नई दिल्लीः यूक्रेनी रक्षा मंत्रालय ने दावा किया है कि मंगलवार को तड़के रूसी बलों को भीषण लड़ाई के बाद कीव के रणनीतिक लिहाज से अहम उपनगर मकरीव से खदेड़ने में कामयाबी मिली है. वहीं, मारियुपोल के दक्षिणी बंदरगाह पर रूस ने हमले तेज कर दिए हैं. शहर से निकल रहे आम लोगों का कहना है कि बमबारी लगातार जारी है.
कीव में विस्फोटों और गोलियां चलने की आवाज कई जगहों पर सुनी गईं और उत्तर में एक जगह से काले धुएं का गुबार उठता देखा गया. उत्तर-पश्चिम में तोपखाने से की जा रही भारी गोलाबारी की आवाज सुनी जा सकती है, जहां रूस ने राजधानी के कई उपनगरीय क्षेत्रों को घेरने और कब्जा करने के लिए दबाव बढ़ा दिया है. यह उसके लिए महत्वपूर्ण लक्ष्य है.
यूक्रेनी सैनिकों ने आत्मसमर्पण से किया इनकार
शहर के अधिकारियों की ओर से लागू बुधवार सुबह तक चलने वाले 35 घंटे के कर्फ्यू के दौरान निवासियों ने घर पर या भूमिगत ठिकानों में शरण ली. दक्षिणी बंदरगाह शहर मारियुपोल में यूक्रेनी सैनिकों के आत्मसमर्पण करने से इनकार के बाद रूस ने इस शहर की घेराबंदी और कड़ी कर दी है.
इलाके को छोड़कर भाग रहे नागरिकों ने बताया कि लगातार बमबारी हो रही है और सड़कों पर शव पड़े हुए हैं. देश के अन्य हिस्सों में हालांकि क्रेमलिन के पैदल सैनिकों की बढ़त बेहद धीमी या बिल्कुल भी नहीं है और उन्हें यूक्रेन के सैनिकों की गुरिल्ला युद्ध नीति की वजह से कुछ जगहों पर पीछे हटना पड़ा है.
मरकीव के प्रमुख राजमार्ग पर यूक्रेन का फिर से नियंत्रण
यूक्रेन के रक्षा मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा कि मकरीव के एक प्रमुख राजमार्ग को दोबारा यूक्रेनी बलों ने फिर से अपने नियंत्रण में ले लिया है, जिससे रूसी बलों को उत्तर-पश्चिम से राजधानी की घेराबंदी करने की मॉस्को की कोशिशों को झटका लगा है.
इसके बावजूद, रक्षा मंत्रालय ने कहा कि रूसी सेना आंशिक रूप से अन्य उत्तर-पश्चिमी उपनगरों, बुका, होस्टोमेल और इरपिन पर आंशिक तौर पर कब्जा करने में सक्षम थी, जिनमें से कुछ पर लगभग एक महीने पहले रूस की सेना के आक्रमण के बाद से हमले हो रहे थे. संयुक्त राष्ट्र के अनुसार, रूस के आक्रमण ने एक करोड़ से अधिक लोगों को उनके घरों छोड़ने के लिए मजबूर होना पड़ा, जो यूक्रेन की युद्ध-पूर्व आबादी का लगभग एक चौथाई है.
संयुक्त राष्ट्र ने 953 नागरिकों की मौत की पुष्टि करते हुए कहा कि वास्तविक मृतक संख्या शायद बहुत अधिक है. भीषण युद्ध में रूस के हताहतों का अलग-अलग और सही अनुमान लगाना मुश्किल है, लेकिन पश्चिमी अधिकारियों द्वारा रुढ़िवादी आंकड़े भी हजारों में हैं.
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