नई दिल्ली. गलवान घाटी और लद्दाख की पैंगोंग त्सो झील आज भी भारत और चीन के बीच चल रहे सैन्य तनाव की साक्षी है. यद्यपि तनाव कम करने के लिए दोनों देशों के बीच वार्ताओं के पांच दौर हो चुके हैं लेकिन उनको विफलता के सिवा कुछ नहीं मिल सकता है और अभी भी दोनों पक्ष विवादित सीमा क्षेत्रों में आक्रामक मुद्रा में हैं.
तनाव कम होता नज़र नहीं आ रहा
लद्दाख और उत्तरी सिक्किम सीमा पर भारत और चीन की सैन्य तैनाती पिछले दो सप्ताह में लगातार बढ़ी है. प्रशासनिक सूत्र बताते हैं कि तनाव कम होने की संभावना नज़र नहीं आ रही है और दोनों देशों के सैनिक आक्रामक तेवर अपनाये हुए हैं.
गलवान घाटी में सड़क निर्माण है समस्या की जड़
इस समस्या की जड़ गलवान घाटी में सड़क निर्माण से जुड़ी हुई है. भारत के द्वारा गलवान घाटी में किया जा रहा सड़क निर्माण चीन को पसंद नहीं आया और उसने आपत्ति जताने के साथ ही अपने सैनकों की संख्या में इजाफा कर दिया. इसकी प्रतिक्रिया में भारत को अपनी सैन्य तैनाती बढ़ानी पड़ी.
पांच और नौ मई को हो चुकी हैं तीखी सैन्य झड़पें
यद्यपि भारत और चीन के राजनयिक चैनल भी अपेक्षा कर रहे हैं कि बातचीत के माध्यम से तनाव को कम किया जा सके. किन्तु जिस तरह चीन ने सीमा पर तनाव बढ़ाया है उसी तरह उसने पिछले बीस दिनों में दो बार भारत के साथ सैन्य झड़पों की कोशिश भी की हैं. पांच मई को हुई झड़प में लाठी डंडे ले कर चीनी सैनिकों ने भारतीय सैनिकों पर हमला किया था जिसका जवाब भारतीय सैनिकों ने भी दिया. इस हमले में ढाई सौ के करीब सैनिक दोनों तरफ से घायल हुए थे.
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