गांधी परिवार के लापरवाह रवैये के कारण तो नहीं छिनी एसपीजी सुरक्षा ?

केंद्र सरकार शुक्रवार को गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाने का फैसला किया है. इस बात के सामने आने के बाद से कांग्रेस ने हंगामा शुरू हो गया है. सरकार के उच्‍च पदस्‍थ सूत्रों ने शुक्रवार को बताया कि केंद्रीय गृह मंत्रालय की बैठक में यह फैसला लिया गया है कि गांधी परिवार की एसपीजी सुरक्षा हटाकर उन्हें सीआरपीएफ कमांडो की जेड प्‍लस सुरक्षा दी जाएगी.

Last Updated : Nov 9, 2019, 05:10 AM IST
    • प्रियंका एसपीजी पर उनकी निजी जानकारियों को इकट्ठा करने का आरोप लगाती रही हैं
    • गांधी परिवार लगातार सुरक्षा व्यवस्था में के प्रति लापरवाह नजरिया रखता आया है
गांधी परिवार के लापरवाह रवैये के कारण तो नहीं छिनी एसपीजी सुरक्षा ?

नई दिल्लीः गांधी परिवार से स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप (एसपीजी) की सुरक्षा वापस लिए जाने के बाद भाजपा-कांग्रेस पार्टियों के बीच आरोप-प्रत्यारोप होने लगे हैं. भाजपा सूत्रों ने कहा है कि इस निर्णय के लिए गांधी परिवार खुद ही जिम्मेदार हो सकता है. बताया जा रहा है कि वे लगातार इस सुरक्षा नियमों का उल्लंघन करते रहे हैं, आशंका है कि केंद्र सरकार ने इसी के चलते यह कदम उठाया है. हालांकि गांधी परिवार खासकर प्रियंका एसपीजी पर उनकी निजी जानकारियों को इकट्ठा करने का आरोप लगाती रही हैं. दूसरी ओर एसपीजी ने कई बार इसका खंडन किया है.

राहुल गांधी ने कई बार की है सुरक्षा की अवहेलना
सरकारी सूत्र ने बताया कि राहुल गांधी ने 2005 से 2014 तक देश के अलग-अलग हिस्सों में नॉन-बुलेट रजिस्टेंट व्हीकल (नॉन-बीआर वाहन) में 18 बार यात्रा की. यह एक गंभीर उल्लंघन है. इसके अलावा 2015 से इस वर्ष मई तक राहुल गांधी ने 1,892 मौकों पर दिल्ली में नॉन-बीआर वाहनों में यात्राएं कीं.

आंकड़ों पर नजर डालें तो इसके अनुसार राहुल ने हर दिन लगभग एक बार सुरक्षा कवच तोड़ा है. दिल्ली के बाहर की बात करें तो इस साल जून तक 247 मौकों पर उन्होंने नॉन-बीआर वाहनों का उपयोग यात्रा के लिए किया. राहुल गांधी कई बार वाहन की छत पर भी यात्रा करते नजर आए, जोकि मोटर व्हीकल एक्ट का उल्लंघन तो है ही सुरक्षा सलाह की भी बड़ी अवेहलना है.

सोनिया गांधी भी नहीं रही हैं पीछे
कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी भी इस मामले में राहुल से 20 ही रही हैं. देश की सबसे प्रमुख राजनीतिक संगठन और राष्ट्रीय नजरिये से विपक्ष की नेता के तौर पर उनकी सुरक्षा का मुद्दा अति महत्वपूर्ण है. लेकिन उन्होंने इस ओर कम ही ध्यान दिया है. 2015 से लेकर 2019 तक के चार सालों की बात करें तो उन्होंने दिल्ली में करीब 50 मौकों पर एसपीजी बीआर व्हीकल का इस्तेमाल नहीं किया. एक बार तो उन्हें राहुल गांधी खुद ड्राइव कर ले गए. जिस गाड़ी में दोनों गए वह नॉन बीआर व्हीकल थी. 

इसके अलावा कांग्रेस नेता सोनिया 2019 तक पिछले पांच वर्षो में देश के विभिन्न स्थानों पर नॉन-बीआर वाहन में ऐसी 13 यात्राएं की हैं जो कि निर्धारित नहीं थीं. 2015 के बाद की गई 24 विदेश यात्राओं में वह एसपीजी अधिकारियों को साथ लेकर नहीं गईं.

प्रियंका वाड्रा ने भी बरती है लापरवाही
कांग्रेस महासचिव प्रियंका वाड्रा के मामले में भी कई असुरक्षित आंकड़े हैं. 2015 से 2019 तक दिल्ली में 339 मौकों पर उन्होंने भी एसपीजी बीआर व्हीकल का इस्तेमाल नहीं किया. राष्ट्रीय राजधानी के बाहर 64 मौकों पर उन्होंने एसपीजी बीआर व्हीकल के बिना यात्रा की. इन यात्राओं के संबंध में उन्होंने एसपीजी अधिकारियों की सलाह भी नहीं की और इसकी परवाह किए बिना नॉन-बीआर व्हीकल का इस्तेमाल किया. 1991 के बाद से उन्होंने कुल 99 विदेशी यात्राएं कीं, लेकिन केवल 21 यात्रा में ही वह अपने साथ एसपीजी के जवानों को लेकर गईं.

अधिकांश दौरों पर, उन्होंने अंतिम समय में अपनी यात्रा की योजना एसपीजी को बताई. इसके चलते एसपीजी के लिए प्रियंका की सुरक्षा के मद्देनजर अधिकारियों को नियुक्त करना असंभव हो गया.

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