जमीनी हद को लेकर विवाद रोकने के लिए पूरे हरियाणा की सीमा पर लगाए जाएंगे पिलर
Advertisement
Article Detail0/zeephh/zeephh1114985

जमीनी हद को लेकर विवाद रोकने के लिए पूरे हरियाणा की सीमा पर लगाए जाएंगे पिलर

हरियाणा की दूसरे राज्यों के साथ लगती सीमा पर पूरे प्रदेश में पिलर लगाए जाएंगे, ताकि बॉर्डर एरिया में रहने वाले लोगों के बीच विवाद उत्पन्न न हों. पानीपत जिले से इसकी शुरुआत कर दी गई है.

सदन में दुष्यंत चौटाला

चंडीगढ़ : हरियाणा की दूसरे राज्यों के साथ लगती सीमा पर पूरे प्रदेश में पिलर लगाए जाएंगे, ताकि बॉर्डर एरिया में रहने वाले लोगों के बीच विवाद उत्पन्न न हों. पानीपत जिले से इसकी शुरुआत कर दी गई है. यह जानकारी हरियाणा के उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला ने आज हरियाणा विधानसभा के सत्र के दौरान एक विधायक द्वारा पूछे गए प्रश्न के उत्तर में दी.

डिप्टी सीएम ने बताया कि हरियाणा प्रदेश की पंजाब, दिल्ली, यूपी, हिमाचल प्रदेश व राजस्थान के साथ सीमा लगती है, जहां पर कई बार लोगों के बीच अपनी जमीनी हद को लेकर परस्पर विवाद होते रहते हैं. इनके समाधान के लिए राज्य सरकार ने पूरे प्रदेश की सीमा पर पिलर लगाने का निर्णय लिया है. उन्होंने सदन को बताया कि हरियाणा-यूपी बॉर्डर पर पिलर लगने की प्रक्रिया पानीपत में शुरू कर दी गई है. इसमें एक साल में पांच रेफरेंस पिलर, 91 सब रेफरेंस पिलर तथा 2423 बाउंड्री पिलर लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है.

दुष्यंत चौटाला ने दोनों प्रदेशों के बीच सीमा विवाद के मामले पर बताया कि हरियाणा तथा उत्तर प्रदेश सीमा विवाद के समाधान के लिए एक अधिनियम ‘हरियाणा और उत्तर प्रदेश (सीमा-परिवर्तन) अधिनियम ,1979’ को भारत सरकार द्वारा 'अधिनियम संख्या 31 ऑफ 1979’ द्वारा अधिसूचित किया गया था. इसके प्रावधानों के अनुसार भारत सरकार द्वारा ‘दीक्षित अवार्ड’ पारित किया गया था और दोनों राज्यों में सीमाओं के मध्य भारतीय सर्वेक्षण विभाग की सहायता से बाउंड्री पिलर स्थापित किए गए थे. यमुना नदी के बहाव के कारण तथा समय के साथ बाउंड्री पिलर नदी में बह गए हैं.

WATCH LIVE TV 

उपमुख्यमंत्री ने यह भी बताया कि इस मामले में दोनों राज्यों के मुख्यमंत्रियों के मध्य लखनऊ में 14 दिसंबर 2019 को और दोनों राज्यों के अधिकारियों के मध्य 9 जनवरी 2020 को चंडीगढ़ में एक बैठक हुई थी. यह मामला सर्वे ऑफ इंडिया के साथ भू-सीमांकन के लिए टेकअप किया जा रहा है.
 
मांग पर गड़बड़ी की कराएंगे जांच 

दुष्यंत चौटाला ने कहा कि जहां तक समालखा विधानसभा निर्वाचन क्षेत्र में राणा माजरा से गांव सीमबलगढ़ तक यमुना नदी के साथ-साथ 42 किलोमीटर स्थित गांवों की भूमि का संबंध है, वह राजस्व अभिलेखों में ‘शामलात देह’ है, इसलिए कानून के अनुसार ग्रामीणों के पास कब्जा व गिरदावरी होने के बाद भी स्वामित्व की प्रविष्टियां राजस्व अभिलेखों में उनके नाम करना संभव नहीं है. जब सदन के सदस्य ने वर्ष 2012 में उक्त जमीन के संबंध में कथित गड़बड़ी होने की बात कही तो दुष्यंत चौटाला ने कहा कि अगर सदन के सदस्य मांग करेंगे तो इस बारे में जांच करवाई जा सकती है.

Trending news