दुनिया में कोविड की तरह टीबी फैलने का भी खतरा, खांसी से ज्यादा पीड़ित मरीज की सांस से फैलता है रोग
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दुनिया में कोविड की तरह टीबी फैलने का भी खतरा, खांसी से ज्यादा पीड़ित मरीज की सांस से फैलता है रोग

शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना संक्रमण को सीमित करने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले कुछ तरीके – जैसे मास्क, खुली खिड़कियां या दरवाजे टीबी के प्रसार को कम करने में भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं.

दुनिया में कोविड की तरह टीबी फैलने का भी खतरा, खांसी से ज्यादा पीड़ित मरीज की सांस से फैलता है रोग

विपुल चतुर्वेदी/नई दिल्ली : बचपन से हम सुनते आए हैं कि ट्यूबरकुलोसिस (TB) या तपेदिक से पीड़ित मरीज के खांसने से यह रोग फैलता है. इसलिए डॉक्टर मरीज के  खांसने के दौरान उसके नजदीक न रहने की सलाह देते हैं, लेकिन हाल ही में हुए एक शोध ने टीबी के प्रसार को लेकर चौंकाने वाला खुलासा किया है.  दक्षिण अफ्रीकी शोधकर्ताओं (South African researchers ) ने बताया कि टीबी के प्रसार में पीड़ित मरीज के खांसने (coughing) से ज्यादा सीमित स्थान में उसके सांस लेने का ज्यादा योगदान हो सकता है. 

शोधकर्ताओं के मुताबिक संक्रमित व्यक्ति से निकलने वाले 90 प्रतिशत टीबी बैक्टीरिया (Bacteria) एरोसोल (छोटी बूंदों) के माध्यम से हवा में मौजूद होते हैं. इस दौरान वहां मौजूद कोई स्वस्थ मनुष्य जब सांस लेता है तो बैक्टीरिया उसे भी अपनी चपेट में ले लेते हैं. शोध के निष्कर्ष मंगलवार को ऑनलाइन आयोजित एक वैज्ञानिक सम्मेलन में प्रस्तुत किए गए.

टीबी के प्रसार संबंधी यह नई खोज कोविड-19 के फैलने वाली उस रिपोर्ट का प्रतिनिधित्व करती है, जिसमें कहा गया था कि कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति के मुंह से निकले ड्रॉपलेट (बूंदें) में मौजूद वायरस एरोसोल में घूमते रहते हैं और फिर स्वस्थ व्यक्ति को भी अपनी चपेट में ले लेते हैं. विशेष रूप से उन बंद स्थानों पर, जहां कई लोग मौजूद रहते हैं. कोविड-19 को लेकर यह निष्कर्ष उस वक्त सामने आया था, जब संक्रमण फैलने के कारणों को कम आंकने की वजह से दुनियाभर में इसके मरीजों की संख्या तेजी से बढ़ गई थी. 

फेफड़ों पर हमला करता है टीबी

टीबी, माइकोबैक्टीरियम ट्यूबरकुलोसिस (Tuberculosis) नामक जीवाणु (Bacteria) के कारण होता है, जो आमतौर पर फेफड़ों (Lungs) पर हमला करता है. यह बीमारी कितनी खतरनाक है, उसका अंदाजा महज विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा पिछले सप्ताह प्रकाशित एक रिपोर्ट से लगाया जा सकता है. इसके मुताबिक पिछले साल TB की चपेट में आकर 15 लाख से ज्यादा लोगों ने जान गंवाई, जो कि एक दशक में पहली बार हुआ. यह कोविड -19 के बाद दुनिया की सबसे घातक संक्रामक बीमारी है.

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पिछले साल जिस समय कोविड-19 महामारी ने पूरी दुनिया की स्वस्थ्य और आपूर्ति व्यवस्था को तहस नहस कर रखा था, उस समय 5.8 मिलियन (58 लाख ) लोगों को टीबी का पता चला था, लेकिन विश्व स्वास्थ्य संगठन ने करीब 1 करोड़ लोगों के संक्रमित होने का अनुमान लगाया. हो सकता है कि कई अनजाने में दूसरों को बीमारी फैला रहे हों.

मास्क और खुले स्थान में खतरा कम 

शोध में शामिल केपटाउन विश्वविद्यालय के स्नातक छात्र रयान डिंकले के मुताबिक यह खोज यह समझाने में मदद करती है कि क्यों  जेल जैसे बंद और सीमित स्थान टीबी को फैलाने में मदद करते हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि कोरोना संक्रमण को सीमित करने के लिए उपयोग में लाए जाने वाले कुछ तरीके जैसे मास्क, खुली खिड़कियां या दरवाजे टीबी के प्रसार को कम करने में भी उतने ही महत्वपूर्ण हैं.

पूरी आबादी की जांच जरूरी 

विशेषज्ञों के मुताबिक, इस खोज से पता चलता है कि चिकित्सकों को गंभीर खांसी और वजन घटाने के लक्षणों के साथ टीबी रोगियों के क्लीनिक में आने का इंतजार नहीं करना चाहिए. बोस्टन विश्वविद्यालय के महामारी विज्ञानी डॉ रॉबर्ट हॉर्सबर्ग ने कहा, हमें पूरी आबादी की जांच करने की जरूरत है, ठीक वैसे ही जैसे दुनियाभर में कोविड रोगियों की पहचान करने के लिए की गई. 

इस तरह समझें होने वाले खतरे को 

शोधकर्ताओं ने पहले माना था कि अधिकांश टीबी संचरण तब होता है, जब एक संक्रमित व्यक्ति के खांसने से बैक्टीरिया युक्त ड्रॉपलेट ( Droplets) हवा में मिल जाते हैं. डिंकले ने कहा कि नई खोज उस पुराने निष्कर्ष को खारिज नहीं करती कि संक्रमित व्यक्ति एक बार खांसकर एक बार सांस लेने की अपेक्षा ज्यादा बैक्टीरिया छोड़ता है, लेकिन हम इसे ऐसे समझ सकते हैं कि अगर एक संक्रमित व्यक्ति 500 ​​बार खांसते हुए प्रतिदिन 22,000 बार सांस लेता है तो इस स्थिति में संक्रमित व्यक्ति 7 गुना ज्यादा बैक्टीरिया वातावरण में छोड़ेगा. 

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