लाहौर: पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में भीड़ ने शुक्रवार को श्रीलंका के एक नागरिक की कथित तौर पर ईशनिंदा के आरोप में पीट-पीटकर हत्या कर दी और फिर उसके शव को जला दिया. यह पहला मामला नहीं है, जब पाकिस्तान में ईशनिंदा को लेकर भीड़ हिंसक हो गई हो.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, साल 1990 से अब तक पाकिस्तान में भीड़ ने ईशनिंदा का आरोप लगाकर 70 से ज्यादा लोगों की हत्या कर दी. ईशनिंदा को लेकर पाकिस्तान में लोग इस तरह कट्टर हैं कि वे किसी की जान लेने से भी बाज नहीं आते.
आसिया बीबी की जान लेने पर आमादा थी भीड़
इसी तरह का एक चर्चित मामला ईसाई महिला आसिया बीबी का है, जिसकी जान लेने पर पूरा पाकिस्तान आमादा था.
आसिया की खुशनसीबी थी कि वह पाकिस्तान से किसी तरह भाग निकली. वरना भीड़ भी उनका वही अंजाम करती, जो श्रीलंकाई नागरिक का किया.
ईशनिंदा का लगा था आरोप
दरअसल, साल 2009 में पड़ोसियों से झगड़े के बाद आसिया बीबी पर ईशनिंदा का आरोप लगा था. कहा गया कि उन्होंने पैगंबर मोहम्मद का अपमान किया. उन्हें इस मामले में साल 2010 में पाकिस्तान की निचली अदालत ने मौत की सजा भी सुनाई थी. इस आदेश को लाहौर हाई कोर्ट ने बरकरार रखा. हालांकि, 8 साल जेल में रहने के बाद आसिया बीबी को वहां की सुप्रीम कोर्ट ने बरी कर दिया था.
आसिया बीबी को निर्दोष ठहराने का फैसला पाकिस्तान की आवाम को नहीं पचा और उन्होंने जगह-जगह प्रदर्शन किए. कट्टरपंथियों की मांग थी कि आसिया बीबी को उनके हवाले किया जाए. यही नहीं भीड़ आसिया को बरी करने वाले जजों से भी काफी गुस्सा थी.
यह था आसिया का मामला
आसिया ने अपना पक्ष 'ब्लेसफेमी' नामक किताब लिखकर दिया. उन्होंने इसमें बताया कि जून 2009 में वह अपने घर के पास फालसे के बाग में काम कर रही थीं. आसिया का घर लाहौर से करीब 40 मील दूर इतानवाला गांव में था. काम करने के बाद थकी महिलाओं ने आसिया से पास के कुएं से पानी लाने के लिए कहा.
साथी महिलाओं से हुआ था झगड़ा
कुएं से पानी लेकर आई आसिया ने मुस्लिम महिलाओं को देने से पहले दो घूंट पानी खुद पी लिया. एक ईसाई महिला का खुद से पहले पानी पीना मुस्लिम महिलाओं को नागवार गुजरा. दूसरे धर्म के लोगों के हाथों से खाना-पीना पसंद नहीं करने वाली इन कट्टरपंथी मुस्लिम महिलाओं ने आसिया के साथ झगड़ा किया.
इसके पांच दिन बाद आसिया के घर पर पुलिस पहुंची. साथ में भीड़ भी थी, जिसने आसिया पर ईशनिंदा का आरोप लगाते हुए उसे जबरदस्ती घर से बाहर खींच लिया और पीटना शुरू कर दिया. पुलिस ने आसिया को गिरफ्तार कर लिया.
ईशनिंदा के विरोधी गवर्नर की भी ली जान
पाकिस्तान में ईशनिंदा को लेकर लोगों में इस तरह कट्टरता है कि वे आम हो या खास किसी को नहीं देखते. यही वजह है कि आसिया बीबी को सजा देने के खिलाफ बोलने वाले पाकिस्तान के पंजाब के तत्कालीन गवर्नर सलमान तासीर की साल 2011 में उनके सुरक्षा गार्ड ने गोली मारकर हत्या कर दी थी.
आजाद खयाली के समर्थक सलमान तासीर ईश निंदा कानून के विरोधी थे और वे आसिया बीबी को इस कानून के तहत जेल भेजने का विरोध कर रहे थे. यही नहीं वह आसिया से मिलने जेल भी गए थे. लेकिन, कट्टरपंथियों को तासीर का यह कदम रास नहीं आया और उन्हें अपनी नफरत का शिकार बना दिया.
इसके बाद पाकिस्तान के अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री शाहबाज भट्टी ने ईशनिंदा कानून की मुखालफत की तो उनकी भी हत्या कर दी गई.
श्रीलंकाई नागरिक ने फाड़ दिया था TLP का पोस्टर
अब ताजा मामले में सियालकोट जिले की एक कपड़ा फैक्ट्री में महाप्रबंधक और श्रीलंकाई नागरित प्रियंता कुमारा की इसलिए हत्या कर दी गई, क्योंकि उन्होंने कट्टरपंथी तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान (TLP) के एक पोस्टर को कथित तौर पर फाड़ दिया था और इसमें कुरान की आयतें लिखी थीं. उन्होंने इसे कचरे के डिब्बे में फेंक दिया था. श्रीलंकाई नागरिक की हत्या पर यह कहना है पंजाब के एक पुलिस अधिकारी का.
इमरान सरकार ने गुपचुप हटाया TLP से बैन
पुलिस अधिकारी ने बताया कि भीड़ ने श्रीलंकाई नागरिक को फैक्ट्री से बाहर खींचा और उससे बुरी तरह मारपीट की. मारपीट के बाद जब उसकी मौत हो गई तो भीड़ ने पुलिस के पहुंचने से पहले उसके शव को जला दिया. बता दें कि इमरान खान की सरकार ने हाल में टीएलपी के साथ गुप्त समझौता करने के बाद इस कट्टरपंथी संगठन से प्रतिबंध हटा लिया था.
समझौते के बाद संगठन के प्रमुख साद रिजवी और 1500 से अधिक कार्यकर्ताओं को जेल से रिहा कर दिया गया जो आतंकवाद के आरोपों में बंद थे.
पीएम इमरान बोले- पाक के लिए शर्म का दिन
वहीं, इस घटना पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने ट्वीट किया, "सियालकोट में एक फैक्ट्री पर भीषण हमला और श्रीलंकाई प्रबंधक को जिंदा जलाना पाकिस्तान के लिए शर्म का दिन है. मैं जांच की निगरानी कर रहा हूं और सभी जिम्मेदार लोगों को कानून के तहत सख्त सज़ा दी जाएगी. गिरफ्तारियां जारी हैं."
इस बीच, पाकिस्तान के राष्ट्रपति आरिफ अल्वी ने ट्वीट किया, “सियालकोट की घटना निश्चित रूप से बहुत दुखद और शर्मनाक है, और किसी भी तरह से धार्मिक नहीं है.”
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