कोरोना के कारण गिरफ्तारी पर मिल रही राहत अब खत्म, HC ने अपना यह आदेश लिया वापस
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कोरोना के कारण गिरफ्तारी पर मिल रही राहत अब खत्म, HC ने अपना यह आदेश लिया वापस

पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कोरोना काल में जारी उन राहत के जारी आदेश को वापिस ले लिया है जिसके तहत तक छोटे-मोटे अपराधों में जब तक कानून व्यवस्था का संकट न हो, गिरफ्तारियां न की जाए व वित्तीय संस्थानों को नीलामी पर रोक थी.

कोरोना के कारण गिरफ्तारी पर मिल रही राहत अब खत्म, HC ने अपना यह आदेश लिया वापस

नितिका महेश्वरी/चंडीगढ़: पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने कोरोना काल में जारी उन राहत के जारी आदेश को वापिस ले लिया है जिसके तहत तक छोटे-मोटे अपराधों में जब तक कानून व्यवस्था का संकट न हो, गिरफ्तारियां न की जाए व वित्तीय संस्थानों को नीलामी पर रोक थी. कोर्ट ने कहा कि अब हालात सुधर चुके है और अब राहत जारी रखने का कोई औचित्य नहीं है. कोरोना के कारण अदालतों व अन्य कामकाज प्रभावित होने के चलते यह आदेश दिए गए थे.

कोरोना के चलते हाई कोर्ट ने संज्ञान लेते हुए कहा था कि हालत फिर बेहद नाजुक हो चुके हैं, ऐसे में लोग जब तक जरुरी न हो तब तक अदालत न आए, इसके लिए हाई कोर्ट ने पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ की अदालतों द्वारा जिन आरोपियों को जमानतें मिल चुकी है और या पैरोल मिल चुकी है और उनको मिली रहत अगर खत्म होने वाली है तो उनकी जमानतें और पैरोल आगामी आदेश तक जारी रखे जाने के आदेश दे दिए थे.

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इसके अलावा पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़ में कहीं भी अतिक्रमण हटाए जाने के जो आदेश दिए गए हैं या बेदखल किए जाने के आदेश दिए गए हैं, उन आदेशों पर कार्रवाई न की जाए. इसके साथ ही हाई कोर्ट ने बैंकों और वित्तीय संस्थाओं को प्रॉपर्टी की नीलामी की प्रक्रिया स्थगित रखने के आदेश दिए थे. पुलिस उपाधीक्षक (DSP) के पद पर सरकार के पसंदीदा इंस्पेक्टर व आउट आफ टर्न पदोन्नति देने के खिलाफ एक याचिका पर सुनवाई करते हुए हाई कोर्ट ने सरकार को इंस्पेक्टर से डीएसपी पदोन्नति का रिकॉर्ड हाई कोर्ट ने पेश करने का आदेश दिया है.

इसी के साथ हाई कोर्ट ने इस केस को एक अन्य केस जो इसी विषय से जुड़ा है के साथ अर्जेंट लिस्ट में सुचिबध करने का भी आदेश दिया है. हाई कोर्ट के जस्टिस बी एस वालिया ने यह आदेश हरियाणा पुलिस में इंस्पेक्टर के पद पर तैनात गुलाब सिंह व अन्य द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. याचिका में आरोप लगाया गया है कि योग्य होने के बावजूद भी उनको सरकार द्वारा प्रमोशन नहीं दी जा रही.

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याचिकाकर्ताओं ने अपने वकील अर्जुन श्योराण द्वारा दायर याचिका में कोर्ट को बताया कि पिछले 8-10 सालों में ऐसे कई उदाहरण हैं जो पुलिस उपाधीक्षक (डीएसपी) के रूप में पदोन्नत होने के योग्य नहीं हैं, उन्हें केवल असाधारण साहस के आधार पर पदोन्नत कर दिया क्यों की यह लोग सता के नजदीक है. याचिका में बताया गया कि पिछले सात सालों में आउट आफ टर्न पदोन्नत लोगों में कृष्ण कुमार, 2010 में राजेश फोगाट, 2013 में कृष्ण कुमार, 2017 में जीत सिंह और एक गुरदयाल सिंह शामिल हैं.

कोर्ट को बताया गया कि उन्होने पहले भी हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, कोर्ट ने उनकी याचिका का निपटारा कर उनकी प्रमोशन करने के आदेश दिए थे। सरकार ने फरवरी माह में उसके 2010 बेंच के सभी बेंचमेट इंस्पेक्टर को डीएसपी पद पर प्रमोशन दी, लेकिन उनको इसमें शामिल नहीं किया गया जबकि वो नियमों के तहत सभी योग्यता पूरी करते है.

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कोर्ट को यह भी बताया गया कि तीन ऐसे इंस्पेक्टर को भी डीएसपी बना दिया गया जो उनसे जूनियर थे. याचिकाकर्ताओं ने डीएसपी के पद पर पदोन्नति के लिए उनकी वरिष्ठता और पात्रता के आधार पर पदोन्नति करने के आदेश देने का कोर्ट से आग्रह किया है.  याचिका के अनुसार सरकार ने वरिष्ठता के आधार पर उनकी प्रमोशन करने के लिए जून व जुलाई 2021 प्रक्रिया शुरू की थी और डीपीसी की 11 नवंबर को होने वाली बैठक में निर्णय लेना था। लेकिन सरकार की तरफ से जानबूझकर और मनमाने ढंग से रोक लगा दी गई थी. हाई कोर्ट से मांग की गई कि वो सरकार को आदेश दे कि उनको डीएसपी पद पर पदोन्नत करे.

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