नई दिल्ली. हटाए गए प्रधानमंत्री ही कहा जा सकता है महातिर मुहम्मद को क्योंकि उन्होंने स्वयं इस्तीफा नहीं देना चाहा था, लेकिन वे इस्तीफे के लिए विवश थे. अब मलेशिया के नए प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं पूर्व गृहमंत्री मोहिउद्दीन यासीन जो कि मलेशिया के राजमहल की पहली पसंद हैं. हालांकि महातिर को नापसंद करने में एक बड़ा कारण उनका भारत को नाराज़ करना भी था लेकिन इस सत्ता-परिवर्तन के पूरे प्रकरण में इस कोण का कहीं भी ज़िक्र नहीं हुआ है.
राजमहल की पसंद हैं पूर्व गृहमंत्री
मलेशिया के राजमहल ने पूर्व गृह मंत्री मोहिउद्दीन यासीन को देश का नया प्रधानमंत्री चुन लिया है जो कि प्रधानमंत्री रहे महातिर मोहम्मद के लिए किसी सज़ा से कम नहीं क्योंकि वे जीजान से कोशिश कर रहे थे कि वे दुबारा से गद्दी हथिया लें लेकिन इस बार उनकी एक न चली और अब नए प्रधानमंत्री के तौर पर मोहिउद्दीन यासीन रविवार को प्रधानमंत्री पद की शपथ लेंगे.
हफ्ते भर का महातिर का सियासी ड्रामा नाकाम
महातिर मोहम्मद ने खुद ही इस्तीफा दे कर इस्तीफा वापस लेने की पेशकश का ड्रामा भी किया लेकिन कहीं भी उन्होंने भारत के प्रति दर्ज किये अपने अनावश्यक विरोध के लिए खेद प्रगट नहीं किया. उनकी गलतियों के लिए मलेशिया के दूसरे बड़े नेताओं ने भारत से क्षमा प्रार्थना की थी किन्तु महातिर ने अपनी अकड़ में ज़रा भी ढील नहीं आने दी. मलेशिया के राजमहल ने सीधी तौर पर कुछ नहीं कहा किन्तु प्रधानमंत्री के पद के लिए महातिर की बजाये मोइउद्दीन को चुन लिया और उसका बाकायदा ऐलान भी कर दिया.
सीएए पर बयान भारी पड़ गया
महातिर को सीएए पर भारत विरोधी बयान भारी पड़ गया. उनका खयाल था कि भारत की नाराज़गी से उनका कुछ नहीं बिगड़ेगा और मुस्लिम कटटरपंथियों में उनकी छवि उज्ज्वल हो जायेगी. पर उनका पांसा उलटा पड़ गया. मलेशिया को करोड़ों रूपये का नुकसान एक आदमी की बदौलत मंज़ूर नहीं हुआ और अंदरूनी तौर पर महातिर को इस्तीफा देने के लिए दबाव डाला गया जिसका परिणाम इसी हफ्ते की शुरुआत में सामने आया जब महातिर मोहम्मद ने पीएम पद से इस्तीफा दे दिया. लेकिन उसके बाद पीएम पद के लिए दुबारा उनकी लार टपकने लगी पर उनकी एक न चली और यासीन को नया प्रधानमंत्री चुन लिया गया.
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