Himachal Pradesh Tea: धर्मशाला की चाय देश-विदेश में भी प्रसिद्ध है. यहां की चाय दूसरे देशों में भेजी जाती है, लेकिन कोरोना के बाद से इसके निर्यात में कमी आई है. इसके बाद अब धर्मशाला में ही चाय की डिमांड बढ़ सकती है.
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विपन कुमार/धर्मशाला: पर्यटन नगरी धर्मशाला के चाय बागानों में पत्तियों की तुड़ाई का कार्य शुरू हो चुका है. चाय उद्योग प्रबंधन ने इस वर्ष 1.55 लाख किलोग्राम चाय उत्पादन का टारगेट तय किया है. हालांकि रात के समय तापमान कम होने की वजह से चाय के पौधों पर इसका असर पड़ता दिख रहा है. रात के समय मौसम ठंड़ा होने की वजह से चाय पत्तियों की ग्रोथ स्लो हो जाती है.
धर्मशाला में बढ़ सकती है चाय की डिमांड
वहीं, अगर चाय प्रबंधन की मानें तो धर्मशाला चाय उद्योग के मैनेजर अमन पाल सिंह का कहना है कि ठंड़े मौसम में चाय पत्तियों की ग्रोथ धीमी हो जाती है, लेकिन ठंड के साथ हो रही बारिश चाय के लिए फायदेमंद है. उन्होंने बताया कि कोरोना महामारी से पहले बड़ी मात्रा में चाय धर्मशाला से विदेश भेजी जाती थी, लेकिन कोविड-19 के बाद इसमें कमी आई है. उन्होंने कहा कि इस साल शायद विदेश से भी ज्यादा धर्मशाला में ही चाय की डिमांड में इजाफा होगा.
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65 हेक्टेयर में फैले हैं चाय उद्योग के बागान
अमन पाल सिंह ने बताया कि धर्मशाला में चाय उद्योग के बागान 65 हेक्टेयर में फैले हुए हैं. हालांकि 10-15 दिन पहले शुष्क मौसम ने चाय उत्पादकों की चिंता बढ़ा दी थी, लेकिन पिछले एक सप्ताह से हो रही बारिश से उत्पादकों की टेंशन कम हुई है. पिछले साल 2022 में 1.46 लाख किलोग्राम उत्पादन के मुकाबले इस बार 1.55 लाख किलोग्राम चाय उत्पादन का लक्ष्य तय किया गया है.
इन देशों में भेजी जाती है धर्मशाला की चाय
उन्होंने बताया कि धर्मशाला की चाय विदेश में भी भेजी जाती है. खासकर यूरोप के जर्मन, फ्रांस और इंग्लैंड में धर्मशाला से ही चाय का निर्यात होता है. चाय उद्योग की ओर से पहले विदेश में विभिन्न लॉट्स के सेंपल भेजे जाते हैं, जिसके बाद विदेश में इसका क्वालिटी पैरामीटर परखा जाता है. इसके बाद विदेश से चाय के लिए ऑर्डर किए जाते हैं.
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हिमाचल की कांगड़ा चाय को मिल चुका है यूरोपियन जीआई टैग
बता दें, हाल ही में कांगड़ा चाय को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर बड़ी उपलब्धि हासिल हुई थी. कांगड़ा चाय को यूरोपियन जीआई टैग मिला है. यह टैग तब दिया जाता है जब कोई भी उत्पाद सभी उच्च स्तरीय मानकों पर खरा उतरे.
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