अमेरिकी लॉ मेकर का चीन पर प्रहार! भारत के खिलाफ चीनी आक्रामक रवैये पर नाराजगी
भारत-चीन सीमा विवाद को लेकर अमेरिकी लॉ मेकर ने ड्रैगन को जोरदार फटकार लगाई है. इस प्रहार की वजह भारत के खिलाफ चीन का आक्रामक रवैया है..
नई दिल्ली: चालबाज चीन चाहें जितनी भी तिकड़मबाजी कर ले उसे चौतरफा घिरने से कोई नहीं बचा पाएगा. क्योंकि उसकी करतूत ही उसकी दुश्मन बन रही है. दुनिया भर में ड्रैगन की हरकतों की थू-थू होनी तेज हो रही है. इस बीच अमेरिकी लॉ मेकर ने चीन को आईना दिखाया है.
'भारत के साथ चीन का रवैया आक्रामक'
भारत और चीन के बीच सीमा विवाद के मुद्दे पर ड्रैगन की जगहंसाई हो रही है. क्योंकि उसकी करतूत ही ऐसी है. इस मसले चीन को अमेरिका ने खरी-खोटी सुनाई है. अमेरिकी लॉ मेकर ने कहा चीन नियमों का सम्मान करे. अमेरिकी लॉ मेकर ने कहा है कि भारत के साथ चीन का रवैया आक्रामक है.
कांग्रेस मामलों के सदन समिति के अध्यक्ष इलियट एंजेल ने कहा कि "मैं भारत-चीन सीमा पर वास्तविक नियंत्रण रेखा के साथ चल रही चीनी आक्रामकता से बहुत चिंतित हूं." उन्होंने कहा, "चीन एक बार फिर से प्रदर्शन कर रहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय कानून के मुताबिक अपने पड़ोसियों को धमकाने के बजाय तैयार है."
चीन को नियमों का पालन करने की नसीहत
वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) पर भारत और चीन के आतंकवादियों के बीच जारी गतिरोध की पृष्ठभूमि में एंजेल की टिप्पणियां आई हैं. एंजेल ने एक बयान में कहा है कि "देशों को नियमों के एक ही सेट का पालन करना चाहिए, ताकि हम ऐसी दुनिया में न रहें जहां सही हो सके. मैं दृढ़ता से चीन से मानदंड का सम्मान करने और भारत के साथ अपनी सीमा के सवालों को हल करने के लिए कूटनीति और मौजूदा तंत्र का उपयोग करने का आग्रह करता हूं."
आपको भारत-चीन के लद्दाख सीमा पर विवाद से जुड़ी घटनाक्रम के पूरे विवाद को सिलसिलेवार तरीके से समझाते हैं..
भारत-चीन ताज़ा विवाद का घटनाक्रम
अप्रैल 30 - लद्दाख सीमा पर तनाव बढ़ना शुरू हुआ
5-6 मई - लद्दाख और सिक्किम में भारत-चीन जवानों में हाथापाई
9 मई - चीन की भारतीय क्षेत्र में हो रहे सड़क निर्माण पर आपत्ति
10 मई - चीन ने LAC पर सैनिकों की संख्या बढ़ानी शुरू की
10 मई - विवाद के बाद भारत ने और सुरक्षाबलों को तैनात किया
12 मई - चीनी सैन्य हेलीकॉप्टर LAC के पास दिखाई दिए
12 मई - भारत ने भी Su-30 लड़ाकू विमानों के बेड़े को क्षेत्र में भेजा
13 मई - चीन के सैन्य जमावड़े के बाद भारतीय जवानों की संख्या और बढ़ाई गई
23 मई - सेना प्रमुख ने लेह स्थित 14-कोर मुख्यालय का दौरा किया
26 मई - चीन के राष्ट्रपति ने सेना को युद्ध के लिए तैयार रहने को कहा
26 मई - पीएम मोदी ने बढ़ते तनाव पर शीर्ष सैन्य अधिकारियों से बैठक की
27 मई - अमेरिका की भारत-चीन विवाद में मध्यस्थता की पेशकश
28 मई - भारत-चीन ने विवाद पर अमेरिका की पेशकश को ठुकराया
1 जून - चीन का बयान, ‘सीमा पर स्थिति स्थिर और नियंत्रण में है’
1 जून - पूर्वी लद्दाख से 30-35 किलोमीटर दूरी पर चीन के लड़ाकू जहाज़ दिखे
1 जून - भारत-चीन सेना के बीच ब्रिगेडियर स्तर की बातचीत बेनतीजा रही
2 जून - अमेरिका ने चीन से भारत के खिलाफ आक्रामकता कम करने को कहा
आपका यहां ये भी जानना जरूरी है कि भारत र चीन के बीच किन-किन मुद्दों को लेकर मतभेद बना हुआ है. किन-किन मुद्दों पर भारत और चीन की क्या-क्या अलग राय है. आपको समझाते हैं..
भारत-चीन: किन मुद्दों पर मतभेद?
मुद्दा- आतंकवाद
भारत ने आतंक के खिलाफ ग्लोबल मुहिम चलाई
चीन का आतंक पर ढुलमुल रवैया रहा
मुद्दा- महासागर नीति
भारत हिन्द महासागर में वर्चस्व चाहता है
चीन साउथ चाइना सी में वर्चस्व चाहता है
मुद्दा- व्यापारिक मसले
भारत ट्रेड घाटा कम करना चाहता है
चीन ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया
मुद्दा- सीमा सुरक्षा
भारत के लिए अहम और प्रतिबद्ध है
शुरु से विस्तारवादी नीति का हिस्सा
मुद्दा- पाकिस्तान पर विवाद
भारत आतंकवाद का समर्थक देश मानता है
चीन ने पाकिस्तान से दोस्ती बढ़ाई है
मुद्दा- CPEC का मसला
भारत शुरु से विरोध करता रहा है
चीन हर कीमत पर पूरा करने का इरादा
मुद्दा- कश्मीर का मसला
भारत ने कश्मीर को सदैव आंतरिक मामला माना
चीन ने मुद्दे पर पाकिस्तान का साथ दिया
मुद्दा- सीमा विवाद
भारक इस मसले पर शांतिपूर्ण हल निकालने का पक्षधर
चीन अपने इरादों में दादागिरी दिखाता है
भारत-चीन सीमा विवाद 3,488 किलोमीटर लंबी वास्तविक नियंत्रण रेखा को कवर करता है. चीन अरुणाचल प्रदेश को दक्षिणी तिब्बत का हिस्सा मानता है, जबकि भारत इसका विरोध करता है. दोनों पक्ष यह कहते रहे हैं कि सीमा मुद्दे के अंतिम प्रस्ताव को लंबित करने के लिए सीमावर्ती क्षेत्रों में शांति और शांति बनाए रखना आवश्यक है.
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ऐसे में ड्रैगन की सारी चालबाजी पूरी दुनिया देख रही है. वो सीमा पर लगातार तनापूर्ण माहौल को बनाने की कोशिश कर रहा है. वो शायद भारत की बढ़ती ताकत से जल रहा है. लेकिन उसे ये भूलना नहीं चाहिए कि ये भारत 1962 वाला नहीं बल्कि 2020 वाला नया हिन्दुस्तान है.
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