पाकिस्तान में आज तक किसी प्रधानमंत्री ने पूरा नहीं कर किया अपना कार्यकाल

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान इन दिनों सियासी संकट से जूझ रहे हैं. उनकी कुर्सी अब न तब जाने वाली है. ऐसे में आपको पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों से जुड़ी कुछ अहम जानकारियों को समझना चाहिए.

Written by - Pooja Rathore Sharma | Last Updated : Mar 31, 2022, 02:44 PM IST
  • पाकिस्तान के प्रधानमंत्रियों को झेलना पड़ता है ये दंश
  • अब तक कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया
पाकिस्तान में आज तक किसी प्रधानमंत्री ने पूरा नहीं कर किया अपना कार्यकाल

नई दिल्ली: पाकिस्तान में इस वक्त सियासी संकट बना हुआ है, इमरान खान अपनी सरकार बचाने की हर सम्भव कोशिश में जुटे हुए है लेकिन पाकिस्तान के लिए ये कोई पहली बार नही जब कोई प्रधानमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहि कर पाया हो. 75 साल के इतिहास में आज तक पाकिस्तान में 22 व्यक्ति प्रधानमंत्री की कुर्सी पर बैठ चुके हैं, लेकिन अब तक कोई भी अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया.

पहले ही 10 सालों में 7 प्रधानमंत्री

आजादी के बाद पाकिस्तान के पहले प्रधानमंत्री के रूप में लियाकत अली खान ने 14 अगस्त 1947 को शपथ ली थी. 16 अक्टूबर 1951 को खान की गोली मारकर हत्या कर दी गई. इसके बाद 17 अक्टूबर 1951 को ख्वाजा नज़ीमुद्दीन प्रधानमंत्री बने लेकिन 17 अप्रैल 1953 को उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा.

इसके बाद 17 अप्रैल 1953 को मोहम्मद अली बोगरा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. वर्ष 1955 में गवर्नर जनरल ने उन्हें इस पद से  हटा दिया. उनके बाद चौधरी मोहम्मद अली ने प्रधानमंत्री का पद संभाला. अली का जन्म जालंधर में हुआ था और वे सिविल सर्वेंट भी थे. करीब एक साल के बाद 1956 में उन्हें अपना पद छोड़ना पड़ा था.

वर्ष 1956 से लेकर 1958 के बीच चार लोग इस पद पर रहे. 1948 से लेकर 1958 के बीच सात प्रधानमंत्री बदले जा चुके थे. यानी औसत निकले जाए तो एक प्रधानमंत्री का कार्यकाल एक साल पांच महीने के करीब था. फिर पाकिस्तान में 1958 से 1971 तक सैन्य शासन रहा, फिर साल 1971 में नूरुल इस्लाम सिर्फ 13 दिन के लिए पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने थे. वह पाकिस्तान के 8वें प्रधानमंत्री थे.

जब जुल्फीकार अली भुट्टो बने पीएम

राष्ट्रपति पद छोड़कर 1973 में जुल्फीकार अली भुट्टो पाकिस्तान के 9वें प्रधानमंत्री बने, लेकिन उनकी सरकार भी 4 साल से पहले ही गिर गई. जनरल जिया ने 1977 में सत्ता अपने हाथ में ली और भुट्टो की सरकार को उखाड़ फेंका. मुहम्मद खान जुनेजो 1985 में पाकिस्तान के 10वें प्रधानमंत्री बने और तीन साल से अधिक समय तक इस पद पर रहे.

1988 में बेनजीर भुट्टो पाकिस्तान की पहली महिली प्रधानमंत्री बनीं, लेकिन उनका कार्यकाल भी एक साल, 8 महीने के करीब ही चल पाया. 1990 में नवाज शरीफ ने देश की कमान संभाली और देश के 12वें प्रधानमंत्री बने, लेकिन राष्ट्रपति गुलाम इशाक खान ने अप्रैल 1993 में उनकी सरकार को भंग कर दिया.

1993 में एक बार फिर पाकिस्तान की कमान बेनजीर भुट्टो के हाथ में आ गई, लेकिन नवंबर 1996 में राष्ट्रपति फारूक लेघारी ने बेनजीर को सत्ता से बेदखल कर दिया. 1997 में नवाज शरीफ ने एक बार फिर सत्ता में वापसी की, लेकिन 1999 में जनरल परवेज मुशरफ ने उनकी सरकार को उखाड़ फेंका और देश में सैन्य कानून लागू कर दिए.

साल 2002 में मीर जफरुल्ला खान जमाली पाकिस्तान के 15वें प्रधानमंत्री बने, लेकिन जून 2004 में उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया. इसके बाद पाकिस्तानी संसद ने चौधरी सुजात सुहैत को प्रधानमंत्री चुना, लेकिन वह 57 दिन तक ही इस कुर्सी पर रहे. अगस्त 2004 में शौकत अजीज देश के 17वें प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली, लेकिन उनका कार्यकाल भी तीन साल, ढाई महीने करीब चला. इस तरह से वह पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने सदन का कार्यकाल पूरा होने पर इस्तीफा दिया था.

2008 में पीपीपी को मिला था बहुमत

2008 के चुनावों में पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी को बहुमत मिला और यूसुफ रजा गिलानी पाकिस्तान के 18वें प्रधानमंत्री बने. उनका कार्यकाल चार साल 3 महीने चला, लेकिन साल 2012 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्हें संसद में उनके पद से डिस्क्वालिफाई कर दिया. गिलानी पाकिस्तान के इतिहास में सबसे अधिक समय तक प्रधानमंत्री की कुर्सी पर रहे.

गिलानी के बाद राजा परवेज अशरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री बने. परवेज अशरफ ने करीब 9 महीने तक देश में अपनी हुकूमत चलाई. जून 2013 में नवाज शरीफ एक बार फिर चुनाव जीतने के बाद सत्ता में लौटे, लेकिन पनामा पेपर लीक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने जुलाई 2017 में उन्हें इस पद के लिए अयोग्य घोषित कर दिया.

इस तरह से उनका करीब 4 साल, 2 महीने के कार्यकाल का अंत हुआ. पार्टी ने शाहिद खकान अब्बासी को सत्ता सौंपी और 300 दिन से अधिक समय तक वह पाकिस्तान के प्रधानमंत्री रहे. साल 2018 के चुनाव में इमरान खान की पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ पार्टी ने सहयोगी दलों के साथ मिलकर सरकार बनाई और इमरान खान देश के 22वें प्रधानमंत्री बने.

पाकिस्तान में आर्मी राज का इतिहास

एक अलग राष्ट्र के रूप में सामने आने के बाद से ही पाकिस्तान में कई बार आर्मी सत्ता अपने हाथों में ले चुकी है. 75 वर्षों के इतिहास में दशकों तक पाकिस्तान में आर्मी सत्ता का केंद्र रही है.

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पाकिस्तान में 1958 से 1971 तक सैन्य शासन रहा, 1977 से 1988 तक और 1999 से 2008 तक पाकिस्तान में लोकतंत्र को कुचलकर आर्मी सत्ता में रही. इसके अलावा भी 1951, 1980 और 1995 में भी पाकिस्तानी सेना ने सत्ता हथियाने की कोशिश की थी, लेकिन वह असफल रही. यही नहीं 1953-54 में पाकिस्तान के राष्ट्रपति भी एक बार संवैधानिक तख्तापलट कर चुके हैं.

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