नई दिल्लीः उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन (NATO) ने चीन को एक गंभीर चुनौती बताया है. बेल्जियम के शहर ब्रसेल्स में नाटो के हैडक्वार्टर पहुंचे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने कहा है कि यूरोप की सुरक्षा उसकी एक अहम जिम्मेदारी है. उन्होंने चीन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि उससे यूरोप को डरने की जरूरत नहीं है, अमेरिका उनके साथ मौजूद है. अमेरिका के रहते यूरोप का कोई कुछ नहीं कर सकता है. उन्होंने ये भी कहा कि नाटो हम सभी के लिए बेहद महत्वपूर्ण है.
ट्रंप की नीति के विपरीत बाइडन का फैसला
अमेरिकी राष्ट्रपति का ये बयान इसलिए भी बेहद खास है क्योंकि ये पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की उस नीति के विपरीत है जिसमें उन्होंने यूरोप की सुरक्षा की जिम्मेदारी न लेने की बात कही थी. उन्होंने अपने कार्यकाल में साफ कर दिया था कि अमेरिका बिना किसी फायदे को दुनिया का रखवाला नहीं बन सकता है. ट्रंप ने यूरोप को उसकी सुरक्षा से पीछे हटने तक की चेतावनी दे दी थी.
यूरोप को दिलाया भरोसा
इसके उलट राष्ट्रपति बाइडन ने यूरोप को एक बार फिर से उसकी सुरक्षा को लेकर आश्वस्त किया है. उनके इस बयान का यूरोपीय देशों ने स्वागत किया है. नाटो सम्मेलन में बाइडन ने न सिर्फ चीन को चेतावनी दी बल्कि रूस भी उनके संबोधन का एक केंद्र बिंदु रहा. उन्होंने कहा कि रूस और चीन दोनों ने ही अपने रास्ते बदल लिए हैं. अब वो उस रास्ते पर नहीं है जैसी उनसे कल्पना की गई थी.
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पहले दुनिया ये मानती थी कि वो उदारवादी लोकतंत्र की राह पकड़ेंगे जिससे दुनिया को उनसे खतरा कम होगा, लेकिन ऐसा नहीं हुआ. बीते कई वर्षों में लगातार बरतने के बाद भी चीन चीन अमेरिका का अच्छा सहयोगी नहीं बन सका. यही वजह है कि नाटो के सहयोगियों ने उसको लगातार साजिश रचने वाला देश बताया है.
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क्या है नाटो
शीत युद्ध के दौरान सोवियत संघ से यूरोप की रक्षा करने के लिए इस संगठन को बनाया गया था. नाटो के रुख में जो इन दिनों सबसे बड़ा बदलाव आया है वह ये है कि वह चीन को अपनी मुख्य चुनौती मान रहा है. शिखर वार्ता के बाद जारी किए गए विस्तृत बयान में चीन के रवैये की ही आलोचना की गई है. इस संगठन को 4 अप्रैल, 1949 को 12 संस्थापक सदस्यों द्वारा अमेरिका के वाशिंगटन में किया गया था. यह एक अंतर- सरकारी सैन्य संगठन है.इसका मुख्यालय बेल्जियम की राजधानी ब्रुसेल्स में अवस्थित है. वर्तमान में इसके सदस्य देशों की संख्या 30 है.
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