NATO सदस्य बनने के क्या होते हैं फायदे, जिसका 31वां सदस्य बनेगा फिनलैंड

उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के प्रमुख जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि फिनलैंड मंगलवार को दुनिया के सबसे बड़े इस सैन्य गठबंधन का 31वां सदस्य बनेगा.

Written by - Akash Singh | Last Updated : Apr 3, 2023, 08:12 PM IST
  • जानिए क्या होता है नाटो का फायदा
  • इसका सदस्य बनने पर मिलता है ये फायदा
NATO सदस्य बनने के क्या होते हैं फायदे, जिसका 31वां सदस्य बनेगा फिनलैंड

नई दिल्लीः उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) के प्रमुख जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि फिनलैंड मंगलवार को दुनिया के सबसे बड़े इस सैन्य गठबंधन का 31वां सदस्य बनेगा. उन्होंने उम्मीद जताई कि फिनलैंड का पड़ोसी स्वीडन भी आगामी महीनों में नाटो में शामिल हो सकता है. नाटो महासचिव स्टोल्टेनबर्ग ने नाटो विदेश मंत्रियों की होने वाली बैठक की पूर्व संध्या पर सोमवार को संवाददाताओं से कहा, यह ऐतिहासिक सप्ताह है, कल से फिनलैंड सैन्य गठबंधन का पूर्ण सदस्य होगा.

तुर्की ने किया समर्थन
उन्होंने कहा कि नाटो के सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की बैठक ब्रसेल्स में होगी और फिनलैंड की सदस्यता का समर्थन करने वाला अंतिम देश तुर्किये अपने आधिकारिक दस्तावेज अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को सौंपेगा. स्टोल्टेनबर्ग ने कहा कि वह उसके बाद फिनलैंड को भी ऐसा करने के लिए आमंत्रित करेंगे. फिनलैंड का ध्वज शामिल करने के लिए ध्वजारोहण समारोह नाटो के मुख्यालय में मंगलवार अपराह्न में आयोजित किया जाएगा. 

जानिए क्या बोले फिनलैंड के राष्ट्रपति
फिनलैंड के राष्ट्रपति साउली निनिस्तो और रक्षा मंत्री एंट्टी कैकोनेन के अलावा विदेश मंत्री पक्का हाविस्टो समारोह में भाग लेंगे. हाविस्टो ने कहा, ‘‘यह हमारे लिए ऐतिहासिक क्षण है. फिनलैंड के लिए बैठक का सबसे अहम उद्देश्य यूक्रेन के प्रति नाटो के समर्थन पर जोर देना होगा, क्योंकि रूस अपनी अवैध आक्रामकता को जारी रुखे हुए है. हम यूरोपीय-अटलांटिक क्षेत्र में शांति और स्थायित्व को बढ़ावा देना चाहते हैं.

फिनलैंड और स्वीडन के शामिल किये जाने संबंधी प्रोटोकॉल पर नाटो के सभी 30 देशों ने हस्ताक्षर कर दिये हैं. हालांकि, तुर्किये और हंगरी ने नाटो के विस्तार की कवायद को महीनों तक बाधित किया, लेकिन दोनों अंतत: फिनलैंड पर सहमत हो गये. तुर्किये ने चरमपंथ से निपटने को लेकर दोनों देशों से गारंटी और आश्वासन मांगा था. हंगरी की मांग भी इससे अलग नहीं है. किसी देश को नाटो में शामिल करने के लिए सभी सदस्य देशों का समर्थन जरूरी होता है.

क्या होता है नाटो
नाटो यानी नॉर्थ अटलाटिंक ट्रीटी ऑर्गनाइजेशन, यह वह संगठन है जो एक रक्षा गठबंधन के तौर पर काम करता है. साल 1949 में 12 देशों के साथ इसका गठन किया गया था जिसमें अमेरिका, यूके, कनाडा और फ्रांस भी शामिल थे. इसमें शामिल देशों ने तय किया था कि किसी भी हमले की स्थिति में ये एक-दूसरे की मदद के लिए आगे आएंगे. द्वितीय विश्‍व युद्ध के बाद यूरोप में रूस के विस्‍तार को रोकना था. साल 1991 में जब सोवियत संघ का पतन हुआ तो कई पूर्वी यूरोपियन देश जो वॉरसॉ संधि में रूस के साथी थे, उन्‍हें भी नाटो की सदस्‍यता मिल गई.

फिनलैंड से पहले नाटो में कुल 30 देश थे और इसका हेडक्‍वार्टर ब्रसेल्‍स में है. सदस्‍य देशों में तुर्की भी अहम देश है. 6 फरवरी 2019 का मैसिडोनिया इसका नया सदस्‍य देश बना था. रूस हमेशा से कहता आया है कि इन देशों को नाटो की स्‍वीकार्यता मिलना उसकी सुरक्षा के लिए खतरा है.

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