नई दिल्लीः चीन अपनी नापाक हरकतों से बाज नहीं आ रहा है, सारी दुनिया अभी तक उसके दिए संकट से जूझ रही है, लेकिन यह देश हमेशा युद्धक रणनीतियों में व्यस्त रहता है और अन्य देशों के सामने विपरीत परिस्थितियां खड़ी करता रहता है. चीन ने एक बार फिर ऐसी ही कार्रवाई को अंजाम दिया है, चीन अब समुद्री रास्तों से दूसरे देशों की नौसेना की जासूसी कर रहा है, और इससे जुड़ी जानकारी इकट्ठा कर रहा है.
चीन ने किया क्या है?
दरअसल, चीन ने हिंद महासागर में 12 अंडर वॉटर ड्रोन्स तैनात किए हैं. इन ड्रोन्स को बीते साल के आखिरी में यानी दिसंबर में लॉन्च किया था. जानकारी के अनुसार इसके जरिए करीब 3500 मिशन को अंजाम दिया गया है.
यह आंकड़ा फरवरी तक का है, यानी चीन के तैनात इन ड्रोन 'सिपाहियों' ने समुद्री किनारों से सटे देशों की अहम जानकारियां जुटा ली हैं. जरूरी बात है कि भारत भी इनमें से एक हो सकता है.
ऐसी है ये ड्रोन
'Sea wing gliders' नाम से जाने जानी वाली इन अंडरवाटर ड्रोन्स में कोई भी ह्यूमन क्रू नहीं होता है, यानी ये unmanned ड्रोन्स हैं. रिपोर्ट के मुताबिक, इन ड्रोन्स को दिसम्बर महीने में समुद्र के सर्वे के मकसद से चीनी नौ सेना के Xiangyanghong-6 शिप से हिंद महासागर में लॉन्च किया गया था. इस सर्वे का क्या मकसद हो सकता है, स्पष्ट नही है.
ये है चीन का दावा
सुरक्षा जानकारों के मुताबिक, चीन इसके जरिये दूसरे देश की नौसेना की जासूसी कर रहा है. हालांकि चीन सरकार का दावा है कि वो इसके जरिये oceanography से जुड़े डेटा इकट्ठा कर रहा है. चीन के सी विंग ग्लाइडर्स अंडरवाटर ड्रोन्स अमेरिकी नौसेना द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले Littoral Battlespace Sensing-Glider (LBS-G) से काफी मिलते—जुलते हैं.
महासागरीय भूगोल के बारे में जानकारी इकट्ठा करने के पीछे आखिर चीन की क्या मंशा हो सकती है.
चीन की यह कोशिश पहली बार नहीं
महासागरीय गतिविधि को लेकर चीन की यह कोशिश पहली नही है. हिंद महसागर में चीन पहले से दबदबा बनाने की कोशिश करता आया है और सागरीय सीमा पर नजर गड़ाए है. भारत की समुद्री सीमा 7500 किलोमीटर लंबी है. हिंद महासागर में अपना दबदबा बढ़ाने की चीन की कोशिशों को देखते हुए भारत पहले से सीमा निगरानी के लिए नजर बनाए हुए है.