नई दिल्ली. ये नए टकराव की आहट भी हो सकती है और तृतीय विश्वयुद्ध की शुरुआत भी. साउथ चाइना सी में चीन के समुद्री दावे को लेकर आसियान देशों ने सख्त बयान जारी किया है जो कि चीन को बौखला देने के लिए काफी है.
संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि का पालन करे चीन
1982 में संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि इस उद्देश्य से की गई थी ताकि आधार पर दक्षिण चीन सागर में संप्रभुता का निर्धारण किया जा सके. दक्षिण-पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं ने कहा कि 1982 में हुई इस संयुक्त राष्ट्र समुद्री कानून संधि का चीन को पालन करना होगा. दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों के नेताओं की ये अब तक की सबसे सख्त टिप्पणी है जो कि चीन द्वारा ऐतिहासिक आधार पर दक्षिण चीन सागर के बड़े हिस्से पर दावा करने का विरोध करती है.
वियतनाम में बैठक के बाद दिया बयान
दक्षिण पूर्वी एशियाई राष्ट्र संगठन के नेताओं ने साउथ चाइना सी पर चीनी अतिक्रमण को लेकर वियतनाम में दस देशों ने एक बैठक की और इस विषय पर अपना रुख साफ करते हुए यह बयान जारी किया है. कोरोना महामारी की वजह से दस देशों के आसियान संगठन का शिखर सम्मेलन शुक्रवार 26 जून को वीडियो कॉन्फ्रेंस के माध्यम से आयोजित किया गया. चीन द्वारा साउथ चाइना सी क्षेत्र में अतिक्रमण आसियान नेताओं के एजेंडे में एक लम्बे समय से सर्वोच्च विषय रहा है.
''1982 का क़ानून मानना होगा''
आसियान के बयान में मूल रूप से कहा गया कि - हम आसियान देश इस बात को फिर से जोर देकर कहते हैं कि 1982 में हुई संयुक्त राष्ट्र समुद्री क़ानून संधि समुद्री अधिकार, संप्रभुता, अधिकार क्षेत्र और वैधता निर्धारित करने के लिए प्रमुख आधार है और इसका सभी को पालन करना होगा.
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