H3N2 Virus: भारत में इन्फ्लुएंजा से हुई मौत, जानें क्या है इस वायरस के लक्षण
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H3N2 Virus: भारत में इन्फ्लुएंजा से हुई मौत, जानें क्या है इस वायरस के लक्षण

H3N2 Death in India: रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, एच3एन2वी एक गैर-मानव इन्फ्लूएंजा वायरस है. जानिए इसके लक्षण.

H3N2 Virus: भारत में इन्फ्लुएंजा से हुई मौत, जानें क्या है इस वायरस के लक्षण

H3N2 Death in India: देश में इसवक्त एच3एन2 वायरस, जिसे हॉन्गकॉन्ग फ्लू भी कहते हैं. इसके 90 केसों की पुष्टि हो चुकी है. जानकारी के मुताबिक, इसके अलावा एच1एन1 वायरस के भी आठ केस रिपोर्ट हुए हैं.  

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हिन्दुस्तान टाइम के अनुसार, भारत में हरियाणा और कर्नाटक में H3N2 इन्फ्लूएंजा वायरस के कारण पहली दो मौतें दर्ज की गई हैं. स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने शुक्रवार को बताया कि कर्नाटक के पीड़ित व्यक्ति को बुखार, गले में खराश और खांसी थी और उसमें इन्फ्लूएंजा जैसी बीमारी (आईएलआई) के लक्षण थे. 

मीडिया रिपोर्टस के अनुसार, भारत में अब तक H3N2 वायरस के 90 से अधिक मामले सामने आए हैं. ऐसे में देश में फ्लू जैसे वायरस के बढ़ते मामले चिंता का सबब बनते जा रहे हैं. 

H3N2 वायरस क्या है? (What is the H3N2 virus)

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) के अनुसार, एच3एन2वी एक गैर-मानव इन्फ्लूएंजा वायरस है, जो सामान्य रूप से सूअरों में फैलता है और इसने मनुष्यों को संक्रमित किया है. जिसे 'स्वाइन इन्फ्लूएंजा वायरस' के रूप में जाना जाता है. जब ये वायरस इंसानों को संक्रमित करते हैं, तो उन्हें 'वैरिएंट' वायरस के नाम से जाना जा रहा है. वर्तमान में, H3N2 से जुड़ी बीमारी की गंभीरता मौसमी फ्लू जैसी है. 

क्या लक्षण हैं?
ये वायरस होने पर शख्स को बुखार, श्वसन संबंधी समस्याएं जैसे खांसी और नाक बहना, साथ ही शरीर में दर्द, मतली, उल्टी या दस्त सहित अन्य लक्षण हो सकते हैं. ये लक्षण आमतौर पर लगभग एक सप्ताह तक रह सकते हैं, हालांकि, कुछ लोग इन्हें लंबे समय तक भी सहन कर सकते हैं. 

उपचार और रोकथाम
H3N2 वायरस से पीड़ित लोगों को दवाओं की सलाह दी जा रही है जो डॉक्टर के कहने पर ही लेनी चाहिए. वहीं आपको हर दिन अपनी सेहत का ख्याल रखना चाहिए. जैसे वार्षिक फ्लू टीकाकरण करवाएं.  नियमित रूप से हाथ धोना चाहिए. वहीं लोगों को भीड़-भाड़ वाली जगहों से बचना चाहिए और बीमार लोगों के साथ बातचीत को सीमित करना चाहिए. 

कौन अधिक जोखिम में है?
सीडीसी के अनुसार, पांच साल से कम उम्र के बच्चे और 65 साल और उससे अधिक उम्र के लोग, गर्भवती लोग, अस्थमा, मधुमेह, हृदय रोग, कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली के लोगों को इससे ज्यादा सावधान रहने की जरूरत है. 

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