तीन कृषि कानूनों (Agriculture law) के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन (farmers protest) को 8 महीने से जयादा समय हो गया है. दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसान हर हालत में कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग पर अड़े हैं.
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नई दिल्ली : तीन कृषि कानूनों (Agriculture law) के विरोध में चल रहे किसान आंदोलन (farmers protest) को 8 महीने से जयादा समय हो गया है. दिल्ली बॉर्डर पर डटे किसान हर हालत में कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग पर अड़े हैं. भरी सर्दी रही हो या मई-जून माह की गर्मी, अगर किसानों का हौसला अब तक मजबूत है तो इसमें उनके घरों की महिलाओं का महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है.
दिल्ली बॉर्डर पर बड़ी संख्या में महिलाएं आंदोलन कर रहे पति, पिता या भाई को सपोर्ट करने के लिए जुटी हैं.
जब उठते हैं सवाल
जब समाज का एक धड़ा यह कहता है कि आंदोलन कर रहे लोग किसान नहीं हैं और अगर ये वाकई किसान हैं तो खेती किसानी का काम छोड़कर बॉर्डर पर आंदोलन कैसे कर रहे हैं. इनके परिवार का भरण पोषण कैसे हो रहा है. खेतों में काम कौन कर रहा है तो ट्रेंड कर रहे #किसानों_की_क्रांति पर मौजूद सोशल मीडिया यूजर्स की पोस्ट से कुछ तस्वीर साफ नजर आती है.
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एक ट्विटर यूजर ने लिखा- दिल्ली की सीमा पर प्रदर्शन कर रहे किसानों में पांचवां हिस्सा महिलाओं का है. कुछ महिलाएं अपने पिता, पति और भाइयों की अनुपस्थिति में घर के सारे काम करने के अलावा कृषि गतिविधियों का प्रबंधन भी बखूबी कर रही हैं.
#किसानों_की_क्रांति#FarmersProtest https://t.co/RCmYmQHa75
— Manjinder Singh (@mani_singh097) August 3, 2021
एक अन्य यूजर ने लिखा-भले ही मोदी सरकार के लिए इस प्रदर्शन का कुछ खास मतलब न हो, लेकिन एक बात जरूर है कि किसान आंदोलन का राजनीतिक प्रभाव बढ़ा है.आंदोलन देश में वही भूमिका निभा रहा है,जो विपक्ष को निभानी चाहिए.
This performance may not mean anything special for the Modi government, but it is definitely one thing that the political influence of the farmers' movement has increased.
The movement is playing the same role in the country as the opposition should play#किसानों_की_क्रांति pic.twitter.com/tFPYqwl5Tz— Robin Kamboj (@RobinKamboj_) August 3, 2021
एक यूजर ने लिखा- हम क्रूर नहीं हैं, हम मेहनती हैं और बहुत धैर्य रखते हैं, लेकिन कभी इसे परखने की कोशिश नहीं करते.
We are not cruel we are hardworking and have lots of patience but never try to test it . #किसानों_की_क्रांति pic.twitter.com/ILtbAMLLUv
— Ishwar pal Singh Toor (@Ishwarp07537935) August 3, 2021
40 किसान संगठनों के संयुक्त किसान मोर्चे ने रविवार को बयान जारी कर कहा था कि महिला किसानों के कई गुट 'महिला किसान संसद' में शामिल होने के लिए दिल्ली की सीमा पर पहुंच रहे हैं. सोमवार को जंतर मंतर पर किसान संसद को सिर्फ महिलाएं चलाएंगी. महिला किसान संसद भारतीय कृषि और इस आंदोलन में महिलाओं द्वारा निभाई जाने वाली अहम भूमिका को भी दर्शाएंगी.
कंधे से कंधा मिलाकर दे रहीं साथ
चाहे भारत बंद रहा हो, रेल रोको अभियान हो या किसान परेड हो, हिसार, रोहतक या चंडीगढ़ में प्रदर्शन रहा हो, महिलाओं ने संयुक्त किसान मोर्चा के हर कार्यक्रमों में डटकर साथ दिया है.
आंदोलन में अपने भूमिका निभा रही महिलाओं का कहना है कि ये हमारे बच्चों के भविष्य की लड़ाई है और जब तक तीनों कानून वापस नहीं होते, हम मुड़कर नहीं देखेंगे और जीतकर ही घर वापसी करेंगे.