शहबाज के अलावा भी था नवाज शरीफ का एक भाई, करंट लगने से हुई थी मौत, इस्लामिक धर्मप्रचार में गुजारी जिंदगी

Abbas Sharif Death: वह शुक्रवार का दिन था और अब्बास नमाज पढ़ने से पहले वजू (हाथ-पैर धुलना) कर रहे थे. इसी बीच वो फिसले और पास मौजूद इलेक्ट्रिक हीटर से उन्हें करंट लग गया. उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका. पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों ने यह भी दावा किया कि अब्बास प्राकृतिक रूप से नहीं हुई बल्कि ये एक मर्डर था. कहा गया कि अब्बास अपने भाइयों के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस करके भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले थे. इससे पहले ही दर्दनाक हादसे में उनकी मौत हो गई.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Mar 6, 2024, 08:42 PM IST
  • नवाज शरीफ के तीसरे भाई की कहानी.
  • तब्लीगी जमात से जुड़े थे अब्बास शरीफ.
शहबाज के अलावा भी था नवाज शरीफ का एक भाई, करंट लगने से हुई थी मौत, इस्लामिक धर्मप्रचार में गुजारी जिंदगी

नई दिल्ली. पाकिस्तान में तमाम जद्दोजहद के बाद नई सरकार बन रही है. शहबाज शरीफ दूसरी बार देश के प्रधानमंत्री की कुर्सी संभालेंगे. हालांकि शहबाज की पार्टी पाकिस्तान मुस्लिम लीग-(नवाज) की तैयारी थी कि नवाज शरीफ को चौथी बार प्रधानमंत्री बनाया जाए. लेकिन ऐसा नहीं हो पाया और शहबाज शरीफ के नाम पर सहयोगी दलों के साथ सहमति बनी. पाकिस्तान की राजनीति में शरीफ परिवार के दोनों भाइयों नवाज और शहबाज के बारे में ज्यादातर हिंदुस्तानी लोग जानते हैं. लेकिन इनके तीसरे भाई के बारे में लोगों के लगभग ना के बराबर मालूम है. दरअसल इस्लामिक धर्म प्रचार में अपना जीवन गुजार देने वाले अब्बास शरीफ अपने दोनों बड़े भाइयों यानी नवाज और शहबाज के दुलारे थे. अब्बास की मौत साल 2013 में हृदयाघात की वजह हुई थी.

अपने भाइयों से क्यों अलग थे अब्बास शरीफ
अब आइए जानते हैं कि अब्बास शरीफ की कहानी अपने दोनों बड़े भाइयों से अलग क्यों थी. दरअसल पाकिस्तान के बेहद अमीर परिवार से ताल्लुक रखने वाले नवाज और शहबाज की जिंदगी जहां राजनीति के इर्द-गिर्द घूमती रही वहीं अब्बास ने अपनी जिंदगी इस्लामिक धर्मप्रचार में गुजारी. ऐसा नहीं कि अब्बास ने राजनीति में हिस्सा नहीं लिया. 1993 में पाकिस्तान में हुए उपचुनावों के दौरान अब्बास ने चुनाव लड़ा था. उस चुनाव में अब्बास ने नेशनल एसेंबली का का चुनाव लड़ा था. 

मदरसे में की शुरुआती पढ़ाई
नवाज, शहबाज और अब्बास के पिता मियां मुहम्मद शरीफ थे जिन्हें पाकिस्तान के बड़े बिजनेसमैन के रूप में याद किया जाता है. मियां मुहम्मद शरीफ ने अपने सबसे छोटे बेटे को मदरसे में दाखिल कराया था. इसी जगह पर अब्बास ने इस्लाम धर्म से जुड़ी धार्मिक किताबों का अध्ययन किया. आगे की पढ़ाई लाहौर से पाने के बाद अब्बास ने अपने पिता के बिजनेस में हाथ बंटाना शुरू कर दिया था. 

तब्लीगी जमात से जुड़े थे अब्बास
अपने दो भाइयों से अलग अब्बास शरीफ अपने किशोरावस्था से ही काफी ज्यादा धार्मिक थे. वो इस्लामिक धर्मप्रचार से जड़ी तब्लीगी जमात के सदस्य थे. पाकिस्तान के रायविंड के मरकज में अब्बास शरीफ अक्सर जाया करते थे. उन्होंने अपनी जिंदगी में सिर्फ एक बार चुनाव लड़ा वो भी अपने नवाज शरीफ की छोड़ी हुई सीट पर हुए उपचुनाव में. जब पाकिस्तान में 1999 में आर्मी जनरल परवेज मुशर्रफ ने तख्तापलट किया तब अब्बास शरीफ की भी गिरफ्तारी हुई थी. 

मुशर्रफ के वक्त जेल में बंद किया गया
जहां नवाज और शहबाज को अटक जेल में बंद किया गया तो वहीं अब्बास को लाहौर की कैंप जेल में रखा गया था. जेल से निकलने के बाद अब्बास शरीफ को निर्वासन दे दिया था और वो सऊदी अरब चले गए थे. कुछ साल बाद वो वापस लौटकर पाकिस्तान आए. कहते हैं कि अपने दोनों भाइयों से अलग अब्बास को सुर्खियों में रहना ज्यादा पसंद नहीं था. साल 2013 में महज 58 वर्ष की उम्र में अब्बास की मौत करंट लगने से हो गई थी. 

मौत को लेकर लगाई जाती हैं अकटलें
दरअसल वह शुक्रवार का दिन था और अब्बास नमाज पढ़ने से पहले वजु कर रहे थे. इसी बीच वो फिसले और पास मौजूद इलेक्ट्रिक हीटर से उन्हें करंट लग गया. उन्हें तुरंत अस्पताल पहुंचाया गया लेकिन बचाया नहीं जा सका. पाकिस्तान के कुछ पत्रकारों ने यह भी दावा किया कि अब्बास प्राकृतिक रूप से नहीं हुई बल्कि ये एक मर्डर था. कहा गया कि अब्बास अपने भाइयों के खिलाफ प्रेस कांफ्रेंस करके भ्रष्टाचार का खुलासा करने वाले थे. इससे पहले ही दर्दनाक हादसे में उनकी मौत हो गई. 

Zee Hindustan News App: देश-दुनिया, बॉलीवुड, बिज़नेस, ज्योतिष, धर्म-कर्म, खेल और गैजेट्स की दुनिया की सभी खबरें अपने मोबाइल पर पढ़ने के लिए डाउनलोड करें ज़ी हिंदुस्तान न्यूज़ ऐप.

ट्रेंडिंग न्यूज़