ईरान की कट्टरपंथी सरकार ने किया नरसंहार, क्या अब नहीं दिख रहा मानवाधिकार?

कश्मीर के नाम पर दुनिया भर में हंगामा मचाने वाले तथाकथित मानवाधिकारवादी संस्थाओं और देशों को इन दिनों सांप सूंघ गया है. उनकी नाक के नीचे ईरान में सरकार प्रायोजित नरसंहार हो रहा है. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने इसपर चिंता जताई है, लेकिन ईरान में मानवता के खिलाफ इस घातक जुल्म के खिलाफ भारत में एक आवाज तक सुनाई नही दे रही है. 

Last Updated : Dec 5, 2019, 01:49 PM IST
    • ईरान में इंसानियत के खिलाफ नरसंहार
    • अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था ने चिंता जताई
    • सरकार के आदेश पर सुरक्षा बलों ने की कार्रवाई
ईरान की कट्टरपंथी सरकार ने किया नरसंहार, क्या अब नहीं दिख रहा मानवाधिकार?

नई दिल्ली: ईरान में इंसानियत दम तोड़ रही है. वहां कट्टरपंथी सरकार के खिलाफ लगातार प्रदर्शन चल रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल ने बताया है कि ईरान सरकार के इशारे पर 200 से ज्यादा प्रदर्शनकारियों की हत्या कर दी गई है. 

'प्रदर्शनों में मारे गए 208 लोग'
मानवाधिकार संस्था एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक हाल के दिनों में हुए प्रदर्शनों में कम से कम 208 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया. इस नरसंहार का आरोप  ईरान  के सुरक्षा बलों पर है. कहा जा रहा है कि अंधाधुंध तरीके से इन लोगों को मार दिया गया.

सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हुआ तो, मौत का तांडव
 ईरान  के लोगों ने इस प्रदर्शन की शुरुआत गैसोलीन की बढ़ती कीमतों के खिलाफ किया था. कई शहरों में इसे जोरदार समर्थन मिलने लगा. एमनेस्टी इंटरनेशनल ने कहा है कि हफ्तों तक चले इस प्रदर्शन को रोकने के लिए सरकारी ताकतों का इस्तेमाल किया गया. सुरक्षाबलों ने ताकत का प्रयोग किया तो इसमें कम से कम 208 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी.

एमनेस्टी के मुताबिक, 15 नवंबर को शुरू हुए प्रदर्शनों में मरने वालों की संख्या कम से कम 208 हो गई है. एमनेस्टी इंटरनेशनल का कहना है कि यह आंकड़ा संगठन को मिली विश्वसनीय रिपोर्टों के आधार पर तैयार किया गया है. हालांकि ये भी कहा गया है कि मरने वालों की असली तादाद इससे कहीं ज्यादा हो सकती है.

एक हफ्ते बैन रहा इंटरनेट
एमनेस्टी इंटरनेशनल के अनुसार मृतकों में ज्यादातर लोग तेहरान प्रांत के शहरियार शहर के रहने वाले थे. दरअसल, ये विवाद उस वक्त शुरू हुआ जब  ईरान  में पिछले महीने पेट्रोल की कीमत अचानक 200 प्रतिशत बढ़ा दिए गए. इससे नाराज लोग सड़कों पर उतर आए.

समाधान के बजाए सरकार और अधिकारियों ने प्रदर्शनों को ताकत के जरिए कुचलने की कोशिश करनी शुरू कर दी. करीब एक हफ्ते तक इंटरनेट पर भी प्रतिंबध लगा रहा और लोगों का नरसंहार होता रहा.

अधिकारियों ने अपनी सफाई दते हुए ये बताया है कि पिछले महीने करीब दो लाख लोगों ने प्रदर्शन किया. इसमें बैंकों पुलिस स्टेशनों और गैस स्टेशनों पर हमले भी किए गए. हालांकि एमनेस्टी इंटरनेशनल ने ये दावा किया है कि पी़ड़ित परिवारों को ये धमकी दी गई है कि वो मीडिया से कोई बात ना करें और ना ही अपने परिजनों का अंतिम संस्कार करें.

ईरान सरकार ने एमनेस्टी के दावे को किया खारिज
इन सबके बीच अगर सरकार की बात करें तो  ईरान  ने अबतक आधिकारिक तौर पर कोई डाटा जारी नहीं किया है. उसने सिर्फ 5 लोगों की ही मौत की पुष्टि की है. इसक साथ ही सरकार ने एमननेस्टी इंटरनेशनल की ओर से जारी किए गए आंकड़ों को भी खारिज कर दिया है.

यहां सबसे बड़ा सवाल यही है, कि अगर सचमुच एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट सही है, तो फिर ऐसे नरसंहार का खेल कब-तक चलता रहेगा और क्यों खेला जाता है? कश्मीर के नाम पर झूठ फैलाने वाले देश को सांप क्यों सूंघ गया है? उसे अपनी हैसियत का असल अंदाजा हो गया क्या?

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