Himachal Assembly Election: हिमाचल चुनाव के लिए 12 नवंबर को वोटिंग होनी है. ऐसे में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति वोटर का क्या प्रदेश में क्या समीतकरण इस खबर में जानिए.
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Himachal Assembly Elections 2022: हिमाचल प्रदेश में अनूसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति (SC and ST Population in Himachal) की कुल आबादी 30.9 % है. प्रतिशत के आधार पर पंजाब के बाद देश में दूसरी सबसे ज्यादा अनुसूचित आबादी (SC) हिमाचल प्रदेश में रहती है. हिमाचल की कुल आबादी का करीब 25.2% अनूसचित जातियां हैं. इसके अलावा 5.7 % आबादी अनुसूचित जनजातियों (ST) में आती है. ऐसे में आज के इस खबर में हम आपको बताएंगे हिमाचल प्रदेश के दलित वोट का क्या पैटर्न है.
लाहौल स्पीति में सबसे ज्यादा SC-ST
अनूसूचित जाति और अनूसूचित जनजाति में सबसे पहला नाम आता है हिमाचल के लाहौल स्पीति का. हिमाचल प्रदेश में जिला वार SC/ST आबादी देखें तो प्रदेश के लाहौल स्पीति में 81.44% और किन्नौर में 57 % आबादी एसटी है. इसके अलावा चंबा में भी 26.1% आबादी अनुसूचित जनजाति (ST) से सबंध रखती है.
वहीं अनूसूचित जाति (SC) की सबसे ज्यादा आबादी 30.34% सिरमौर जिले में रहती है. इसके बाद मंडी 29.38%, सोलन 28.35%, कुल्लू 28.01%, शिमला 26.51%, बिलासपुर 25.92%, हमीरपुर 24.02%, ऊना 22.16 %, कांगड़ा 21.15% और किन्नौर 17.53% जिले में आती है. वहीं, लाहौत स्पीति में राज्य की अनुसूचित जाति की आबादी महज 7.08 % है.
आरक्षित सीटों पर कोई ट्रेंड नहीं
वहीं, अगर पार्टीवार चुनाव दर चुनाव SC-ST सीटों पर जीत का आंकड़ा देखा जाए, तो हमेशा जीतने वाले पार्टी के संबध में ही पलट जाता है. साल 1985 के चुनावों में कांग्रेस को 19 में से 17 आरक्षित सीटें मिली थी. वहीं, 1977 में के चुनावों में जनता पार्टी को 16 सीटें मिली थी.
अगर पिछले 10 विधानसभा चुनावों के आंकड़ें देखें, तो पता चलता है कि ये बीजेपी कांग्रेस में करीब-करीब आधी आधी बंटी है. अब तक भाजपा को कुल 87 सीटें और कांग्रेस को कुल 89 सीटें मिली हैं. वहीं 15 सीटें अन्य या आजाद उम्मीदवारों के हिस्से आई हैं.
हिमाचल प्रदेश के राजनीतिक विज्ञान विभाग की चेयरपर्सन प्रो. मृदुला शारदा का कहना है, “ हिमाचल प्रदेश में SC-ST समुदाय की कोई अलग लीडरशिप नहीं है. SC-ST समुदाय ने इन्ही दोनो पार्टियों मे अपनी लीडरशिप ढूंढ ली है. मगर ये परपरांगत रुप से किसी के वोटर नहीं रहे हैं”.
प्रदेश में किसी ट्रेंड न होने के संभावित कारणों पर प्रो. शारदा ने बताया कि हिमाचल प्रदेश में आरक्षित जातियों ने तथाकथित अगड़ी जातियों की नेतृत्व स्वीकारने में कोई परहेज नहीं दिखाया है. इसीलिए यहां पर SC-ST वोटों की कभी खेमेबंदी नहीं हुई है.
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