रूस के लिए क्यों झटका है फिनलैंड का नाटो में शामिल होना, जानिए ये बड़ी वजह

फिनलैंड मगंलवार को दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा गठबंधन उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल हो गया, जिसे रूस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. 

Written by - Akash Singh | Last Updated : Apr 4, 2023, 08:57 PM IST
  • जानिए क्या है नाटो में शामिल होने का मतलब
  • तुर्की ने दी थी सदस्यता को मंजूरी
रूस के लिए क्यों झटका है फिनलैंड का नाटो में शामिल होना, जानिए ये बड़ी वजह

नई दिल्लीः फिनलैंड मगंलवार को दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा गठबंधन उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) में शामिल हो गया, जिसे रूस के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है. यूक्रेन पर रूस के आक्रमण के समय से ही इस ऐतिहासिक घटनाक्रम की आहट सुनाई दे रही थी. दस्तावेजों को सौंपने के साथ ही नॉर्डिक राष्ट्र आधिकारिक तौर पर दुनिया के सबसे बड़े सुरक्षा गठबंधन का सदस्य बन गया. फ़िनलैंड की सदस्यता यूरोप के सुरक्षा परिदृश्य में एक बड़े बदलाव का प्रतिनिधित्व करती है. 

जानिए क्यों ये रूस के लिए झटका
द्वितीय विश्वयुद्ध में सोवियत संघ से अपनी हार के बाद इस देश ने तटस्थता अपनाई थी, लेकिन इसके नेताओं ने यूक्रेन पर मॉस्को के आक्रमण के कुछ महीने बाद ही संकेत दिया था कि वे नाटो गठबंधन में शामिल होना चाहते हैं. यह कदम रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के लिए रणनीतिक और राजनीतिक रूप से झटका है. वह लंबे अरसे से शिकायत करते आए हैं कि नाटो रूस की ओर विस्तार कर रहा है. 

वहीं, गठबंधन का कहना है कि इससे मॉस्को को कोई खतरा नहीं है. रूस ने चेतावनी दी कि फ़िनलैंड की नाटो की सदस्यता से उत्पन्न सुरक्षा खतरों से निपटने के लिए उसे "प्रतिशोधी उपाय" करने के लिए विवश होना पड़ेगा. मॉस्को ने यह भी कहा है कि अगर नाटो अपने 31वें सदस्य राष्ट्र के क्षेत्र में अतिरिक्त सैनिक या उपकरण तैनात करेगा, तो वह फिनलैंड की सीमा के पास अपनी रक्षा प्रणाली को मजबूत करेगा. 

आधिकारिक रूप से शामिल हुआ फिनलैंड
फ़िनलैंड की सदस्यता तब आधिकारिक हो गई, जब इसके विदेश मंत्री ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन को प्रक्रिया को पूरा करने वाले दस्तावेज़ सौंपे. नाटो की सदस्यता से संबंधित दस्तावेज अमेरिकी विदेश विभाग के पास रहते हैं. ऐतिहासिक प्रक्रिया के पूरा होने से पहले नाटो महासचिव जनरल जेन स्टोलटेनबर्ग ने ब्रसेल्स में नाटो मुख्यालय में संवाददाताओं से कहा, "फिनलैंड की सहमति के बिना फिनलैंड में और नाटो सैनिक नहीं भेजे जाएंगे." 

हालांकि, उन्होंने वहां और अधिक सैन्य अभ्यास आयोजित करने की संभावना से इनकार नहीं किया और कहा कि नाटो रूस की मांगों को संगठन के निर्णयों को निर्धारित करने की अनुमति नहीं देगा. संबंधित घटनाक्रम नाटो की 74वीं वर्षगांठ के दिन हुआ. चार अप्रैल 1949 को ही नाटो की स्थापना के लिए वाशिंगटन संधि पर हस्ताक्षर हुए थे. फिनलैंड के गठबंधन में शामिल होने वाले आग्रह को मंजूरी देने वाला तुर्किये नाटो का अंतिम देश है. 

200 साल से किसी तरह के सैन्य गठबंधन से बचते आए पड़ोसी स्वीडन ने भी नाटो में शामिल होने के लिए आवेदन किया था, लेकिन तुर्किये और हंगरी की आपत्तियों के चलते प्रक्रिया में देरी हो रही है. रूस के साथ फिनलैंड की 1,340 किलोमीटर लंबी सीमा लगती है. इस बीच, फ़िनलैंड की संसद ने कहा कि उसकी वेबसाइट पर एक हमला हुआ, जिससे साइट का उपयोग करना कठिन हो गया. 

रूस समर्थक हैकर समूह ‘नोनेम057 (16)’ ने इसकी जिम्मेदारी लेते हुए कहा कि यह हमला फ़िनलैंड के नाटो में शामिल होने का प्रतिशोध है. इस दावे की तत्काल पुष्टि नहीं की जा सकी. कथित तौर पर मॉस्को के आदेशों पर काम करने वाला हैकर समूह अतीत में अमेरिका और उसके सहयोगियों पर हुए कई साइबर हमलों में शामिल रहा है. फिनलैंड के सार्वजनिक प्रसारक वाईएलई ने कहा कि इसी समूह ने पिछले साल भी संसद की साइट पर हमला किया था. नाटो में फ़िनलैंड के प्रवेश का जश्न नाटो मुख्यालय में ध्वजारोहण समारोह के साथ मनाया जाएगा. समारोह में फिनलैंड के राष्ट्रपति, विदेश मंत्री और रक्षा मंत्री हिस्सा लेंगे. 

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