तीसरे विश्वयुद्ध की आहट, जानिए कैसे हो सकती है शुरुआत
दुनिया के महाशक्ति माने जाने वाले देश एक दूसरे को `देख लेने` की धमकियां दे रहे हैं. ऐसे में कोई भी एक चिंगारी विश्वयुद्ध भड़का सकती है. आईए आपको बताते हैं कि वो चिंगारी क्या हो सकती है.
नई दिल्ली: किसी भी विश्वयुद्ध की पीछे कोई एक कारण नहीं होता. बल्कि पिछले काफी सालों से चली आ रही वैश्विक गतिविधियों की वजह से महायुद्ध की शुरुआत होती है. जिसमें एक एक करके पूरी दुनिया के देश शामिल हो जाते हैं. लेकिन हर बड़े युद्ध के पीछे एक ऐसी घटना जरूर होती है, जो दशकों से इकट्ठा होने वाले तनाव रूपी बारुद के लिए चिंगारी का काम करती है.
जैसे पहले विश्वयुद्ध में ऑस्ट्रिया के राजकुमार आर्कड्यूक फ्रांसिस फर्डिनेन्ड की हत्या या फिर दूसरे विश्वयुद्ध में पोलैंड पर जर्मनी का हमला.
इसी तरह तीसरे विश्वयुद्ध के लिए भी बारुद जमा हो गया है. आईए आपको बताते हैं कि इस बार कौन सी घटना चिंगारी का काम कर सकती है.
किम जोंग की हरकतों की वजह से भड़क सकता है विश्वयुद्ध
उत्तर कोरिया के तानाशाह किम जोंग की हरकतें विश्वयुद्ध भड़काने की दिशा में बड़ी चिंगारी का काम कर सकती हैं. पिछले एक महीने से किम जोंग का नाटक जारी है. कभी वह गुम हो जाता है तो कभी अचानक यूरेनियम फैक्ट्री का उद्घाटन करने सामने आ जाता है.
किम जोंग लगभग 20 दिनों के लिए गायब हो गया था. फिर वह अचानक सामने आया जिसके बाद उसने दक्षिण कोरिया के खिलाफ बिना उकसावे के शत्रुतापूर्ण हरकतें शुरु कर दीं. तानाशाह किम के पब्लिक में दिखते ही नॉर्थ और साउथ कोरिया के बीच सीमा पर फायरिंग की खबरें आ रही हैं. पूरी खबर यहां क्लिक करके पढें-
इसके अलावा किम जोंग अपने परमाणु बमों के जखीरे को बढ़ाने में लगा हुआ है. उसके पास पहले से 20 से 30 परमाणु बम मौजूद हैं. वह इनकी संख्या और बढ़ाने की साजिश कर रहा है. पूरी खबर यहां क्लिक करके पढ़ें-
अमेरिका और पश्चिमी देश कतई नहीं चाहेंगे कि किम जोंग के पास परमाणु बम और बढ़ें. क्योंकि किम जोंग के पास बड़ी रेंज की मिसाइलें पहले से उपलब्ध हैं. ऐसे में अगर पर परमाणु बमों का उत्पादन भी शुरु कर देता है तो यह पूरी दुनिया के लिए खतरनाक साबित होगा.
किम जोंग चीन का मोहरा है. जबकि दक्षिण कोरिया को पश्चिमी देशों का संरक्षण प्राप्त है. ऐसे में किम जोंग की हरकतें पूरी दुनिया में युद्ध का कारण बन सकती हैं.
अमेरिका चीन का व्यापार युद्ध भी जंग भड़कने के पीछे अहम कारण
दुनिया में युद्ध भड़कने में सबसे अहम कारण आर्थिक होते हैं. पिछले कुछ सालों से चीन और अमेरिका के बीच ट्रेड वार जारी था. जिसे बड़ी मुश्किल से खत्म किया गया था. लेकिन तभी दुनिया के सामने कोरोना वायरस जैसी महामारी आ गई.
अमेरिका ने इसके प्रसार के लिए चीन को जिम्मेदार माना है और उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई भी शुरु कर दी है. 7 मई 2020 को ये खबर लिखे जाने तक यूएस की प्रतिनिधि सभा में 'कोविड-19 के दौरान आक्रामक अधिग्रहण पर प्रतिबंध अधिनियम' पेश किया गया है. इसका उद्देश्य अमेरिका में चीन की आर्थिक गतिविधियों पर रोक लगाना है.
इसके अलावा चीन के खिलाफ कार्रवाई के लिए अमेरिका एक सूची तैयार कर रहा है जिसमें अमेरिकी ऋण दायित्वों को रद्द करने और नई व्यापार नीतियों को तैयार करने जैसे कई उपाय भी सम्मिलित किये गए हैं. जिसकी वजह से चीन के आर्थिक मेरुदंड को बड़ी और कड़ी चोट पहुंचेगी. इसे जुड़ी पूरी खबर आप यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं.
अमेरिका में चीन का अरबों-खरबों डॉलर की रकम फंसी हुई है. अगर अमेरिका चीन के कर्जों को देने से इनकार करके उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कदम उठाता है तो चीन बर्बाद हो जाएगा. इसे रोकने के लिए चीन किसी हद तक जा सकता है.
अमेरिका और चीन की आर्थिक जंग दुनिया में विश्वयुद्ध छिड़ने का बड़ा कारण बन सकता है.
दक्षिण चीन सागर की झड़प कभी भी भड़का सकती है विश्वयुद्ध
पूरी दुनिया कोरोना वायरस में उलझी हुई है. लेकिन दक्षिण चीन सागर में चीन की सेना अपना प्रभुत्व बढ़ाने में जुट गई है. जिसकी वजह से वहां तनाव बढ़ता जा रहा है.
अमेरिका का आरोप है कि चीन की सेना दक्षिण चीन सागर में आक्रामक व्यवहार कर रही है. इस पर चीन ने आरोप लगाया है कि अमेरिका में राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं, लिहाजा मौजूदा ट्रंप प्रशासन माहौल को भड़का रहा है. इस बढ़ते तनाव के बीच चीन के जंगी जहाजों ने युद्ध का लाइव अभ्यास किया है. इस बीच अमेरिका ने अलास्का में अपने ब्रह्मास्त्र कहे जाने वाले F-35 फाइटर जेट को अलर्ट मोड में तैयार कर रखा है. पूरी खबर यहां क्लिक करके पढ़ें-
इसके अलावा अमेरिका के सेक्रेटरी ऑफ स्टेट माइक पॉम्पियो ने US-ASEAN वीडियो कॉन्फ्रेंस में आरोप लगाया है कि दुनिया कोरोना वायरस में उलझी हुई है और चीन उसका फायदा उठाते हुए साउथ चाइना सागर में अपने विस्तारवादी मंसूबे को अंजाम देने की कोशिशों में जुटा हुआ है. जिसके बाद दोनों देशों का तनाव सतह पर आ गया है.
इस विवाद का कारण ये है कि चीन लगभग पूरे साउथ चाइना सी पर जबरन अपना दावा जताता है, लेकिन इस समुद्री क्षेत्र की सीमाएं वियतनाम, फिलिपींस, ताइवान, मलेशिया और ब्रूनेई के साथ भी मिलती है. जिनकी रक्षा के लिए इस क्षेत्र में अमेरिकी नौसेना तैनात है.
लेकिन चीन इस इलाके में अमेरिका नौसैनिक जहाजों की उपस्थिति का विरोध करता है. दोनों देशों के बीच इस इलाके में भारी तनाव है. हथियारों से लदे चीनी और अमेरिकी नौसैनिक जहाज कई बार इस इलाके एक दूसरे के आमने सामने आ चुके हैं.
ऐसे में किसी की भी तरफ से दागा गया एक भी गोला पूरी दुनिया को जंग की आग में धकेल देगा.
यकीन नहीं हो तो द्वितीय विश्वयुद्ध के दौरान हुई पर्ल हार्बर की घटना याद कर लीजिए. जिसकी परिणति दुनिया के पहले परमाणु हमले में हुई और जापान के हिरोशिमा और नागासाकी शहर हमेशा के लिए तबाह हो गए.
चीन भी जंग की तैयारियों में जुटा हुआ है
अमेरिका की तरफ से दंडात्मक कार्रवाईयों और कोरोना संकट की वजह से पूरी दुनिया में चीन के खिलाफ बढ़ती भावनाओं से चीनी राजनेता भी गाफिल नहीं हैं.
चीन के राज्य सुरक्षा मंत्रालय ने अप्रैल की शुरुआत में राष्ट्रपति शी जिनपिंग सहित बीजिंग के शीर्ष नेताओं को एक रिपोर्ट सौंपी थी. जिसमें कहा गया है कि चीन को अमेरिका के साथ सशस्त्र टकराव की सबसे खराब स्थिति के लिए तैयार रहने की जरूरत है.
ये रिपोर्ट चीनी रक्षा मंत्रालय से संबद्ध एक थिंक टैंक चाइना इंस्टीट्यूट ऑफ कंटेमंपरेरी इंटरनेशनल रिलेशंस (CICIR) द्वारा तैयार की गई थी, जो चीन के शीर्ष खुफिया एजेंसी है.
रिपोर्ट में ये निष्कर्ष निकाला गया कि वाशिंगटन, चीन के उदय को आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के खतरे और पश्चिमी लोकतंत्र के लिए एक चुनौती के रूप में देखता है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका का लक्ष्य जनता के विश्वास को कम करके सत्तारूढ़ कम्युनिस्ट पार्टी को हटाना है.
ये रिपोर्ट समाचार एजेन्सी रॉयटर ने छापी है. पूरी रिपोर्ट आप यहां देख सकते हैं-
इस रिपोर्ट के आधार पर यह कहा जा सकता है कि चीन को अंदाजा है कि अमेरिका सहित पश्चिमी देश उसके खिलाफ एकजुट हो रहे हैं. ऐसे में उसे गंभीर परिस्थितियों का सामना करना पड़ेगा. जिसे देखते हुए चीन की सेना भी सजग हो रही है. चीन ने हाल ही में परमाणु परीक्षण भी किया है. ये पूरी खबर आप यहां पढ़ सकते हैं.
लेकिन चीन का कोई भी दुस्साहस या अमेरिका की उसके खिलाफ कार्रवाई पूरी दुनिया को जंग की आग में झोंकने की चिंगारी साबित हो सकती है.
ऐसी वैश्विक परिस्थितियों में भारत को दोनों पक्षों से निर्लिप्त रहकर अपनी ताकत को अक्षुण्ण रखते हुए दुनिया के नेतृत्व के लिए तैयार रहना चाहिए.