलियम उत्पादों को जीएसटी के दायरे में लाने की मांग पर केंद्र की मुहर लग जाती है तो इस फैसले का राज्य सरकारें निश्चित तौर पर विरोध करेंगी. राज्य सरकारें काफी समय से इस फैसले का विरोध कर रही है. शायद ये भी एक बड़ी वजह रही है जिससे इस मसले पर पहले विचार नहीं किया गया. दरअसल, माना जाता है कि पेट्रोलियम उत्पाद राज्य की कोष में काफी अहम भूमिका अदा करती है. ऐसे में अगर ये जीएसटी के दायरे में आ जाती हैं, तो इसका काफी बड़ा असर पड़ेगा.

दिल्ली में प्राकृतिक गैस और तेल पर आयोजित एक कॉन्फ्रेंस में पेट्रोलियम मंत्री ने कहा कि तेल और गैस के क्षेत्र में और निवेश बढ़ाने के लिए सरकार गंभीरता से इंडस्ट्री के साथ चर्चा कर रही है. उन्होंने कहा कि हम उम्मीद कर रहे है कि साल 2023 तक तेल और गैस के उत्पादन और उत्खनन में 58 बिलियन डॉलर का निवेश होगा. देश में ऊर्जा उपभोग में प्राकृतिक गैस की हिस्सेदारी 2030 तक दोगुनी करके 15 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है.

'GST काउंसिल जल्द करे मामले पर विचार'

उम्मीद की जा रही है कि केंद्र की मोदी सरकार जल्द ही पेट्रोलियम उत्पादों को GST के दायरे में लाने पर गंभीरता से विचार कर सकती है. इसकी शुरुआत प्राकृतिक गैस और एटीएफ से हो सकती है. इस कदम से गैस उपभोक्ताओं और एविएशन सेक्टर को बड़ी राहत मिलेगी.

धर्मेंद्र प्रधान ने कहा, 'हमने माननीय वित्तमंत्री से गुजारिश की है कि कम से कम ATF और प्राकृतिक गैस GST के दायरे में लाई जाए. इससे ना केवल कारोबार में इजाफा होगा बल्कि राज्यों को भी फायदा होगा. केंद्र सरकार भी इसका लाभ उठा सकती है और आम जनता को भी राहत मिलेगी. मुझे यकीन है कि वित्तमंत्री सही वक्त पर इसके लिए GST काउंसिल को इसके लिए राजी करने में सफल होंगी.'

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क्या होगा फायदा?

जितनी तेल की बुनियादी कीमत होती है, लगभग उतना ही टैक्स भी उसपर लगता है. कच्चा तेल खरीदने के बाद रिफाइनरी में लाया जाता है और वहां से पेट्रोल-डीजल की शक्ल में बाहर निकलता है. बस इसी के साथ उस पर टैक्स लगना शुरू होता है. सबसे पहले एक्साइज ड्यूटी केंद्र सरकार लगाती है. फिर राज्यों की बारी आती है जो अपना टैक्स लगाते हैं. इसे सेल्स टैक्स या वैट कहा जाता है. इसके साथ ही पेट्रोल पंप का डीलर उस पर अपना कमीशन जोड़ता है. अगर केंद्र और राज्य के टैक्स को जोड़ दें तो यह लगभग पेट्रोल या डीजल की वास्तविक कीमत के बराबर होती है. उत्पाद शुल्क से अलग वैट एड-वेलोरम यानी अतिरिक्त कर भी होता है, ऐसे में जब पेट्रोल-डीज़ल के दाम बढ़ते हैं तो राज्यों की कमाई भी बढ़ती है. एक्साइज़ ड्यूटी और वैट दोनों हटाकर पेट्रोल को भी जीएसटी के दायरे में लाने का फैसला कर लिया जाए तो काफी फायदा होगा. जानकार बताते हैं कि ऐसा होने पर प्रति लीटर पेट्रोल की कीमत में करीब 25 रुपये तक की कमी आ सकती है.

 

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