खोज: पहली बार चांद पर मिला गैस ईंधन, आसान होंगे स्पेस मिशन

यह ईंधन स्रोत है चांद के दक्षिणी ध्रुवों में पाई जाने वाली जमी हुई गैस के पॉकेट. बताया गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड कोल्ड ट्रैप हो सकती है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 17, 2021, 11:26 AM IST
  • खोज से यह भी पता चलेगा कि चांद पर पानी कैसे बनता है
  • एजीयू जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में शोध प्रकाशित
खोज: पहली बार चांद पर मिला गैस ईंधन, आसान होंगे स्पेस मिशन

नई दिल्ली: पहली बार वैज्ञानिकों को चांद पर ईंधन का एक स्रोत मिला है. यह स्रोत है चांद के दक्षिणी ध्रुवों में पाई जाने वाली जमी हुई गैस के पॉकेट. बताया गया है कि कार्बन डाइऑक्साइड हो सकती है. इस खोज से भविष्य के चंद्र मिशनों को बढ़ावा मिल सकता है. 

यह खोज वैज्ञानिकों को यह समझने में भी मदद कर सकती है कि चांद पर पानी कैसे बनता है. एजीयू जर्नल जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स में यह शोध प्रकाशित हुआ है. 

दशकों की खोज के बाद हुई पहचान
वैज्ञानिकों की मानें तो दशकों की अनिश्चितता के बाद पहली बार चंद्रमा पर कार्बन डाइऑक्साइड कोल्ड ट्रैप की पहचान की गई है, जो कि जमी हुई गैस के पॉकेट में मौजूद हैं.

यदि ठोस कार्बन डाइऑक्साइड पाया जाता है, तो ये ठंडे ट्रैप भविष्य के चंद्र खोजकर्ताओं के लिए ईंधन का एक महत्वपूर्ण स्रोत होंगे. 

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 -352 डिग्री फ़ारेनहाइट तापमान है वहां
अमेरिकी वैज्ञानिकों की एक टीम ने पाया कि ये कोल्ड ट्रैप ध्रुवों पर स्थायी रूप से छाया वाले क्षेत्रों में हैं, जहां तापमान लगातार -352 डिग्री फ़ारेनहाइट रहता है.

ठंडे जाल 78 वर्ग मील के कुल क्षेत्रफल में हैं, अमुंडसेन क्रेटर में सबसे बड़ा क्षेत्र 31 वर्ग मील का एरिया है. वे भी उसी एरिया में स्थित हैं जिसमें पानी की बर्फ होती है.

हालांकि शोधकर्ताओं का कहना है कि कार्बन डाइऑक्साइड के कोल्ड ट्रैप का अस्तित्व चंद्रमा पर ठोस कार्बन डाइऑक्साइड के अस्तित्व की गारंटी नहीं देता है, लेकिन यह सत्यापन इस बात की अत्यधिक संभावना है कि भविष्य के मिशन वहां कार्बन डाइऑक्साइड बर्फ पा सकते हैं.'

अध्ययन से जगह का पूरा नक्शा तैयार हुआ
वैज्ञानिकों ने इस खोज से पहले भी तर्क दिया है कि चंद्रमा पर ठंडे जाल मौजूद हैं, लेकिन नया अध्ययन यह दिखाने वाला पहला है कि वे कहां स्थित हैं और प्रत्येक के स्थान को दर्शाने वाला नक्शा प्रदान करते हैं.

टीम ने कोल्ड ट्रैप के स्थानों का पता लगाने के लिए नासा के लूनर रिकोनिसेंस ऑर्बिटर पर उड़ने वाले उपकरण डिवाइनर लूनर रेडियोमीटर का इस्तेमाल किया. इसके लिए 11 साल के तापमान का डाटा लिया गया.

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