नई दिल्लीः America में 17 जून 1972 की रात थी.  होटल वॉटरगेट में एक टेक्निकल सपोर्ट टीम पहुंची थी. बताया गया कि देश की विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक के ऑफिस में कुछ तकनीकी खामी थी, जिसे ठीक करने टीम आई हुई है. स्थिति संदिग्थ थी. टीम अभी तार वगैरह काट-जोड़ रही थी कि पुलिस ने धावा बोल दिया.


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टेक्निकल सपोर्ट टीम धराई गई. इसके अगले दिन जो सामने आया उसने अमेरिकी लोकतंत्र की नींव तो हिलाई ही, साथ ही दुनिया के सामने अमेरिका और उसके तत्कालीन राष्ट्रपति Richard Nixon का बदनुमा चेहरा दिखाया. निक्सन चुनाव में जीत के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के दफ्तर मे जासूसी कराते पकड़े गए थे. उन पर महाभियोग लगा. इस बात को दशकों बीत गए. शायद लोग भूल गए. 



लेकिन बुरे इतिहास विषैले जिद्दी सांप की तरह होते हैं, वर्तमान की चोट लगते ही तुरंत फन उठा लेते हैं. अमेरिका में निवर्तमान राष्ट्रपति Donald Trump कुछ इन्हीं वजहों से चर्चा में हैं और पूर्व राष्ट्रपति रिचर्ड निक्सन का वॉटरगेट कांड याद आ रहा है. 


Donald Trump ने अपने ऊपर विलेन की मुहर लगवा ली है
US Senate पर समर्थकों के साथ मिलकर कब्जे की कोशिश के बाद Trump ने अपना इतिहास दागदार कर लिया है. हालांकि उनका कार्यकाल विवादित ही रहा है, लेकिन 6-7 January 2021 की इस घटना को दुनिया भर से आलोचना मिल रही है. इसे लोकतंत्र पर हमला, अमिरेकी इतिहास का काला दिन, बर्बर युग की वापसी, दुर्भाग्यपूर्ण दिन जैसे बुरे विशेषण दिए गए हैं.



इसी के साथ Donald Trump ने अपने ऊपर विलेन की मुहर लगवा ली है.  अमेरिका में हालात तनाव से भरे हैं और इस बीच जोर -शोर से मांग उठी है कि  उपराष्‍ट्रपति माइक पेंस संविधान संशोधन 25 को लागू करने पर विचार करें. पूरे मामले में जैसे ही संविधान संशोधन 25 शब्द का प्रयोग हुआ, यह तय हो गया कि Trump ने अपने लिए बदनामी भरी विदाई चुन ली है. 


अपने पूरे कार्यकाल में विवादित रहे हैं Trump
इसके पहले वह बार-बार चुनावों में धांधली का आरोप लगा रहे थे. अपने समर्थकों से कह रहे थे कि हार नहीं मानेंगे. उन्हें भड़काऊ भाषण दे रहे थे. अगर ऐसा नहीं होता तो हो सकता था 20 January को वे एक सम्मानिक विदाई के हकदार बनते, लेकिन अब उन्हें लंबी कानूनी प्रक्रिया से भी गुजरना पड़ सकता है.



ट्रंप समर्थकों की खूनी हिंसा से भड़के उपराष्‍ट्रपति माइक पेंस ने इसे संसद के इतिहास का काला दिन करार दिया है. उन्‍होंने कहा कि हिंसा की 'कभी जीत नहीं हो सकती है.  अमेरिकी राष्ट्रपति डोनॉल्ड ट्रंप अपने चार साल के कार्यकाल में पूरी तरह विवादित रहे. अब जाते-जाते उन्होंने अमेरिकी संसद पर कब्जा करने जैसा विवाद भी ओढ़ लिया.  इस तरह उन्होंने खुद को पूर्व राष्ट्रपति निक्सन की अगली पंक्ति में खड़ा कर लिया है. 


क्या है अमेरिकी संविधान संविधान का 25वां संशोधन
सीधी भाषा में यह संशोधन कहता है कि अमेरिका में उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति बन सकता है, इसके लिए कैबिनेट को बहुमत से यह घोषित करना होगा कि राष्‍ट्रपति अपने पद और दायित्व के निर्वहन में सक्षम नहीं है.  अगर राष्ट्रपति इस घोषणा का विरोध करते हैं (जो कि ट्रंप के मामले में होना तय है) तो संसद के दोनों ही सदनों में दो त‍िहाई बहुमत से प्रस्‍ताव को पारित करके राष्‍ट्रपति को हटाया जा सकता है. Trump को हटाने के लिए दो तिहाई बहुमत की ही जरूरत होगी.  


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संविधान संशोधन 25 का इतिहास
संविधान संशोधन 25 को इतिहास के नजरिए से देखें तो इसकी पैदाइश भी खून से भीगी हुई. यह सीधे अमेरिकी राष्ट्रपति John F. Kennedy की हत्या के दौर में ले जाता है. 1963 में राष्ट्रपति जॉन एफ कैनेडी की हत्या के बाद यह बड़ा संकट सामने आ खड़ा हुआ था कि राष्ट्रपति का अगला उत्तराधिकारी कौन होगा.



इस पर बात निकली तो इतनी दूर तक गई कि जहां से एक राष्ट्रपति में क्या -क्या अयोग्यताएं हो सकती हैं उन्हें भी देखना जरूरी हो गया.  इसमें राष्ट्रपति की शारीरिक फिटनेस, मानसिक स्वास्थ्य भी न ठीक रहने पर उसे हटाने का प्रस्ताव है. 


देश के लिए खतरनाक ट्रंप? 
Trump के मामले में और बुधवार को हुए कांड के बाद कहा जा रहा है कि संशोधन 25 इस तरह भी व्याख्या करता है कि अगर कोई देश के लिए ही खतरा बन जाए तो उसे भी हटाया जा सकता है. बुधवार को अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति Donald Trump के हजारों समर्थक अमेरिकी संसद की बिल्डिंग कैपिटल हिल में घुस गए और एक तरह से उस पर कब्‍जा करने की कोशिश की.



जोरदार झड़प में 4 मौतें हो गईं. नए राष्ट्रपति के रूप में Joe Biden के नाम पर मोहर लगाने की संवैधानिक प्रक्रिया भी बाधित हुई. यह सारे घटनाक्रम Trump को देश के लिए खतरनाक साबित करते हैं.


Trump पूर्व राष्ट्रपति निक्सन वाली Line में खड़े हैं
Trump ने बुधवार को जो किया वह तो सामने ही है, इससे पहले उन्होंने शनिवार को जो कारनामा किया वह उसमें भी घिरे हैं. Trump ने जॉर्जिया चुनाव में वोटों की गिनती के दौरान शीर्ष चुनाव अधिकारी को फोन करके परिणाम 'बदलने' के लिए दबाव डाला था.



उनके इस बातचीत का ऑडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो गया. इस कांड के बाहर आते ही अमेरिका की राजनीति में वाटरगेट कांड का भूत फिर से जी उठा और पूर्व राष्ट्रपति निक्सन का प्रकरण याद आ गया. 


पूर्व राष्ट्रपति निक्सन ने कराई थी जासूसी
रिचर्ड निक्सन का कारनामा 1969 के दौर में ले जाता है, वह तब रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार थे और अमेरिका के राष्ट्रपति बने. कार्यकाल के आखिरी साल में उन्होंने  चुनाव जीतने के लिए डेमोक्रेटिक पार्टी के नेशनल कमेटी के ऑफिस की जासूस करवाई. यह Office वॉटरगेट होटल में था. इसलिए इसे वॉटरगेट कांड कहा गया. 



जासूसी के लिए होटल परिसर में खुफिया डिवाइस लगाई गई ताकि बातचीत सुनी जा सके. लेकिन चुनाव से एक साल पहले ही डिवाइस खराब हो गई. इसे ठीक करने के लिए स्पेशल टीम बनाई गई.  टीम 17 जून, 1972 की रात को डिवाइस ठीक करने वॉटरगेट होटल पहुंची और गिरफ्तार कर ली गई. अगले दिन के अखबार अमेरिका के सबसे बड़े राजनीतिक कांड से अटे पड़े थे. 


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निक्सन को देना पड़ा इस्तीफा
हालांकि निक्सन विवादों के बाद भी चुनाव जीतने में सफल रहे थे. मई, 1973 को अमेरिकी सीनेट में वाटरगेट कांड को लेकर सुनवाई शुरू हुई तो निक्सन ने चालबाजी दिखाते हुए  सभी आरोपियों के इस्तीफे मांग लिए. ये वही लोग थे जो इस कांड में उनके सहयोगी थे. 


30 अक्टूबर, 1973 को निक्सन के खिलाफ महाभियोग का प्रस्ताव लाया गया.  निक्सन के ऊपर कोर्ट के काम में दखल देने, राष्ट्रपति की शक्तियों का दुरुपयोग करने और हाउस ऑफ रिप्रेजेंटेटिव के सामने गवाही देने न आने के लिए उन पर आरोप तय किए गए. 



6 फरवरी 1974 को निक्सन के खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई शुरू हुई. महीनों तक इस मामले में दांव खेलते निक्सन को जब लग गया कि बेइज्जती के अलावा उनके पास कुछ नहीं बचेगा तो 8 अगस्त 1974 को लाइव टीवी कार्यक्रम में उन्होंने इस्तीफा दे दिया.  अमेरिकी इतिहास में यह पहला मौका था जब किसी राष्ट्रपति को पद पर रहते हुए इस्तीफा देना पड़ा था. 


अमेरिका के लिए अफसोस जनक स्थिति
महज 13 दिन बाद 20 January को Joe Biden का शपथ ग्रहण समारोह होता और वह घोषित रूप से अमेरिकी राष्ट्रपति होंगे. यह Trump के लिए भी मौका होता कि वह भले ही विवादित रहे हों, लेकिन बतौर राष्ट्रपति सम्मानित विदाई लेकर जाते.



7 January के इस कांड ने यह स्थिति बना दी है कि अमेरिका 46 साल का इतिहास दोहराने की कगार पर खड़ा है. लोकतंत्र एक बार फिर दांव पर लगा है और चारों तरफ पसरा है तो केवल अफसोस....


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