बिलासपुर के सबसे प्राचीन भजवाणी पुल के पुनर्निर्माण को लेकर सियासत हुई तेज, सुक्खू सरकार पर उठे सवाल!
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बिलासपुर के सबसे प्राचीन भजवाणी पुल के पुनर्निर्माण को लेकर सियासत हुई तेज, सुक्खू सरकार पर उठे सवाल!

Bilaspur News: बिलासपुर के भजवाणी पुल के पुनर्निर्माण को लेकर सियासत तेज हो गई है. पूर्व मंत्री ने केंद्र सरकार द्वारा पुल निर्माण को लेकर 103 करोड़ रुपये स्वीकृत करने के बावजूद प्रदेश सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए पैसा ना देने का लगाया आरोप. 

 

बिलासपुर के सबसे प्राचीन भजवाणी पुल के पुनर्निर्माण को लेकर सियासत हुई तेज, सुक्खू सरकार पर उठे सवाल!

Bilaspur News: बिलासपुर के सबसे प्राचीनतम पुल भजवाणी पुल पुनर्निर्माण को लेकर अब सियासत गरमाने लगी है. गौरतलब है कि भजवाणी का यह पुल राजा अमरचंद ने सन् 1889 में बनवाया था. बिलासपुर में सतलुज नदी पर यही एक मात्र पुल था, जिसके माध्यम से सतलुज पार के लोग केहलूर रियासत के मुख्यालय तक पहुंचते थे. 

वर्ष 1960 में भाखड़ा बांध निर्माण के चलते अस्तित्व में आई गोबिंद सागर झील के बनने के बाद इस पुल का महत्व कम हो गया. वर्ष 1984 तक यह पुल बरकरार था लेकिन इसके बाद रख रखाव न होने के कारण यह पुल अपना अस्तित्व खो बैठा. आपको बता दें कि भजवाणी पुल के पुनर्निर्माण से बल्ह भलवाणा, औहर, हीरापुर, बैरीदड़ोला, भगेड़, समोह, बैहनाजट्टां, गेहड़वीं व थुराण सहित करीब 40 पंचायतों के लोगों को इसका लाभ पहुंचेगा. 

वहीं, हिमाचल प्रदेश की पूर्व भाजपा सरकार के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा इस पुल के निर्माण को लेकर 103 करोड़ रुपए भी स्वीकृत किये गए हैं, लेकिन पुल के दोनों छोरों पर निजी व बीबीएमबी की जमीन पर लोक निर्माण विभाग द्वारा भूमि अधिग्रहण ना किये जाने के चलते इस पुल का पुनर्निर्माण नहीं हो पाया है. 

इसके संबंध में जानकारी देते हुए भजवाणी पुल पुनर्निर्माण समिति के अध्यक्ष देशराज शर्मा ने कहा कि सन् 1889 में राजाओं के समय में बने भजवाणी पुल हमीरपुर, धर्मशाला व कांगड़ा के लोगों को बिलासपुर, किरतपुर, चंडीगढ़ व दिल्ली जाने के लिए एकमात्र रास्ता इसी पुल से होकर जाता था, जिसपर छोटी बस चलती थी, लेकिन भाखड़ा बांध निर्माण के बाद गोविंद सागर झील की जद में आने के बाद यह पुल जलमग्न हो गया था. 

वहीं बरसातों के बाद गोविंद सागर झील में पानी चढ़ने पर इस पुल को खोल दिया जाता था और मार्च महीने में दरिया से पानी उतरने पर दोबारा इसे जोड़कर लोगों की आवाजाही के लिए शुरू कर दिया जाता था, लेकिन धीरे-धीरे अपनी अनदेखी के चलते दरिया से पानी उतरने पर इस पुल के कुछ ही अवशेष दिखाई पड़ते हैं. 

वहीं देशराज शर्मा ने प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह से अपील की है कि इस पुल के निर्माण को लेकर जल्द ही उचित कदम उठाए जाएं ताकि बिलासपुर ज़िला की तीन विधानसभा क्षेत्र की क़रीब 40 पंचायतों को इसका लाभ मिल सके. वहीं पूर्व कैबिनेट मंत्री राजिंद्र गर्ग ने कहा कि पूर्व जयराम सरकार के कार्यकाल के दौरान केंद्र सरकार द्वारा CRIF के तहत 103 करोड़ रुपए भजवानी पुल निर्माण के लिए दिये गये थे, लेकिन प्रदेश की कांग्रेस सरकार द्वारा भूमि अधिग्रहण के लिए दो करोड़ साठ लाख रुपये नहीं दिये गये हैं. जिसके कारण अब तक इस पुल का निर्माण नहीं हो पाया है. 

वहीं प्रदेश के तकनीकी शिक्षा मंत्री राजेश धर्मानी का कहना है कि भजवानी पुल पुनर्निर्माण को लेकर केंद्र सरकार द्वारा कोई भी बजट जारी नहीं किया गया. केवल एक पत्र जारी किया गया है. साथ ही उन्होंने केंद्र सरकार से किसी भी प्रोजेक्टस को स्वीकृति देने के साथ ही पैसा जारी करने की अपील भी की है. 

राजेश धर्मानी का कहना है कि कीरतपुर-नेरचौक फोरलेन निर्माण को लेकर जब एनएचएआई द्वारा भूमि अधिग्रहण का पैसा जारी किया गया, तो फोरलेन को जोड़ने वाले इस पुल निर्माण से संबंधित भूमि अधिग्रहण का पैसा भी एनएचएआई को ही देना चाहिए. हिमाचल प्रदेश में CRIF के चल रहे विभिन्न प्रोजेक्टस के लिए करीब एक हज़ार करोड़ रुपये की जरूरत है, लेकिन प्रदेश सरकार को 150 से 200 करोड़ रुपये ही सालाना मिल पा रहे है.

रिपोर्ट- विजय भारद्वाज, बिलासपुर

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