ढाका: बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना की हत्या की साजिश रचने के जुर्म में हरकतुल जिहाद अल इस्लामी-बांग्लादेश (एचयूजेआई-बी) के 14 आतंकवादियों को 21 साल बाद मौत की सजा सुनाई गई है. इन्हें सार्वजनिक रूप से फायरिंग दस्ते द्वारा गोली मारी जाएगी या फांसी पर लटका दिया जाएगा. 21 जुलाई 2000 को गोपालगंज के कोटलीपारा में हसीना की सभास्थल के पास 76 किलो का एक शक्तिशाली बम लगाया गया था. अगले दिन वहां से एक और बम भी बरामद किया गया, जो 40 किलो का था.
बांग्लादेश के एक विशेष न्यायाधिकरण, ढाका स्पीडी ट्रायल ट्रिब्यूनल-1 के न्यायाधीश अबू जाफर एमडी कमरुज्जमां ने मंगलवार को फैसला सुनाते हुए कहा, "दोषियों ने प्रधानमंत्री शेख हसीना और हत्या करके लोकतांत्रिक और वैध सरकार को बाहर करने के लिए बम लगाया. अदालत ने कहा, 'लिबरेशन के युद्ध में अपनी हार के बाद से मुक्ति-विरोधी बल अपने षड्यंत्रों को अब भी जारी रखे हुए हैं. उन्होंने 1975 में राष्ट्रपिता बंगबंधु शेख मुजीबुर रहमान की हत्या कर दी और शेख हसीना के देश लौटने के बाद उनकी हत्या करने की साजिश रची.'
ट्रिब्यूनल का मानना है कि दोषियों को अनुकरणीय दंड देकर ही ऐसी भयानक और क्रूर घटनाओं को रोकना संभव है. साल 2000 में शेख लुतफोर रहमान गवर्नमेंट आइडियल कॉलेज ग्राउंड में अस्थायी हेलीपैड पर बम लगाकर हसीना को मारने की साजिश रचने के आरोप में एमडी कमरुज्जमां ने प्रतिबंधित हुजई-बी के 14 सदस्यों को मौत की सजा सुनाई. अदालत के लोक अभियोजक अबू अब्दुल्ला भुइयां ने आईएएनएस को बताया कि मंगलवार को भीड़ भरे अदालत कक्ष में फैसला सुनाया गया.
हुजेआई के शीर्ष नेता मुफ्ती अब्दुल हन्नान इस मामले में मुख्य आरोपी था, लेकिन उसका नाम हटा दिया गया, क्योंकि उसे 2004 में ढाका के पूर्व ब्रिटिश उच्चायुक्त अनवर चौधरी पर ग्रेनेड हमले के एक मामले में फांसी दी गई. हमला ढाका के सिलहट में 14वीं शताब्दी के सूफी मंदिर में किया गया था, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई थी, मगर चौधरी को सिर्फ पैर में चोट लगी थी. इसके बाद, हुजेआई-बी के शीर्ष नेता मुफ्ती अब्दुल हन्नान को 12 अप्रैल, 2017 को दो सहयोगियों के साथ एक ही समय में फांसी दे दी गई थी.
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