अब इस घटना के बाद ईरान कहीं बौखला न जाए

अमरीका से उलझने के बाद से ही ईरान की ग्रह-दशा बिगड़ सी गई है. मुश्किलें लगातार बढ़ती ही जा रही हैं. अब इरान के ऊपर एक नई मुसीबत आन पड़ी है, क्या है वो, आइए बताते हैं...

Last Updated : Oct 11, 2019, 02:05 PM IST
    • इस घटना के बाद से अमरीका-ईरान में तनाव के और बढ़ जाने की आशंका जताई जा रही है
    • ईरान का एक तेल टैंकर सउदी अरब के निकट लाल सागर के जिद्दाह तट पर ब्लास्ट कर गया
अब इस घटना के बाद ईरान कहीं बौखला न जाए

नई दिल्ली: दरअसल, शुक्रवार की सुबह ईरान का एक तेल टैंकर सउदी अरब के निकट लाल सागर के जिद्दाह तट पर ब्लास्ट कर गया, जिसके बाद ईरान सरकार और इरानी मीडिया सकते में आ गई है. हालांकि, सउदी अरब इस मामले पर फिलहाल कोई भी टिप्पणी करने से बच रही है.

जहां एक और ईरान सरकार की इस्लामिक रिपब्लिक न्यूज एजेंसी और अन्य मीडिया इस मामले को अब तक टेलिकास्ट करने से बच रही हैं, वहीं अर्ध-सरकारी न्यूज एजेंसी इस्लामिक सोसाइटी ऑफ नॉर्थ अमरीका ने किसी सूत्रों का हवाला दिए बिना इस घटना को मेनस्ट्रीम में दिखाया है. हालांकि, देश के कुछ टीवी चैनलों के रिपोर्टस के मुताबिक ब्लास्ट से ईरान तेल टैंकर के दो स्टोररूम तबाह हो गए हैं. इतना ही नहीं तेल टैंकर में लीकेज की वजह से तेल लाल सागर में रिसने लगा है, जिसे इरान ठीक करने में लगा है.

अमरीका ने दी ब्लास्ट की जानकारी

इस ब्लास्ट की जानकारी अमरीकी थलसेना के एक अधिकारी लेफ्टिनेन्ट पीट पैगानो ने उच्च अधिकारियों से अपनी छोटी बातचीत में दी. इसके अलावा उन्होंने सूत्र और इस घटना से कितना नुकसान हुआ, इसकी कोई जानकारी नहीं दी. मध्य-पूर्व में इन दिनों हालात बड़े जटिल होते जा रहे हैं. हाल ही में कुछ दिनों पहले सउदी अरब के अरामाको तेल खाद्यान पर हमले के बाद लगी भीषण आग से मध्य-पूर्व के क्षेत्रों में हाहाकार मच गया था.

हाशिए पर आ गए हैं अमरीका-ईरान के बीच तनाव

इस घटना के बाद से अमरीका-ईरान में तनाव के और बढ़ जाने की आशंका जताई जा रही है. आपको बता दें कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रम्प के सत्ता में आने के बाद से ही ईरान के साथ विवाद हाशिए पर आ चुके हैं, खासकर परमाणु समझौते के निरस्त किए जाने के बाद से. ऐसे में इस घटना पर सउदी और ईरानी सरकार के संबंध भी प्रभावित होने के पूरे आसार नजर आने लगे हैं. ईरान पर अमरीका द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बाद से ही ईरान को आर्थिक नुकसान का दबाव काफी झेलना पड़ा है. इस आक्रमक ब्लास्ट के कारणों का तो पता नहीं चला है, पर इतना तो तय है कि इसके साइड-इफेक्टस मिडिल-ईस्ट के हालात और भी खराब करने में कैटालिस्ट की भूमिका निभा सकते हैं.

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